NDA ने उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवार सीपी राधाकृष्‍णन को घोषित किया अपना उम्मीदवार

बीजेपी ने उपराष्ट्रपति चुनाव के लिए सीपी राधाकृष्णन को एनडीए उम्मीदवार घोषित किया। तमिलनाडु मूल के महाराष्ट्र राज्यपाल राधाकृष्णन के चयन से विपक्षी एकता पर असर पड़ सकता है। डीएमके और शिवसेना के लिए समर्थन की दुविधा है, क्योंकि तमिलनाडु में 2026 के चुनावों में यह मुद्दा बन सकता है।

NDA ने उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवार सीपी राधाकृष्‍णन को घोषित किया अपना उम्मीदवार

उपराष्ट्रपति पद के लिए बीजेपी ने दिया सीपी राधाकृष्णन का नाम

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Highlights

  • बीजेपी ने सीपी राधाकृष्णन को उपराष्ट्रपति पद के लिए चुना।
  • 2026 के तमिलनाडु चुनाव में बीजेपी इसे बड़ा मुद्दा बना सकती है।
  • एनसीपी (एसपी) विपक्षी महाविकास अघाड़ी के साथ मजबूती से खड़ी रहेगी।

नई दिल्ली : उपराष्ट्रपति चुनाव को लेकर भारतीय जनता पार्टी ने अपने उम्मीदवार के नाम की घोषणा कर दी है। NDA उम्मीदवार के तौर पर CP राधाकृष्णन के नाम पर मुहर लगाई जा चुकी है, लेकिन विपक्ष ने अब तक अपने पत्ते किसी के सामने नहीं खोले है, वहीं भारतीय जनता पार्टी ने CP राधाकृष्णन के नाम की घोषणा की NDA को एकजुट रखने के साथ-साथ विपक्षी किले में भी सेंधमारी का दांव भी चला। भारतीय जनता पार्टी संसदीय बोर्ड की बैठक के पश्चात पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने राधाकृष्णन के नाम का ऐलान करते हुए बोला है कि विपक्ष के साथ भी बातचीत कर उनके नाम पर सर्वसम्मति बनाने का प्रयास करने वाले है। NDA की एवं से उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के तौर पर राधाकृष्णन को उतारना मास्टर स्ट्रोक कहा जा रहा है।

इतना ही नहीं पीएम नरेंद्र मोदी का हर एक फैसला राजनीतिक लिहाज से बहुत महत्वपूर्ण होता है। ऐसे में राधाकृष्णन का चयन के पीछे भारतीय जनता पार्टी की सोची-समझी रणनीति भी कही जा रही है। CP राधाकृष्णन दक्षिण भारत के तमिलनाडु से आते हैं और फिलहाल महाराष्ट्र के राज्यपाल हैं। इस तरह से भाजपा ने उन्हें उम्मीदवार बनाकर DMK और AIDMK  में सेंधमारी करने के साथ-साथ उद्धव ठाकरे की शिवसेना को भी कशमकश में डाल रखा है ।

राष्ट्रपति-उपराष्ट्रपति चुनाव में हुई सेंधमारी : 

देश में राष्ट्रपति या उपराष्ट्रपति चुनाव में सत्तापक्ष ने हमेशा विपक्षी खेमे में सेंधमारी की है, चाहे वह कांग्रेस नीत यूपीए का दौर हो या वर्तमान बीजेपी नीत एनडीए का। खबरों का कहना है कि  UPA ने वर्ष  2007 के राष्ट्रपति चुनाव में प्रतिभा देवीसिंह पाटिल को उम्मीदवार चुन लिया गया, जिनके विरुद्ध  NDA से भैरों सिंह शेखावत चुनाव में खड़े हुए थे। इतना ही नही प्रतिभा पाटिल महाराष्ट्र की होने के नाते शिवसेना ने NDA गठबंधन का भाग होते हुए भी UPA  को वोट दे दिया। इतना ही नहीं इसी तरह 2012 के राष्ट्रपति चुनाव में UPA ने प्रणब मुखर्जी को जब उम्मीदवार बना दिया गया था, तब भी NDA का भाग होने के बाद भी शिवसेना और JDU ने UPA को वोट किया था।

