भारतीय मूल की स्वीडिश नागरिक नीलाक्षी एलिजाबेथ जोरेंडल के लिये वह बेहद भावुक पल था जब वह यवतमाल में अपनी बीमार मां से मिलीं। नीलाक्षी जब तीन साल की थीं तब उन्हें स्वीडन की एक दंपति ने वर्ष 1976 में गोद लिया था। पुणे स्थित एनजीओ र्गैर सरकारी संगठनी – अगेंस्ट चाइल्ड टैफिकिंग की अंजलि पवार के माध्यम से किसी तरह वह अपनी मां का पता लगाने में सफल रहीं।
अंजलि ने बताया, यवतमाल के सरकारी अस्पताल में शनिवार को बेहद भावुक पल था। मां-बेटी दोनों की आंखों में आंसू थे। अंजिल ने बताया, अपनी मां का पता लगाने के लिये नीलाक्षी वर्ष 1990 से भारत आती रही हैं।
इसके लिये उन्होंने छह बार भारत का दौरा किया। मां-बेटी दोनों ही थैलेसीमिया की बीमारी से ग्रस्त हैं। उन्होंने बताया, मुलाकात के दौरान नीलाक्षी ने रिश्तेदारों को अपनी मां के उपचार में हर संभव मदद का आश्वासन दिया।