भारत के सुप्रीम कोर्ट ने 42 के शख्स की याचिका पर ऐतिहासिक फैसला सुनाया है। हरीश चंद तिवारी नामक इस आदमी ने सुप्रीम कोर्ट के सामने अपना पक्ष रखा था। जिसमें उन्होंने यह कहा गया था कि उन्हें मोबाइल फोन टावर के रेडिएशन से कैंसर जैसी घातक बिमारी हुआ है। इस मामले की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने उनके पक्ष पर अपनी मुहर लगा दी। जिसके बाद सर्वोच्च न्यालय ने मोबाइल टावर को बंद करने का आदेश दिया है। ममला ग्वालियर का है। जहां पर 42 साल के हरीश चंद तिवारी रहते हैं।
हरीश तिवारी का कहना है कि उनके पड़ोस के घर पर एक अवैध बीएसएनएल का टावर लगा है। इस बीएसएनएल के टावर से हानिकारक इलेक्ट्रोमैग्नेटिक रेडिएशन निकलती है। जिसके कारण पिछले 14 साल से उन्हें अपना शिकार बना रही है। जिसका परिणाम यह हुआ कि उन्हें कुछ सालों बाद ‘हॉजकिन्स लिम्फोमा’ नामक बीमारी हो गई जो के तरह का कैंसर है।
हरीश चंद तिवारी ने कोर्ट को बताया कि उनके पड़ोस में मोबाइल टावर साल 2002 में लगा था। जो हरीश चंद तिवारी के घर से महज 50 मीटर से भी कम की दूरी पर ही है। इस सुनवाई के दौरान जस्टिस रंजन गोगोई और नवीन सिन्हा की बेंच ने टावर को सप्ताह के भीतर हटाने का फैसला दिया है।