लखनऊ : यूपी में यह सिलसिला बीते 8 वर्ष से चल रहा है। दीपावली के दिन और भी पास आ रहे है आने के साथ पूरी सरकार एवं जनता का ध्यान अयोध्या की तरफ खिंचने लग जाता है, क्योंकि पिछले वर्षों में यहां का दीपोत्सव निरंतर भव्य होता चला गया। उत्तरप्रदेश में योगी आदित्यनाथ सरकार के नेतृत्व इस बार अयोध्या में 9वां दीपोत्सव होने वाला है एवं इसे अब तक का सबसे भव्य एवं ऐतिहासिक आयोजन कहा जा रहा है। वहीं सरयू नदी के किनारे 56 घाटों पर इस बार 28 लाख दीपों को प्रज्वलित किया जाने वाला है।
पहले ये तादाद 26 लाख रिकॉर्ड की गई थी, लेकिन सरकार ने इसे बढ़ाकर एक नया विश्व रिकॉर्ड स्थापित करने का टारगेट सेट किया। वहीं गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में पहले से दर्ज अयोध्या का नाम एक बार फिर इतिहास रचने के लिए तैयारी में लगा हुआ है। जहां पहली बार लक्ष्मण किला घाट को भी इस आयोजन में शामिल हुआ है, जहां सवा 4 लाख दीप प्रज्वलित किए जाने वाले है।
मुख्यमंत्री सीएम योगी आदित्यनाथ 19 अक्टूबर को खुद दीप प्रज्ज्वलन कर दीपोत्सव की शुरुआत करने वाले है। “जय श्रीराम” के उद्घोष से पूरा सरयू तट गूंज उठेगा, एवं लाखों श्रद्धालु उस क्षण के साक्षी बनेंगे जब अयोध्या एक बार फिर अपने गौरवशाली अतीत एवं भव्य वर्तमान को साथ बनाएंगे। इतना ही नहीं अयोध्या अब केवल धार्मिक स्थल नहीं रहा। यह धार्मिक, पर्यटन एवं व्यापार का त्रिकोण बनकर भी उभर गई जिसके सामाजिक और पर्यावरणीय पहलू भी हैं। पिछले 8 वर्षों में योगी सरकार ने दीपोत्सव को न सिर्फ धार्मिक आयोजन के दायरे से बाहर निकल गया, बल्कि इसे “सांस्कृतिक कूटनीति” का जरिया बना दिया। अयोध्या में दीपोत्सव के साथ-साथ शहर का सौंदर्यीकरण एवं बुनियादी ढांचा विकास अभूतपूर्व स्तर पर हो रहा है।
वहीं राम की पैड़ी अब पूरी तरह विश्वस्तरीय रूप में दिखाई देगी। वहीं 2324.55 लाख रुपये की लागत से बनी नई दर्शक दीर्घा में एक साथ 18 से 20 हजार लोग बैठ पाएंगे। यहां स्थापित भगवान राम, माता सीता एवं लक्ष्मण की विशाल पाषाण प्रतिमाएं सेल्फी पॉइंट के रूप में श्रद्धालुओं को आकर्षित करती है।
वित्त वर्ष 2024-25 में स्वीकृत 2367.61 लाख रुपये की नई परियोजना के अंतर्गत राम की पैड़ी और भी भव्य स्वरूप में नजर आने वाली है। यहां 8 छोटे एम्फीथिएटर, 6 पत्थर की छतरियां, 7 मीटर ऊंचे दीप स्तंभ एवं आकर्षक प्रकाश व्यवस्था का निर्माण किया जा रहा है। सरयू तट के लगभग 2।5 किलोमीटर लंबे इलाके में घाटों का जीर्णोद्धार का काम किया जा रहा है, जिस पर 2346.11 लाख रुपये खर्च हुए है। पत्थर की छतरियां, पूजा स्थल, इंटरप्रिटेशन वॉल एवं VIP पवेलियन इस इलाके को नया स्वरूप दे रहे हैं। UPPCL के परियोजना प्रबंधक मनोज शर्मा इस बारें में कहते है, “अयोध्या में जो काम हो रहे हैं, वे सिर्फ निर्माण नहीं बल्कि सांस्कृतिक पुनर्जागरण हैं। राम की पैड़ी और सरयू घाटों के सौंदर्यीकरण से अयोध्या की आत्मा को आधुनिकता के साथ जोड़ा गया है।”
इस वर्ष दीपोत्सव में 75,000 लीटर तेल एवं 55 लाख रुई की बत्तियों की आवश्यकता होगी। वहीं डॉ. राममनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय, अयोध्या दीपोत्सव का नोडल संस्थान है। विश्वविद्यालय ने प्रो। संत शरण मिश्र के निर्देशन में 22 समितियों को गठन कर दिया गया है। इनमें दीप गणना, सुरक्षा, यातायात, स्वच्छता, मीडिया, रंगोली और अनुशासन समितियां शामिल हैं।
तकरीबन 30 हजार स्वयंसेवक दीये जलाने से लेकर घाटों की सजावट तक के कार्यों में जुटे हुए हैं। प्रशासनिक अधिकारी के अनुसार कि इतनी बड़ी संख्या में दीयों को एक साथ प्रज्ज्वलित करना किसी युद्ध जैसी तैयारी की मांग करता है। इस बार अयोध्या में दीपोत्सव की तैयारियों में ही 100 करोड़ रुपए से अधिक का निवेश हुए है।
पर्यटन एवं अर्थव्यवस्था पर भी होगा असर :
दरअसल दीपोत्सव ने अयोध्या को धार्मिक पर्यटन के वैश्विक नक्शे पर लेकर आ गया है। यूपी राज्य पर्यटन विकास निगम (UPSTDC) ने इस वर्ष लखनऊ से अयोध्या तक एकदिवसीय विशेष पैकेज भी शुरू कर दिए गए है। वहीं यूपी राज्य पर्यटन विकास निगम (यूपीएसटीडीसी) बसों से 19 अक्टूबर को पर्यटकों को लेकर लखनऊ जाने वाला है एवं वहां दीपोत्सव और अन्य मंदिरों के दर्शन कराकर उसी दिन रात में लखनऊ वापस आ जाएगा। इसके लिए सभी बसें बुक हो चुकी हैं जिससे पर्यटकों के उत्साह का अनुमान भी लगाया जा सकता है।
पर्यटन मंत्री डॉ. जयवीर सिंह ने इस बारें में जानकारी दी है कि “दीपोत्सव सिर्फ एक उत्सव नहीं, यह एक भावना है। यह आयोजन लोगों को आस्था एवं प्रकाश के जरिए जोड़ता है एवं यूपी को विश्व पर्यटन का केंद्र बनाने की दिशा में अहम् कदम है।” इस यात्रा में स्थानीय गाइड यात्रियों को भगवान राम से जुड़ी कथाएं सुनाने वाले है। बीते वर्षों में इस यात्रा में परिवारों और वरिष्ठ नागरिकों की बड़ी भागीदारी भी देखने के लिए मिली है।