आखिर क्यों लोगों बीच ट्रेंड हो रही लबूबू डॉल, क्या है तात्या बिच्छू से इसका संबंध

लबूबू डॉल की वायरल पॉपुलैरिटी ने लोगों को 90s के डरावने डॉल कैरेक्टर तात्या बिच्छू की याद दिला दी, जो फिल्म 'झपाटलेला' में एक खतरनाक खिलौना विलेन था।

आखिर क्यों लोगों बीच ट्रेंड हो रही लबूबू डॉल, क्या है तात्या बिच्छू से इसका संबंध

सोशल मीडिया पर चर्चा का विषय बनी लबूबू डॉल।

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Highlights

  • सोशल मीडिया पर वायरल हो रही लबूबू डॉल।
  • लबूबू को देख लोगों को याद आया तात्या बिच्छू।
  • हांगकांग में बनी गई है लबूबू डॉल।

हर दिन इंटरनेट पर कुछ न कुछ नया और अजीब वायरल हो ही जाती है तो कई बार कुछ ऐसा देखने के लिए मिल जाता है जिस पर यकीन कर पाना थोड़ा मुश्किल हो। इस बार किसी इंसान का नहीं, बल्कि एक डॉल का नंबर है। अगर आप भी इंटरनेट पर वक़्त बिताते हैं तो ‘लबूबू’ नाम तो सुन ही लिया होगा। और अगर नहीं सुना, तो फिर आप इंटरनेट पर कर ही क्या रहे हैं? सबसे मजेदार बात ये है कि जैसे ही लबूबू डॉल वायरल हुई, देसी लोगों को बरबस ही भारतीय सिनेमा के डरावने डॉल कैरेक्टर "तात्या बिच्छू" की याद आ गई। सोशल मीडिया पर एक यूजर ने एक्स (X) पर लिखा, “लबूबू ये, लबूबू वो... भाई, तात्या बिच्छू के बारे में सुना है कभी?”

लबूबू डॉल क्या है? : 

लबूबू डॉल को हांगकांग के डिजाइनर केसिंग लंग ने नॉर्डिक लोककथाओं से प्रेरणा लेकर तैयार किया था। यह डॉल उनकी स्टोरी सीरीज़ ‘द मॉन्स्टर्स’ का हिस्सा है। लबूबू को पहली बार 2015 में पहचान मिली, लेकिन 2019 में जब चाइनीज कंपनी पॉप-मार्ट ने इसे बेचना शुरू किया, तब इसकी लोकप्रियता में जबरदस्त इजाफा हुआ। गोल-मटोल शरीर, खड़े हुए कान, आंखों में शरारती भाव और नौ नुकीले दांतों वाला यह खिलौना अब इंटरनेट की दुनिया का सितारा बन चुका है। 2024 में कोरियन पॉप ग्रुप ब्लैकपिंक की मेंबर लीसा ने अपने बैग पर लबूबू की आकृति वाला रिंग टांग रखा था। लीसा की ग्लोबल फैन फॉलोइंग ने इसे एक ट्रेंड बना दिया और इसके बाद लबूबू हर किसी की नज़र में आ गया। अब रिहाना और दुआ लीपा जैसे बड़े अंतरराष्ट्रीय सेलेब्रिटी भी इसके साथ नजर आने लगे हैं।

लबूबू देखकर तात्या बिच्छू की याद क्यों आई? :

डॉल्स को लेकर आमतौर पर धारणा होती है कि वे क्यूट और मासूम होते हैं। लेकिन लबूबू का लुक प्यारा होने के साथ-साथ थोड़ा डरावना और खुराफाती भी है। और इसी वजह से बहुत से लोगों को इसकी झलक में तात्या बिच्छू नजर आ गया – वो पपेट जो प्यारा नहीं बल्कि पूरी तरह भयानक था। मराठी फिल्म ‘झपाटलेला’ (और उसका हिंदी वर्जन ‘खिलौना बना खलनायक’) देखने वाले कभी भी तात्या बिच्छू को भूल नहीं सकते। एक खिलौने के रूप में आए इस विलेन के डायलॉग्स और उसकी हरकतें आज भी लोगों की रूह कांपा देती हैं। ‘ओम फट स्वाहा’ बोलते हुए यह खिलौना बचपन के डर को आज भी जिंदा कर देता है।

कैसे बना सिनेमा का खतरनाक खिलौना तात्या बिच्छू? :

