आखिर कौन होगा बिहार में सीएम पद के लिए दावेदार, राहुल के सामने हुआ दावेदारी का एलान

बिहार में 'वोटर अधिकार यात्रा' का पटना में समापन हुआ। अखिलेश यादव ने तेजस्वी यादव को महागठबंधन का सीएम चेहरा घोषित किया, जबकि कांग्रेस चुप। अखिलेश का बयान यूपी 2027 को ध्यान में रखकर दबाव की रणनीति। बीजेपी ने महागठबंधन को अस्थिर और भ्रष्ट बताया।

आखिर कौन होगा बिहार में सीएम पद के लिए दावेदार, राहुल के सामने हुआ दावेदारी का एलान

बिहार में सीएम पद के लिए सामने आया तेजस्वी और अखिलेश का नाम

Share:

Highlights

  • इंडिया ब्लॉक की यात्रा सासाराम से शुरू होकर 23 जिलों, 1300 किमी बाद पटना में समाप्त।
  • बिहार रैली में अखिलेश ने आगे किया तेजस्वी यादव का नाम।
  • 2024 में सपा-कांग्रेस गठबंधन की सफलता, बिहार यात्रा को कांग्रेस की रणनीति से जोड़ा गया।

पटना: बिहार विधानसभा चुनाव की औपचारिक एलान भले ही अभी बाकी हो, लेकिन प्रदेश का सियासी पारा तेजी से चढ़ा हुआ है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी एवं RJD नेता तेजस्वी यादव की जोड़ी ने 'वोटर अधिकार यात्रा' के माध्यम से चुनावी माहौल को अपने पक्ष में साधने का प्रयास किया। यात्रा के अंतिम पड़ाव में सपा प्रमुख अखिलेश यादव की एंट्री ने इस राजनीतिक equation को और रोचक बनाया।

पटना में यात्रा का समापन :

खबरों का कहना है कि 17 अगस्त को सासाराम से शुरू हुई इंडिया ब्लॉक की 'वोटर अधिकार यात्रा' ने 23 जिलों एवं तकरीबन 1300 किलोमीटर का सफर तय करने के बाद पटना में समापन किया। यात्रा के अंतिम पड़ाव पर अखिलेश यादव ने तेजस्वी यादव के साथ मंच भी शेयर किया। डेढ़ दिन की बिहार यात्रा के बीच अखिलेश ने तेजस्वी को सीएम पद का चेहरा मानने की खुलकर एलान कर दिया है।

कांग्रेस की चुप्पी, अखिलेश की हामी :

अब तक मिली जानकारी के अनुसार बिहार में कांग्रेस और RJD का गठबंधन तय है, लेकिन कांग्रेस ने अभी तक तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री चेहरा घोषित नहीं किया है। कई बार सवाल पूछे जाने के बावजूद राहुल गांधी ने इस मुद्दे पर चुप्पी साध रखी। वहीं, अखिलेश यादव ने राहुल और तेजस्वी की मौजूदगी में साफ कर दिया कि महागठबंधन की ओर से तेजस्वी ही मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार होंगे। इस बारें में अखिलेश ने कहा "तेजस्वी से बेहतर बिहार में कोई मुख्यमंत्री नहीं हो सकता। मैं हमेशा उनका साथ दूंगा और हर संभव मदद करूंगा।" इतना ही नहीं तेजस्वी यादव ने भी अखिलेश की मौजूदगी में उनकी सराहना करते हुए कहा कि यूपी में भारतीय जनता पार्टी को रोकने का श्रेय अखिलेश को है एवं बिहार में उनके अनुभव का लाभ मिलने वाला है।

कांग्रेस पर दबाव की रणनीति :

राजनीतिक विश्लेषकों का इस बारें में कहना है कि अखिलेश यादव ने यह घोषणा केवल बिहार तक सीमित रखने के लिए नहीं किया, बल्कि यूपी की सियासत को ध्यान में रखकर भी किया है। 2027 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस यदि यूपी में सीएम चेहरे को लेकर असमंजस की स्थिति बनाती है, तो सपा के लिए मुश्किल खड़ी हो सकती है। इसी संभावना को भांपते हुए अखिलेश ने बिहार से ही कांग्रेस पर दबाव बनाने का दांव चला।

बीजेपी का पलटवार :

इस बीच बिहार के डिप्टी सीएम और बीजेपी नेता सम्राट चौधरी ने महागठबंधन पर निशाना साधते हुए कहा कि कांग्रेस ने अभी तक तेजस्वी के नाम की घोषणा नहीं की है। उन्होंने दावा किया कि राहुल गांधी पर दबाव बनाने के लिए ही अखिलेश को बुलाया गया, लेकिन कांग्रेस इससे सहमत नहीं है। चौधरी ने तेजस्वी को भ्रष्टाचार मामलों में आरोपी बताते हुए महागठबंधन को अस्थिर करार दिया।

यूपी-बिहार में सियासी समीकरण:

2024 लोकसभा चुनाव में यूपी में कांग्रेस और सपा ने साथ मिलकर बीजेपी को कड़ी टक्कर दी थी। रायबरेली से राहुल गांधी की जीत और कांग्रेस के छह सांसदों ने पार्टी को नया आत्मविश्वास दिया। हालांकि, यूपी में कांग्रेस और सपा के बीच कई बार तल्ख बयानबाजी भी देखने को मिली। इसी पृष्ठभूमि में अखिलेश की बिहार यात्रा को यूपी 2027 के चुनावी समीकरणों से जोड़कर देखा जा रहा है।

विशेषज्ञ मानते हैं कि बिहार, यूपी और बंगाल जैसे राज्यों में कांग्रेस की पुरानी राजनीतिक ज़मीन पर ही क्षेत्रीय दल खड़े हुए हैं। आरजेडी, सपा और टीएमसी ने कांग्रेस के वोट बैंक को अपने पक्ष में साधा है। अब कांग्रेस अपनी जमीन दोबारा हासिल करने की कोशिश में है। बिहार की 'वोटर अधिकार यात्रा' इसी रणनीति का हिस्सा मानी जा रही है।

रिलेटेड टॉपिक्स