संसद का शीतकालीन सत्र सोमवार, 1 दिसंबर से शुरू होने जा रहा है और इससे पहले ही राजनीतिक माहौल गरमाता दिख रहा है। सरकार 19 दिसंबर तक चलने वाले इस छोटे लेकिन अहम सत्र में परमाणु ऊर्जा, उच्च शिक्षा सुधार, कॉर्पोरेट कानून से जुड़े बदलाव और अन्य महत्वपूर्ण नीतिगत मसलों पर कुल 10 विधेयक पास कराने की तैयारी में है। दूसरी ओर, विपक्ष ने सरकार को घेरने के लिए अपनी रणनीति मजबूत कर ली है, खासकर मतदाता सूची के विशेष पुनरीक्षण अभियान (SIR) को लेकर बड़े पैमाने पर विरोध की घोषणा कर दी है।
विपक्ष की तैयारी: TMC, DMK और SP ने खोल दिया मोर्चा
तृणमूल कांग्रेस, डीएमके और समाजवादी पार्टी ने संसद के भीतर और बाहर SIR के खिलाफ संयुक्त विरोध का फैसला लिया है। विपक्ष का आरोप है कि सरकार SIR की आड़ में मतदाता सूची में छेड़छाड़ कर रही है और बूथों की संख्या में गलत तरीके से बदलाव कर राजनीतिक लाभ लेना चाहती है। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सीधे सरकार पर आरोप लगाते हुए इसे “साजिश” बताया है। वहीं, डीएमके ने इसे 2026 विधानसभा चुनाव से पहले मतदाता आधार में बदलाव की कोशिश कहा। समाजवादी पार्टी ने संसद में जोरदार हंगामे की तैयारी कर ली है।
सरकार की रणनीति: उच्चस्तरीय बैठक में तय हुआ प्लान :
शीतकालीन सत्र को लेकर पूरे सरकारी तंत्र में गतिविधियां तेज हैं। बुधवार को रक्षामंत्री राजनाथ सिंह के आवास पर वरिष्ठ मंत्रियों के साथ एक महत्वपूर्ण बैठक हुई, जिसमें सरकार की रणनीति को अंतिम रूप दिया गया। इसके अलावा, संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने रविवार को सर्वदलीय बैठक बुलाकर विपक्ष से सदन की कार्यवाही सुचारू रूप से चलाने की अपील करने की योजना बनाई है। सरकार की प्राथमिकता इस सत्र में लंबित विधेयकों को पारित कराना और राष्ट्रीय मुद्दों पर व्यापक चर्चा करवाना है।
वंदे मातरम के 150 वर्ष पूरे, सदन में होगी विशेष चर्चा :
सरकार ने संकेत दिए हैं कि इस सत्र में वंदे मातरम के 150 वर्ष पूरे होने के अवसर पर विशेष चर्चा की जाएगी। प्रधानमंत्री पहले ही यह कह चुके हैं कि 1937 में कांग्रेस द्वारा गीत की कुछ पंक्तियों को हटाने से विभाजन की पृष्ठभूमि तैयार हुई थी। ऐसे में वंदे मातरम पर बहस सत्र की चर्चाओं का केंद्र बन सकती है।
SIR पर सरकार का रुख: यह चुनाव आयोग की प्रक्रिया, संसद में बहस नहीं
सरकार ने स्पष्ट कहा है कि SIR चुनाव आयोग की नियमित प्रक्रिया का हिस्सा है और इस पर संसद में कोई बहस संभव नहीं है। सरकार का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट पहले ही इसे आवश्यक व्यवस्था बता चुका है और इसलिए संसद के अधिकार क्षेत्र में इस पर चर्चा नहीं आती।bपिछले मानसून सत्र में भी SIR को लेकर कई बार सदन की कार्यवाही बाधित हुई थी। सरकार नहीं चाहती कि सत्र इस मुद्दे के कारण ठप पड़े।
विपक्ष के और मुद्दे: प्रदूषण, बेरोजगारी और संवैधानिक संशोधन बिल पर विवाद
SIR के अलावा कई अन्य मुद्दों पर भी विपक्ष सरकार को घेरने की तैयारी में है:
दिल्ली-NCR में बढ़ता वायु प्रदूषण, बेरोजगारी, परमाणु ऊर्जा और भारतीय उच्च शिक्षा आयोग से जुड़े बिल, चंडीगढ़ प्रस्तावित संविधान संशोधन बिल इन सभी मुद्दों पर विपक्ष संयुक्त रणनीति के तहत सरकार को मुश्किल में डालने की योजना बना रहा है।
क्या सत्र में होगा टकराव तेज? :
विश्वास जताया जा रहा है कि यह सत्र सरकार और विपक्ष के बीच तीखे विवादों से भरा रहेगा। जहां सरकार कह रही है कि वह किसी भी विषय पर चर्चा को तैयार है, वहीं विपक्ष SIR और अन्य मुद्दों पर सरकार को घेरने के लिए एकजुट हो चुका है। शीतकालीन सत्र के पहले ही दोनों पक्ष अपनी स्थितियां स्पष्ट कर चुके हैं—और यह संकेत साफ है कि आने वाले दिनों में संसद में बहस से ज्यादा टकराव देखने को मिल सकता है।