लखनऊ: यूपी में होने वाले वर्ष 2027 के विधानसभा चुनाव से पूर्व ही सियासी एक्सरसाइज शुरू हो चुकी है. इतना ही नहीं यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के दिल्ली से लौटने के पश्चात सोमवार को भारतीय जनता पार्टी के पूर्व सांसद बृजभूषण शरण सिंह ने सीएम आवास पर जाकर उनसे मुलाकात की. 31 माह के पश्चात बृजभूषण और सीएम योगी के मध्य सियासी केमिस्ट्री एक बार फिर से बनती हुई दिखाई दे रही है, जिसके राजनीतिक मायने भी तलाशे जाने लग गए है.
खबरों का कहना है कि बृजभूषण शरण सिंह एवं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ दोनों ही पूर्वांचल से आते हैं और ठाकुर समुदाय से ही है. इतना ही नहीं मुख्यमंत्री योगी जिस गोरख पीठ के महंत है, बृजभूषण सिंह कभी उसी मठ के महंत रहे अवैधनाथ के बहुत ही करीबी है. इस तरह महंत अवैधनाथ को योगी और बृजभूषण दोनों के सियासी गुरु कहे जाते है.
मीडिया रिपोर्ट्स में कहा गया है कि पूर्वांचल की सियासत में सीएम योगी और बृजभूषण सिंह दोनों नेताओं की अपनी-अपनी सियासी हनक हैं, पर बीते 3 वर्ष से उनके रिश्ते में सियासी दूरियां भी आई, इतना ही नहीं लोकसभा चुनाव में बृजभूषण सिंह केवल अपने बेटे की कैसरगंज सीट तक ही सीमित थे. वर्ष 2024 में राजपूत वोटों की नारजगी की भरपाई भारतीय जनता पार्टी को करनी पड़ीं, बृजभूषण सिंह अब मुख्यमंत्री योगी के साथ अपने रिश्ते सुधारने में लगे हुए है, जिसके लिए ही 31 माह के पश्चात दोनों नेताओं की मुलाकात हुई है. मीडिया रिपोर्ट्स की माने तो बृजभूषण एवं मुख्यमंत्री योगी की सियासी तालमेल बनेगा 'ठाकुर पॉलिटिक्स' को मिलेगी नई धार?
कैसे है मुख्यमंत्री योगी एवं बृजभूषण के आपसी रिश्ते :
भारतीय जनता पार्टी के सांसद रहे बृजभूषण शरण सिंह एवं सीएम योगी के मध्य तकरीबन 3 वर्षों से सियासी रिश्ते कुछ खास नहीं थे, वहीं वर्ष 2019 लोकसभा चुवान के पश्चात दोनों नेताओं को एक साथ किसी ने भी नहीं देखा, वर्ष 2022 में मुख्यमंत्री योगी के एक कार्यक्रम में आमंत्रित न किए जाने से बृजभूषण गुस्सा दिखाई दिए थे, साथ ही साथ उनके मध्य वार्तालाप भी बंद हो चुकी थी, इतना ही नहीं बृजभूषण खुलकर मुख्यमंत्री योगी की बुलडोजर नीति की निंदा और सपा प्रमुख अखिलेश यादव की तारीफ करते हुए दिखाई दिए थे.
वर्ष 2027 के विधानसभा चुनाव की सियासी बढ़ती सियासी तपिश के मध्य बृजभूषण शरण सिंह और सीएम योगी की तनातनी को भारतीय जनता पार्टी अच्छा नहीं मान रही थी. ऐसे में दिल्ली से भारतीय जनता पार्टी हाईकमान एवं बृजभूषण का परिवार दोनों दिग्गज नेताओं के आपसी रिश्ते सुधारने की कोशिश की है. यही कारण है कि दिल्ली में सीएम योगी की भारतीय जनता पार्टी नेतृत्व से मीटिंग के पश्चात बृजभूषण शरण सिंह उनसे मिलने के लिए गए हुए थे. 31 माह के पश्चात 2 ठाकुर नेताओं की मुलाकात ने सूबे के ठाकुर समुदाय को हौसले को और भी ज्यादा बुलंद कर दिया है.
योगी-बृजभूषण की केमिस्ट्री एक बार फिर आएगी नजर
अब तक मिली जानकारी के अनुसार बृजभूषण शरण सिंह भी गोरक्षनाथ पीठ से जुड़े हुए हैं, जिसके महंत सीएम योगी आदित्यनाथ है. राम मंदिर आंदोलन के समय बृजभूषण सिंह ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के गुरु महंत अवैद्यनाथ के साथ मिलकर आवाज बुलंद की. सीएम योगी का सियासी दबदबा गोरखपुर बेल्ट में है तो बृजभूषण की सियासी खनक देवीपाटन मंडल में देखने के लिए मिलती है. ऐसा भी कहा जा रहा है कि दिल्ली में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की बीजेपी हाईकमान से हुई मुलाकातों ने इन दोनों को साथ आने पर मजबूर कर डाला है.
