कामकाजी भागदौड़ के दौरान शरीर को भोजन के अतिरिक्त कुछ और पौष्टिक तत्वों की भी जरूरत पड़ती है। विशेषज्ञ भी कहते हैं कि दो भोजनावधियों के बीच यदि कुछ हल्का-फुल्का खा लिया जाए तो वह फायदेमंद रहता है। इसलिए स्नैक्स का काम जीवन में जरूरी हो जाता है, लेकिन ध्यान बस इतना रखें कि स्नैक्स में काबरेहाइड्रेट्स, विटामिन, फाइबर और एंटीऑक्सीडेंट्स जरूर हों।
बता रही हैं मीनाक्षी टाइम नहीं है। खाने का भी टाइम नहीं है। दौड़ते-दौड़ते खा रहे हैं या जल्दी-जल्दी निगल रहे हैं। खाली पेट स्कूल, कॉलेज या दफ्तर भागने का चलन हर कहीं है। वहीं कुछ खा लूंगा का जुमला लगभग हर दूसरे-तीसरे व्यक्ति की जुबान पर है। पेट भरने के लिए कैफेटेरिया में मौजूद स्नैक्स जीभ का स्वाद तो पूरा करते हैं, लेकिन जब तक उनकी असलियत का पता चलता है तब तक सेहत की नींव कमजोर हो चुकी होती है।
अनाप-शनाप स्नैक्स खाने की वजह से लोगों में मोटापा बढ़ता है। पर क्या आपने कभी यह सोचा है कि आपने जो स्नैक्स खाया उसका आपकी सेहत पर क्या प्रभाव पड़ेगा। शायद नहीं! हैदराबाद में ‘हील इंडिया’ द्वारा आयोजित ‘द आर्ट ऑफ स्मार्ट स्नेकिंग’ वर्कशॉप में इंडियन डायबिटिक्स एसोसिएशन की अध्यक्ष डॉ. शशिलता ने बताया कि शरीर में ऊज्र का स्तर बनाए रखने के लिए दिन-रात के खाने के बीच में कुछ न कुछ खाते रहना चाहिए।
स्नैक्स द्वारा इसकी पूर्ति होती है। पर महत्वपूर्ण बात यह है कि आप रोजमर्रा के इस्तेमाल में किस तरह के स्नैक्स को चुनते हैं। सही स्नैक्स द्वारा मोटापा घटता है। दिन-रात के खाने के बीच में स्नैक्स लेने से तेज भूख नहीं लगती और आप ज्यादा खाने से बच जाते हैं।
स्मार्ट स्नैकिंग क्या है?
स्मार्ट स्नैकिंग का मतलब है दिन और रात खाने से पहले सीमित मात्रा में और स्वास्थ्यकर चीजें शामिल करें जिससे सेहत व पौष्टिकता बरकरार रहे। ऐसी चीजें चुनें जिनमें वसा कम हो, विशेषकर ट्रांसफैट्स। कुछ जरूरी फैट फाइबर फल, सब्जियां तथा धीमी ऊर्जा छोडऩे वाले काबरेहाइड्रेट्स तथा ढेर सारे विटामिन खनिज और एंटीऑक्सीडेंट्स इसमें जरूर हों।
याद रखें हर कैलोरी में कुछ न कुछ पौष्टिकता अवश्य हो। यदि आपको लंबे समय तक बैठकर काम करना है तो जरूरी है मोटापे से बचें।
इसके लिए ब्रेड आटा वाले तैलीय स्नैक्स बिल्कुल तैलीय नमकीन, सैंडविच, केक, समोसा और ब्रेड पकौड़ा खाने से बचें। अपने किचन में विटामिन व खनिज पदार्थो से भरपूर स्नैक्स रखें।
कैसा हो स्नैक्स?
चावल : प्राकृतिक चीजों से बने स्नैक्स सबसे बेहतर होते हैं। चावल से बने स्नैक्स में फाइबर, काबरेहाइड्रेट्स, विटामिन बी, ई, कैल्शियम, आयरन, फास्फोरस व लिसिन होता है। इसमें कॉलेस्टरॉल नहीं होता। बहुत कम कैलोरी होती हैं। इसलिए चावल आधारित स्नैक्स को पौष्टिक कहा जाता है। साथ ही वजन कम करने में भी यह मददगार साबित होता है।
मकई : मकई आयरन, विटामिन बी, मैग्नीशियम, फाइबर, विटामिन सी, फॉस्फोरस, जिंक का अच्छा स्रोत है। अपने रेशों और फोलेट की वजह से मकई दिल के लिए अच्छा माना जाता है।
कैसे तेल में बने हैं स्नैक्स : आप कैसे तेल का इस्तेमाल करते हैं। चावल की भूसी से बना तेल ट्रांसफैट (राइस ब्रान आयल) से पूरी तरह मुक्त होता है। इसके नॉन फैटी एसिड अवयव लाभकारी होते हैं। इतना ही नहीं यह तेल का स्वाद बढ़ाता है। इसके अलावा सरसों व तिल का तेल महत्वपूर्ण है।
साबुत अनाज : अंकुरण द्वारा हम किसी भी दाल के पौष्टिक तत्वों को बढ़ा सकते हैं जिससे खाद्य पदार्थ पौष्टिक होने के साथ-साथ स्वादिष्ट भी हो जाते हैं। किसी भी दाल जैसे – चनें व अन्य दालों को एक गीले कपड़े में एक निश्चित समय अंतराल के लिए रख दिया जता है, फिर हल्की आंच पर उसे पकाया जाता है।
खमीर उठाना : खमीर उठाना भी खाद्य पदार्थो के पोषक तत्वों को बढ़ाने की एक विधि है। यह घरेलू माध्यम है जिससे खाद्य पदार्थो की गुणवत्ता को बढ़ाया जाता है।
सस्ते गिरीदार फल : बादाम, काजू, पिस्ता जैसे ड्राई फ्रूट्स (सूखे मेवे) खरीदने के लिए जेब भारी होनी जरूरी है, लेकिन मूंगफली इनके स्थान पर अच्छा विकल्प माना जा सकता है जो सस्ती व किफायती कीमतों पर बाजार में उपलब्ध है।
पौष्टिक स्नैक्स में इन्हें करें शामिल
*भुनी मूंगफली, भुना चना, सूखे मेवे, भुनी नमकीन, पापड़
*अंकुरित दाल या चने और सलाद, फल व सब्जियां
*ताजे जूस या सूप
*मूली, गाजर या चुकंदर
*ताजे फलों का सलाद
*कम फैट वाली चीज के साथ आटे की डबल रोटी
*सोया टिक्की, पैटीज, सैंडविच, आटे की डबल रोटी
*गेहूं के आटे से बने काठी रोल
*नींबू पानी, जलजीरा, लस्सी मिल्क शेक
*सोयाबीन
*पॉपकॉर्न, फलियां, साबुत अनाज की भेलपुरी
*हाई फाइबर लो शुगर कुकीज