चिडिय़ाघर का नाम सुनते ही हर बच्चे का चेहरा खुशी से खिल जाता है क्योंकि वहां उन्हें तरह-तरह के पशु-पक्षी जो देखने को मिलते हैं. लेकिन क्या आपने ऐसे चिडिय़ाघरों के बारे में सुना है जहां जानवर नही बल्कि जीते जागते इंसानों को रखा जाता था. जी हां, यूरोप में ऐसे कई चिडिय़ाघर थे जहां इंसानों को कैद करके रखा जाता था. यहां महिलाओं और बच्चों को बंदी बनाकर रखा जाता था.
यहां उन महिलाओं को कैद करके रखा जाता था जिनका रंग बेहद काला होता था. आदिवासी लोगों की तुलना जानवरों से की जाती थी. ऐसे ही चिडिय़ाघर जर्मनी और इंग्लैंड में भी बनाए गए थे. यहां लोगों के मनोरंजन के लिए पिंजरों में बंद इंसानों को नचाया जाता था. यहां बच्चों को भी कैद किया जाता था और उनकी प्रदर्शनी लगायी जाती थी. लेकिन समय-समय के साथ-साथ इस घिनौने कृत्य की आलोचना होने लगी और इसे बंद कर दिया गया.