चीन कर रहा बड़ा एक्सपेरिमेंट, इंसानों की जगह अब रोबोट पैदा करेंगे बच्चे

चीन की काइवा टेक्नोलॉजी वर्ष 2026 तक कृत्रिम गर्भाशय वाला प्रेगनेंसी रोबोट लॉन्च करने वाली है, जो इंसानी बच्चे को जन्म दे सकेगा। यह तकनीक बांझपन और समयपूर्व जन्म के लिए मददगार हो सकती है, लेकिन नैतिक, कानूनी और सामाजिक चुनौतियां बनी हुई हैं। पूर्ण गर्भावस्था दोहराना अभी जटिल है।

चीन कर रहा बड़ा एक्सपेरिमेंट, इंसानों की जगह अब रोबोट पैदा करेंगे बच्चे

इंसानों की जगह अब रोबोट देंगे बच्चों को जन्म

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Highlights

  • चीन की काइवा टेक्नोलॉजी 2026 तक कृत्रिम गर्भाशय वाला रोबोट बनाएगी।
  • अब इंसान नहीं बल्कि रोबोट पैदा करेंगे बच्चे ।
  • रोबोट के माँ बनने से पारिवारिक संरचना पर उठ रहा सवाल।

चीन में वैज्ञानिक विश्व का प्रथम ऐसा प्रेगनेंसी रोबोट बनाने में लगे हुए है, जो इंसानी बच्चे को गर्भ में रखकर जन्म दे सकेगा। यह सुनने में किसी साइंस-फिक्शन मूवी की स्टोरी की तरह ही लगता है, लेकिन क्या यह सच हो सकता है? आखिर इस बारें में साइंस का क्या कहना है? क्या भविष्य में ऐसा होना मुमकिन है ? यदि  रोबोट इंसानी बच्चे पैदा करने लग जाएंगे तो इसका समाज पर आखिर किस तरह का प्रभाव पड़ेगा ?

जानिए क्या है रोबोट प्रेगनेंसी ? :

खबरों का कहना है कि चीन की कंपनी काइवा टेक्नोलॉजी के संस्थापक डॉ. झांग क्यूफेंग के नेतृत्व में ऐसा ह्यूमनॉइड रोबोट का निर्माण करने जा रहा है, जिसमें कृत्रिम गर्भाशय (आर्टिफिशियल वॉम्ब) होने वाला है। यह रोबोट गर्भधारण से लेकर बच्चे के जन्म देने तक की प्रक्रिया को पूरा करने में सक्षम होगा। खबरों का कहना है कि इस कृत्रिम गर्भाशय में कृत्रिम एम्नियोटिक फ्लूइड (गर्भ में बच्चे को पोषण देने वाला तरल) भी मौजूद होगा, एवं एक ट्यूब के माध्यम से भ्रूण को पोषक तत्व भी मिलने वाले है। डॉ। झांग का दावा है कि यह तकनीक लगभग पूरा हो जाएगा। वर्ष 2026 तक इसका प्रोटोटाइप बनकर तैयार हो जाएगा, जिसकी कीमत लगभग 10 लाख रुपये (100,000 युआन) होने वाली है।

वैज्ञानिक रूप से ऐसा हो सकता है क्या :

आर्टिफिशियल यूट्रस की तकनीक बिलकुल भी नई नहीं है। वहीं वर्ष 2017 में अमेरिका के चिल्ड्रन्स हॉस्पिटल ऑफ फिलाडेल्फिया के वैज्ञानिकों ने एक बायोबैग का निर्माण किया गया था, जिसमें वक़्त से पूर्व  जन्मे बच्चे को कई सप्ताहों तक जीवित रखा गया इस बायोबैग में कृत्रिम एम्नियोटिक फ्लूइड और पोषक तत्वों की आपूर्ति रही, इससे मेमने का विकास हुआ और वह स्वस्थ था लेकिन यह तकनीक अभी तक इंसानी भ्रूण के लिए पूरी तरह तैयार नहीं हो पाए है गर्भधारण की प्रक्रिया बहुत ही कठिन है, इसमें कई चरण शामिल है...

  • निषेचन (फर्टिलाइजेशन): अंडाणु और शुक्राणु का संयोजन। रोबोट में इस प्रक्रिया का अनुकरण अभी अस्पष्ट है।
  • भ्रूण प्रत्यारोपण (इम्प्लांटेशन): भ्रूण का गर्भाशय में स्थापित होना। यह जटिल जैविक प्रक्रिया कृत्रिम रूप से दोहराना अभी कठिन है।
  • गर्भावस्था (जेस्टेशन): भ्रूण को 9 महीने तक पोषण। कृत्रिम गर्भाशय में संभव, पर मां के हार्मोन और प्रतिरक्षा प्रणाली को दोहराना चुनौतीपूर्ण।
  • जन्म (डिलीवरी): बच्चे का सुरक्षित जन्म। तकनीकी रूप से संभव, लेकिन सटीक नियंत्रण आवश्यक।
  • वैज्ञानिकों का मानना है कि कृत्रिम गर्भाशय समयपूर्व शिशुओं को बचाने में सहायक हो सकता है, लेकिन पूरी गर्भधारण प्रक्रिया को दोहराना अभी दूर की बात है। छोटे जानवरों (जैसे चूहे) के लिए 5-10 साल में संभव, पर इंसानों के लिए दशकों लग सकते हैं।

