आपने देखा होगा कि कई मिठाईयों पर चांदी का वर्क लगा रहता है। अधिकतर चांदी का वर्क त्योहारों के समय मिठाईयों पर अधिक दिखाई देता है। लेकिन चांदी के वर्क लगी मिठाई खाना हमारे शरीर के लिए घातक होता है।
चांदी के वर्क में भारी पदार्थ जैसे निकल, लेड, क्रोमियम और कैडमियम भी होते हैं। ये भी मेटल सेहत के लिए खतरनाक होते हैं।
मिठाई, पान और सुपारी ही नहीं, बल्कि सेब को भी ज्यादा बेहतर दिखाने के लिए चांदी का वर्क लगाया जाता है।
मिठाई पर चिपके सिल्वर वर्क को उंगलियों से हल्के पकड़ें। अगर यह उंगली में चिपककर अलग हो जाता है तो समझ लीजिए कि इसमें एल्युमिनियम फॉइल यूज किया गया है।
चांदी के वर्क का निर्माण जानवरों की आंत से बनाया जाता है। हालांकि एफएसएसएआई ने इसके उपयोग पर पाबंदी लगा रखी है। इसके बावजूद बिना किसी की परवाह किए यह पूरे देश में धडल्ले से बिक रहा है। चांदी के वर्क के नाम से बाजार में एल्युमिनियम के वर्क बिक रहे हैं। इससे कैंसर, फेफड़े और दिमाग की बीमारियां हो सकती हैं।
देश के कई हिस्सों में परंपरागत रूप से ही चांदी का वर्क बनाया जाता है। इसमें जानवरों की खालों और आंतों का उपयोग किया जाता है। लगभग 90 फीसदी चांदी का वर्क ऐसे ही बनता है।
वर्क बनाने के लिए चांदी को जानवरों की आंतों के बीच पीटा जाता है। इससे बिल्कुल पतले वर्क बनते हैं और इन्हें सामान पर लपटने में आसानी हो जाती है।