कठपुतली की तरह दिखने वाले इस पपेट के पीछे वेंट्रीलोकिज्म (बिना होंठ हिलाए बोलने की कला) की कला है। इसमें कलाकार एक खिलौने या पपेट के जरिए ऐसा अभिनय करता है कि वह खिलौना बोलता और हिलता नजर आता है, जबकि असल में आवाज उसी कलाकार की होती है। इसी शैली में भारत में सबसे पहला नाम आता है यशवंत केशव पाध्ये का, जिन्होंने ‘अर्धवटराव’ नाम का पपेट किरदार तैयार किया था, जिसे बाद में उनके बेटे रामदास पाध्ये ने निभाया। रामदास एक स्टेज शो में परफॉर्म कर रहे थे जब मराठी फिल्मों के मशहूर निर्देशक महेश कोठारे ने उन्हें देखा और सोचा, "अगर ये पपेट सच में बोलने लगे तो कैसा हो?" यहीं से उन्हें एक कहानी का आइडिया मिला। उन्होंने एक स्क्रिप्ट लिखी जिसमें उनके दोस्त और स्टार लक्ष्मीकांत बेर्डे वेंट्रीलोकिस्ट की भूमिका में थे और तात्या बिच्छू नाम का गैंगस्टर एक पपेट के रूप में वापसी करता है। कहानी के अनुसार, पुलिस एनकाउंटर में मारा गया गैंगस्टर तात्या बिच्छू अपनी आत्मा एक पपेट में ट्रांसफर कर देता है। अब उसका लक्ष्य है, किसी जीवित इंसान (बेर्डे के बेटे) में फिर से जन्म लेना। यही इस फिल्म का डरावना प्लॉट था।

तात्या बिच्छू का चेहरा कैसे बना? अमिताभ बच्चन का कनेक्शन : 

तात्या बिच्छू के पपेट के चेहरे के डिज़ाइन के लिए रामदास पाध्ये को प्रेरणा मिली थी अमिताभ बच्चन की फिल्म ‘महान’ (1983) से। इस फिल्म में अमिताभ ने एक वेंट्रीलोकिस्ट का किरदार निभाया था और उनके पास एक पपेट था - मामूजी। उसका चेहरा चौकोर, नाक लंबी और बाल बिखरे हुए थे। तात्या बिच्छू का लुक इसी पपेट से प्रेरित था। रामदास ने पपेट के अंदर ऐसे मैकेनिज़्म लगाए जिससे उसकी आंखें, होंठ, गर्दन और भौंहें हिल सकें और डरावने एक्सप्रेशंस आ सकें। उन्होंने इसके कई वर्ज़न बनाए – जैसे क्लोज़अप के लिए हाफ बॉडी पपेट, मूवमेंट दिखाने के लिए रॉड ऑपरेटेड वर्जन, और मरने वाले सीन के लिए डैमेज वर्जन।

तात्या बिच्छू और दिलीप प्रभावलकर : 

अगर आपने ‘लगे रहो मुन्ना भाई’ देखी है तो आप महात्मा गांधी के किरदार में दिलीप प्रभावलकर को जरूर याद करेंगे। लेकिन बहुत कम लोग जानते हैं कि उन्होंने ही ‘झपाटलेला’ में असली गैंगस्टर तात्या बिच्छू का किरदार निभाया था और पपेट की आवाज़ भी उन्हीं की थी। यानि इस किरदार को रचने में तीन लोगों का खास योगदान रहा – महेश कोठारे (डायरेक्टर), रामदास पाध्ये (पपेट डिज़ाइनर और वेंट्रीलोकिस्ट) और दिलीप प्रभावलकर (एक्टर और वॉयस आर्टिस्ट)। 1993 में आई यह फिल्म आज भी लोगों के जेहन में जिंदा है, खासकर उन लोगों के लिए जिन्होंने इसे अपने बचपन में देखा था।

लबूबू बनाम तात्या बिच्छू: कौन है असली स्टार? : 

लबूबू आज वायरल है, लेकिन तात्या बिच्छू उस दौर का स्टार था जब न इंटरनेट था, न सोशल मीडिया। थिएटर्स और टीवी ने इसे घर-घर तक पहुंचाया। 90 के दशक में बड़े हुए लोगों के लिए यह सिर्फ एक फिल्मी कैरेक्टर नहीं, बल्कि एक डरावना अनुभव है जिसे भूलना मुश्किल है। आज जब लोग चाइनीज प्रोडक्ट्स से दूरी बनाने की बात करते हैं, तो क्या लबूबू की जगह तात्या बिच्छू वाले छल्ले या बैग टैग्स ट्रेंड में लाए जा सकते हैं? आइडिया तो वाकई दिलचस्प है। शायद ये देसी डरावना डॉल एक बार फिर वापसी कर जाए – इस बार पूरी दुनिया के इंटरनेट पर!

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