निकट भविष्य में क्या संभव है? :

इस बारें में डॉ. झांग का दावा है कि वर्ष 2026 तक प्रोटोटाइप तैयार कर दिया जाएगा। हालांकि, यह केवल एक प्रारंभिक मॉडल होगा, इसका परीक्षण सबसे पहले जानवरों पर किया जाने वाला है,  इंसानी बच्चे पैदा करने के लिए इसे और विकसित करना होगा।

बांझपन से मिलेगी निजात: चीन में बांझपन की दर वर्ष 2007 के 11.9% से बढ़कर 2020 में 18 प्रतिशत हुई। रोबोटिक तकनीक उन दंपतियों के लिए सहायक हो सकती है जो प्राकृतिक रूप से गर्भधारण नहीं कर सकते।

सीमित इस्तेमाल : प्रारंभ में, यह तकनीक समयपूर्व जन्मे शिशुओं को बचाने या गर्भावस्था की शारीरिक प्रक्रिया से बचने वालों के लिए होने वाली है। हालांकि, पूर्ण गर्भावस्था को दोहराने के लिए अभी वैज्ञानिक और नैतिक चुनौतियां अब भी बची हुई है।

क्या होगा जब रोबोट से पैदा होंगे बच्चे ? :

मान लीजिए यदि ये तकनीक कामयाब हो जाती है तो इसके कई तरह के सामाजिक, नैतिक एवं क़ानूनी प्रभाव देखने के लिए मिलेंगे...

सामाजिक परिवर्तन : 

महिलाओं की भूमिका: कुछ लोगों का ये कहना है कि ये तकनीक महिलाओं को गर्भावस्था के शारीरिक बोझ से मुक्ति भी दिलवा सकती है। हालांकि, नारीवादी कार्यकर्ता जैसे एंड्रिया ड्वॉर्किन ने चेतावनी दी थी कि यह महिलाओं की भूमिका को कमजोर कर देगी।

पारिवारिक संरचना: बिना मां के जन्मे बच्चे माता-पिता और शिशु के बीच भावनात्मक संबंध प्र भी प्रश्न उठेगा कि एक बिन माँ बाप के बच्चे को प्यार कैसे दिया जाएगा।
जनसंख्या समाधान: यह तकनीक कम जन्म दर वाले देशों में जनसंख्या कमी को परेशान को तेजी से हल करने में मददगार साबित हो सकती है।

नैतिक प्रश्न :

  • मां-बच्चे का रिश्ता: मां के साथ प्राकृतिक संबंध न होने से बच्चे के मानसिक और भावनात्मक विकास पर प्रभाव तेजी से पड़ सकता है।
  • अंडाणु और शुक्राणु का स्रोत: अंडाणु और शुक्राणु के स्रोत पूरी तरह से स्पष्ट नही है, जिससे अवैध व्यापार का जोखिम और भी ज्यादा बढ़ जाएगा।
  • बच्चों पर मनोवैज्ञानिक प्रभाव: रोबोट से जन्मे बच्चों को यह जानकर मनोवैज्ञानिक परेशानी हो सकती हैं कि उनका जन्म मां के गर्भ से नहीं होगा।

कानूनी चुनौतियां :

  • नियम-कानून: चीन में मानव भ्रूण को कृत्रिम गर्भाशय में दो सप्ताह से अधिक विकसित करना अवैध है। इस तकनीक के लिए नए कानूनों की जरूरत होने वाली।
  • नैतिकता पर बहस: कुछ लोग इसे अप्राकृतिक और क्रूर कहते है, क्योंकि यह बच्चे को मां के प्राकृतिक संबंध से वंचित करता है।
  • स्वास्थ्य और सुरक्षा: मां के गर्भ में हार्मोन और प्रतिरक्षा प्रणाली भ्रूण के विकास में बेहद ही अहम् है। इन्हें कृत्रिम रूप से दोहराना अभी असंभव है। तकनीकी त्रुटि से बच्चे के स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव पड़ सकता है।

क्या कहता है साइंस? :

वैज्ञानिक समुदाय कृत्रिम गर्भाशय तकनीक को लेकर उत्साहित परंतु ज्यादा से ज्यादा सतर्क है। विशेषज्ञों का इस बारें में कहना है कि यह तकनीक समयपूर्व जन्मे शिशुओं के लिए लाभकारी हो सकती है, लेकिन पूर्ण गर्भावस्था को दोहराना अभी जटिल है। मां के गर्भ में होने वाली जैविक प्रक्रियाएं, जैसे हार्मोन स्राव और प्रतिरक्षा प्रणाली की भूमिका, कृत्रिम रूप से पूरी तरह अनुकरण करना बेहद ही मुश्किल है।

इतना ही वर्ष 2017 के बायोबैग प्रयोग ने दिखाया कि वक़्त से पहले जन्म लेने वाले मेमने को जीवित रखना संभव है, लेकिन इंसानी भ्रूण के लिए यह तकनीक अभी प्रारंभिक चरण में अब भी बने हुए है। इसे इंसानों के लिए सुरक्षित बनाने में कम से कम 10-20 वर्ष लगेंगे।

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