नई दिल्ली : करीब एक करोड़ से ज्यादा केंद्रीय वेतनभोगी कर्मचारियों एवं पेंशनधारकों के बहुत बड़ी खबर है। सेंट्रल गवर्नमेंट ने मंगलवार यानी 28 अक्टूबर 2025 को औपचारिक रूप से 8वें वेतन आयोग के गठन को मंजूरी दे दी है। सुप्रीम कोर्ट की पूर्व जस्टिस रंजना प्रकाश देसाई आयोग की चेयरमैन होने वाली है, जबकि IIM बेंगलुरू के प्रोफेसर पुलक घोष एवं पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय (MoPNG) के सचिव पंकज जैन को इसके सदस्य के रूप में नियुक्त कर दिया गया है।
सिफारिशें भेजने के लिए 18 माह का वक्त :
आयोग अपनी सिफारिशें आने वाले 18 माह के भीतर सरकार को सौपने वाला है, इसके पश्चात वेतन एवं पेंशन में बढ़ोतरी साल 2027 से लागू हो जाएगी। कैबिनेट की बैठक के पश्चात जारी प्रेस नोट में इस बारें में जिक्र किया गया है कि 8वें वेतन आयोग के लिए टर्म ऑफ रेसरेंस को मंजूरी मिल चुकी है। वेतन आयोग में एक अध्यक्ष, एक सदस्य (पार्ट टाइम) और एक सदस्यीय सेक्रेटरी होने वाले है। इसके गठन के पश्चात सिफारिशें भेजने के लिए वेतन आयोग को 18 माह का वक़्त प्रदान किया गया है।
NC-JCM (स्टाफ साइड) सेक्रेटरी शिव गोपाल मिश्रा का इस बारें में कहना है कि 8वें वेतन आयोग को लागू करने में भले ही देरी भी देखने के लिए मिल सकती है, लेकिन यह 1 जनवरी 2026 से ही प्रभावी माना जा रहा है। यानी, इसमें अगर देरी होती है तो फिर 1 जनवरी 2026 से स्टाफ को एरियर जोड़कर प्रदान किया जा सकता है।
2027 में एरियर के साथ बढ़ा वेतन! :
इसके पूर्व जब 7वें वेतन आयोग को लागू जार दिया गया था, उस वक़्त भी देरी देर हो गई थी एवं सभी कर्मचारियों एवं वेतनभोगियों को एरियर प्रदान किया गया था। केन्द्र सरकार के कर्मचारियों एवं पेंशनधारकों को रिप्रजेंट करने वाले फोरम NC-GCM की ओर से जनवरी माह में ही सेंट्रल गवर्नमेंट को टर्म ऑफ़ रेफरेंस सौंप दिया गया था।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार देश में बढ़ती महंगाई एवं अन्य चीजों को देखते हुए हर 10 वर्ष पर नए वेतन आयोग का गठन कर दिया गया था, इसमें केन्द्रीय कर्मचारियों के वेतन, भत्ते एवं अन्य सुविधाओं को संशोधित कर दिया गया था। इस हिसाब से यदि देखें जाए तो 1 जनवरी 206 से आठवें वेतन आयोग को प्रभावी माना जाएगा।
इस वर्ष जनवरी में 8वें वेतन आयोग के गठन की घोषणा कर दी है, लेकिन केंद्रीय कैबिनेट से मंजूरी मिलने में तकरीबन 10 माह का वक़्त लग गया। इस देरी को लेकर सरकारी कर्मचारियों और उनके संगठनों में नाराजगी के स्वर उठ रहे थे।