खबरों का कहना है कि वर्ष 2017 के राष्ट्रपति चुनाव में NDA ने राम नाथ कोविंद को राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बना दिया था, तब JDU ने विपक्ष में रहते हुए भी उनका समर्थन किया था क्योंकि वे बिहार के राज्यपाल रहे। इसके पश्चात 2022 में उपराष्ट्रपति पद के चुनाव में NDA ने जगदीप धनखड़ को अपना उम्मीदवार बनाया था तो कांग्रेस की तरफ़ से मार्गरेट अल्वा विपक्षी उम्मीदवार रहे। इसके पश्चात भी TMC ने मतदान में भाग नहीं लिया था जबकि धनखड़ के साथ ममता की अदावत जगजाहिर हो चुकी है। 

उड़ गई उद्धव और स्टालिन की नींद : 

खबरों का कहना है कि तमिलनाडु से आने वाले CP राधाकृष्णन एनडीए के संयुक्त उम्मीदवार हैं, जो अभी महाराष्ट्र के राज्यपाल हैं। ऐसे में उद्धव ठाकरे की शिवसेना एवं MK स्टालिन की DMK कशमकश की स्थिति में आ चुके है। स्टालिन एवं उद्धव दोनों ही विपक्षी खेमे में बने हुए है। पीएम नरेंद्र मोदी ने CP राधाकृष्णन का नाम आगे बढ़ाकर इन दोनों नेताओं के लिए मुश्किलें और भी ज्यादा बढ़ा दी है।

उद्धव ठाकरे के लिए  ये बाटर बेहद ही कठिन है कि अगर वे राधाकृष्णन को समर्थन नहीं देते हैं, तो यह सीधा मैसेज जाएगा कि उन्होंने अपने ही राज्यपाल के विरुद्ध जाकर वोट कर दिया। यही कारण है कि शिवसेना (UBT) के नेता संजय राउत ने इस बारें में कहा है कि "CP राधाकृष्णन बहुत अच्छे इंसान हैं, वे विवादास्पद नहीं हैं और उनके पास अनुभव है। मैं उन्हें शुभकामनाएँ देता हूँ।" संजय राउत के बयान से साफ हो चुका है कि उद्धव ठाकरे के सामने NDA कैंडिडेट का खुलकर विरोध करना आसान नहीं होने वाला है।

वहीं, बीजेपी ने तमिलनाडु की सियासत में भी DMK और AIDMK की टेंशन बढ़ा दी है। तमिलनाडु में क्षेत्रीय अस्मिता बहुत अहम् है। ऐसे में MK स्टालिन के लिए राधाकृष्णन के नाम का विरोध करना आसान नहीं होने वाला। इसी तरह से AIDMK के लिए भी NDA के विरुद्ध जाना कठिन होने वाला है।

मीडिया रिपोर्ट्स की माने तो उपराष्ट्रपति चुनाव में NDA की तरफ़ से CP राधाकृष्णन को उम्मीदवार बनाए जाने के पश्चात कांग्रेस के नेतृत्व वाले 'INDIA' ब्लॉक के लिए आपसी एकता बनाए रखने की चुनौती सामने आ चुकी है। विपक्ष संयुक्त उम्मीदवार उतारकर NDA को टेंशन और भी ज्यादा बढ़ाना चाहता है, इतना ही नहीं  राधाकृष्णन की उम्मीदवारी होने के बाद 'इंडिया' ब्लॉक में भी चिंता कई गुना बढ़ गई है।

इतना ही नहीं DMK के पास लोकसभा और राज्यसभा में कुल 32 सांसद हैं। तमिलनाडु की सबसे बड़ी पार्टी होने के नाते उसे यह दुविधा रहेगी कि वह एनडीए उम्मीदवार का समर्थन करे या नहीं। यह दुविधा इसलिए भी है, क्योंकि अगले साल तमिलनाडु में चुनाव हैं, और बीजेपी व एआईएडीएमके इसे बड़ा मुद्दा बना सकते हैं।

CP राधाकृष्णन के नाम से विपक्षी एकता कमजोर पड़ सकती है। 2022 में टीएमसी ने मतदान में हिस्सा न लेकर कांग्रेस को झटका दिया था। अब कांग्रेस के सामने फिर से सियासी चुनौती है। यह देखना होगा कि उपराष्ट्रपति चुनाव में उद्धव ठाकरे और एमके स्टालिन क्या रुख अपनाते हैं।

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