आखिर पीएम मोदी की किस परियोजन से चिंता में सोनिया गांधी

सोनिया गांधी ने ग्रेट निकोबार द्वीप परियोजना की कड़ी निंदा की, इसे "गंभीर और चिंताजनक" बताया। उन्होंने कहा कि यह परियोजना आदिवासी समुदायों के अधिकारों का उल्लंघन करती है और पर्यावरण को नुकसान पहुंचाएगी। उन्होंने सरकार से इस परियोजना को रोकने की मांग की है।

आखिर पीएम मोदी की किस परियोजन से चिंता में सोनिया गांधी

पीएम मोदी की निकोबार द्वीप परियोजना से नाराज है सोनिया गांधी

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Highlights

  • सोनिया गांधी ने ग्रेट निकोबार द्वीप पर प्रस्तावित मेगा-इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट को बताया चिंताजनक विषय।
  • मेगा-इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट की वजह से भूकंप और सुनामी का खतरा हो सकती है जान-माल की हानि।
  • निकोबार द्वीप पर प्रस्तावित मेगा-इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट के कारण लगभग 15% जंगल काटे जाएंगे।

नई दिल्ली : कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी ने ग्रेट निकोबार द्वीप पर प्रस्तावित मेगा-इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट को “गंभीर और चिंताजनक” बताया है। उनका इस बारें में कहना है कि यह प्रोजेक्ट न केवल आदिवासी समुदायों के अधिकारों का उल्लंघन करता है, बल्कि कानूनी प्रक्रियाओं और लोकतांत्रिक बातचीत की मर्यादाओं को भी ठेस पहुँचाता है।

आदिवासी समुदायों पर असर :

खबरों का कहना है कि एक प्रकाशित लेख में सोनिया गांधी ने लिखा कि ग्रेट निकोबार द्वीप पर दो प्रमुख आदिवासी समुदाय रहते हैं—निकोबारी और शोम्पेन। निकोबारी आदिवासियों के गांव इस प्रोजेक्ट की प्रस्तावित भूमि में आते हैं। 2004 की सुनामी के बाद ये लोग अपने गांव छोड़ने को मजबूर हुए थे। अब इस प्रोजेक्ट की वजह से वे अपने पूर्वजों की भूमि पर लौटने का सपना खो देंगे। शोम्पेन समुदाय का संकट और भी बड़ा है। उनके लिए बनाए गए विशेष नियमों के अनुसार, बड़े प्रोजेक्ट्स में उनकी सुरक्षा और भलाई सर्वोच्च प्राथमिकता होनी चाहिए। इसके बाद भी उनके आरक्षित वन क्षेत्र हटाए जा रहे हैं, जिससे उनका पारंपरिक जीवन खतरे में आ सकता है।

संस्थाओं को किया गया दरकिनार : 

इतना ही नहीं सोनिया गांधी ने अपनी बात को जारी रखते हुए लिखा है कि संविधान और कानून द्वारा बनाए गए आदिवासी अधिकारों की सुरक्षा करने वाले निकायों को इस पूरी प्रक्रिया से बाहर रखा गया। न तो राष्ट्रीय आयोग से सलाह ली गई और न ही आदिवासी परिषद के अध्यक्ष की राय सुनी गई।

पर्यावरण पर गहरा असर :

  • उन्होंने चेतावनी दी कि इस प्रोजेक्ट का पर्यावरणीय नुकसान बहुत बड़ा होगा।
  • अनुमान है कि लगभग 15% जंगल काटे जाएंगे, जिसमें 8.5 लाख पेड़ शामिल हैं।
  • स्वतंत्र रिपोर्ट्स का दावा है कि यह संख्या 32 से 58 लाख पेड़ों तक हो सकती है।
  • सरकार का प्रस्तावित “कंपेनसेटरी अफॉरेस्टेशन” इस क्षेत्र की जैव विविधता वाले जंगलों की भरपाई नहीं कर पाएगा।

अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए सोनिया गांधी ने यह भी कहा है कि प्रस्तावित पोर्ट एक संवेदनशील तटीय क्षेत्र (CRZ-1A) में बनाया जा रहा है, जहाँ कछुओं के घोंसले और प्रवाल भित्तियाँ मौजूद हैं। साथ ही यह इलाका भूकंप और सूनामी के लिहाज से भी जोखिम भरा है।

“सामूहिक अंतरात्मा को आवाज उठानी होगी”:

कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष ने जोर दिया कि जब शोम्पेन और निकोबारी समुदायों का अस्तित्व खतरे में हो, तब चुप रहना संभव नहीं है। उन्होंने कहा “हमारी जिम्मेदारी है कि हम भविष्य की पीढ़ियों और इस अद्वितीय पारिस्थितिकी तंत्र के प्रति अपने कर्तव्य का निर्वाह करें और इस अन्याय तथा राष्ट्रीय मूल्यों के खिलाफ आवाज उठाएँ।”

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