बिहार के बाद अब बंगाल में गरमाया SIR का मामला, राहुल गांधी ने साधा भाजपा पर निशाना

स्पेशल इंटेंसिव रिविजन (SIR) को लेकर बिहार से शुरू हुआ विवाद अब पश्चिम बंगाल तक पहुंच गया है। राहुल गांधी ने इसे लोकतंत्र पर हमला बताते हुए सरकार पर निशाना साधा। चुनाव आयोग इसे अवैध घुसपैठ रोकने के लिए जरूरी प्रक्रिया बता रहा है, जबकि TMC वैध मतदाताओं के प्रभावित होने की आशंका जता रही है

बिहार के बाद अब बंगाल में गरमाया SIR का मामला, राहुल गांधी ने साधा भाजपा पर निशाना

SIR को राहुल गांधी ने लोकतंत्र पर हमला बताते हुए सरकार पर निशाना साधा

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Highlights

  • बिहार के बाद अब पश्चिम बंगाल में SIR को लेकर विवाद।
  • SIR को राहुल गांधी ने बताया लोकतंत्र पर हमला।
  • चुनाव आयोग का कहना है कि SIR अवैध घुसपैठ और फर्जी मतदाताओं की पहचान के लिए जरूरी है।

बिहार विधानसभा चुनाव के दौरान स्पेशल इंटेंसिव रिविजन (SIR) को लेकर शुरू हुआ सियासी विवाद अब पड़ोसी राज्य पश्चिम बंगाल तक पहुंच गया है। बिहार में यह मामला इतना गरमाया कि सर्वोच्च न्यायालय तक चला गया था, लेकिन चुनाव परिणाम आते ही SIR अचानक राजनीतिक बहसों से गायब हो गया। हालांकि, जिस मुद्दे ने बिहार की राजनीति में गर्माहट पैदा की थी, वह अब बंगाल में नई राजनीतिक हलचल का कारण बन गया है।

राहुल गांधी ने SIR को बताया ‘अत्याचार’, सरकार पर साधा निशाना :

कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने SIR के मुद्दे पर केंद्र सरकार और चुनाव आयोग दोनों पर गंभीर आरोप लगाए हैं। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट करते हुए उन्होंने कहा कि SIR ने पूरे देश में अफरा-तफरी मचा दी है और इस प्रक्रिया की वजह से तीन हफ्तों में 16 BLO (Booth Level Officer) की मौत हो चुकी है। इनमें दिल का दौरा, आत्महत्या और तनाव जैसी वजहें सामने आई हैं।

राहुल गांधी ने लिखा कि SIR किसी प्रशासनिक सुधार का प्रयास नहीं, बल्कि एक "साजिश" है। उनके अनुसार: MSIR आम लोगों को प्रताड़ित करने की एक रणनीति है। BLO कर्मचारियों पर अनावश्यक दबाव बनाकर उन्हें मानसिक रूप से तोड़ा जा रहा है। यह असफलता नहीं बल्कि सत्ता पक्ष द्वारा रची गई चाल है, जिसके जरिए लोकतांत्रिक ढांचे को कमजोर किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि सरकार लोगों की नागरिकता और मताधिकार को खतरे में डालकर लोकतंत्र को कमजोर करने में लगी है।

बिहार में था बड़ा चुनावी मुद्दा

बिहार में विधानसभा चुनाव से पहले विपक्ष ने SIR प्रक्रिया को रोकने के लिए कई प्रयास किए थे। विपक्षी दलों ने इसे मताधिकार छीनने की कोशिश बताया था। सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करने से लेकर धरना और सड़क प्रदर्शन तक, विपक्ष पूरी तरह सक्रिय रहा। हालांकि, चुनाव आयोग ने साफ किया था कि मतदाता सूची का अद्यतन एक नियमित प्रक्रिया है और यह पहली बार नहीं किया जा रहा है। चुनाव आयोग का यह भी कहना था कि अगर कोई व्यक्ति वैध दस्तावेज प्रस्तुत करता है, तो उसके नाम पर कोई खतरा नहीं है।

SIR कराने की जरूरत क्यों पड़ी?

चुनाव आयोग ने पश्चिम बंगाल सहित 11 राज्यों में SIR करवाने का आदेश जारी किया है। इनमें कई राज्य म्यांमार और बांग्लादेश से सीमा साझा करते हैं। आयोग का कहना है कि इन क्षेत्रों में अवैध घुसपैठ की समस्या बढ़ती जा रही है, जिसके कारण बड़ी संख्या में विदेशी घुसपैठिए फर्जी दस्तावेज तैयार कर भारत के मतदाता सूची में शामिल हो जाते हैं।

SIR का मुख्य उद्देश्य:

  • फर्जी मतदाताओं की पहचान
  • अवैध शरणार्थियों की सूची छांटना
  • मतदाता सूची की शुद्धता सुनिश्चित करना

चुनाव आयोग ने दावा किया है कि यह कदम लोकतांत्रिक प्रक्रिया को मजबूत करने के लिए उठाया गया है।

बंगाल में TMC सक्रिय, ममता बनर्जी पेश करेंगी स्पष्टीकरण :

SIR पर उठे विवाद के बीच तृणमूल कांग्रेस (TMC) ने भी इसे बड़ा मुद्दा बनाने की तैयारी कर ली है। TMC के राष्ट्रीय महासचिव अभिषेक बनर्जी ने SIR पर विस्तृत चर्चा के लिए पार्टी की बैठक बुलाई है। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी मतुआ समुदाय के प्रतिनिधियों से मुलाकात कर उन्हें पूरी प्रक्रिया की जानकारी देंगी। TMC को आशंका है कि SIR के सहारे कई वैध मतदाताओं को भी सूची से बाहर किया जा सकता है। ममता बनर्जी की कोशिश रहेगी कि कोई भी वैध बंगाल निवासी मताधिकार से वंचित न हो।

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