खबरों का कहना है कि बृजभूषण सिंह के पुत्र करन भूषण सिंह ने बीते दिनों सीएम के साथ मुलाकात की थी, इतना ही नहीं इस बीच बृजभूषण एवं मुख्यमंत्री योगी की फोन पर बात भी करवाई गई थी, इसके पश्चात सोमवार यानि 21 जुलाई 2025 को बृजभूषण ने मुख्यमंत्री योगी से मिलाकर अपने गिले-शिकवे भी दूर हो चुके है. बृजभूषण सिंह ने अपनी तरफ से पहल भी शुरू कर दी है एवं अब मुख्यमंत्री योगी भी आगे बढ़ते हैं तो पूर्वांचल की सियासत में दोनों ठाकुर नेताओं की सियासी केमिस्ट्री फिर से देखने के लिए मिल सकती है.
इतना ही नहीं पूर्वांचल की राजनीति में बृजभूषण का अब भी बहुत बड़ा नाम है, वहीं गोंडा ही नहीं बल्कि देवीपाटन मंडल में उनका प्रभाव काफी है, वह 6 बार सांसद भी रहें है, एवं ठाकुर बाहुबली नेता के रूप में जमीनी पकड़ रखते है, उत्तरप्रदेश के सीएम बनने के पश्चात योगी का सियासी कद और भी ज्यादा बढ़ गया, इसके बाद गोरखपुर ही नहीं बल्कि पूरे पूर्वांचल के बेल्ट में उनकी पकड़ मजबूत हो चुकी है. इतना ही नहीं योग ठाकुर ही नहीं बल्कि हिंदुत्व का चेहरा बनकर उभरे हैं जबकि बृजभूषण सिंह को ठाकुर नेता कहा जाता है.
UP की राजनीति में कैसा है ठाकुरों का वर्चस्व :
खबरों का कहना है कि यूपी की राजनीति में भारत की आजादी के पश्चात ही जमीदारों एवं रजवाड़ों का वर्चस्व रहा है. उत्तर प्रदेश के पहले ठाकुर मुख्यमंत्री वीपी सिंह इलाहाबाद के मांडा के राज परिवार से थे और बाद में प्रधानमंत्री बन गए. वहीं कुंडा से विधायक राजा भैया भदरी के राज परिवार से नाता रखते है देश के आठवें प्रधानमंत्री चंद्रशेखर भी बलिया के एक शक्तिशाली जमींदार परिवार से थे.
वहीं कालाकंकर के राजा दिनेश विदेश कांग्रेस के दिग्गज नेता मंत्री रहें. इतना ही नहीं ठाकुर समुदाय से आने वाले राजनाथ सिंह देश के रक्षामंत्री है और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ यूपी के मुख्यमंत्री हैं.
उत्तर प्रदेश में आखिर कितनी बदल सकती है सियासत? :
यूपी में तकरीबन 6 प्रतिशत राजपूत समाज है, वर्ष 2017 के उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव में 60 से अधिक राजपूत विधायक पद जीतने में कामयाब थे, इतना ही नहीं वर्ष 2022 में 49 ठाकुर विधायक बने थे, वहीं बृजभूषण सिंह और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की यह मुलाकात सिर्फ 2 नेताओं की भेंट नहीं, बल्कि ठाकुर सियासत भी एक नई शुरुआत भी कही जा रही है. योगी और बृजभूषण सिंह के मध्य रिश्ते बेहतर होते हैं तो ठाकुर वोट भारतीय जनता पार्टी के पक्ष में एकजुट हो सकते है.
खबरों का कहना है कि सीएम योगी एवं राजनाथ सिंह के रूप में भारतीय जनता पार्टी के पास ठाकुर नेता है, जिनके सामने सपा के पास कोई दमदार ठाकुर चेहरा नहीं रहा. ऐसे में बृजभूषण सिंह के साथ आने से ठाकुर राजनीति भाजपा की और भी मजबूत होगी. यूपी में पहले से ही करणी सेना अलग-अलग जिलों में सक्रिय है. इस बात का तो इतिहास भी गवाह है कि आजादी के पश्चात से उत्तरप्रदेश में सत्ता में कोई भी हो ठाकुर हमेशा से ही प्रभावी रहें. उत्तर प्रदेश की सियासत में भले ही ठाकुर छह प्रतिशत ही, लेकिन राजनीतिक रूप से बहुत शक्तिशाली है. यही कारण है कि हमेशा से ठाकुर अपनी आबादी की तुलना में दो गुना विधायक और सांसद चुन लिए जाते है. इसीलिए भारतीय जनता पार्टी पूर्वांचल के दो ठाकुर नेताओं की सियासी केमिस्ट्री को बनाने में जुट गई है ताकि 2027 में सत्ता की हैट्रिक लगाई जा सके.