कब्ज ,बवासीर और डायबिटीज को न करें नजरअंदाज नहीं तो बढ़ जाएगी परेशानी…!

कब्ज, बवासीर और डायबिटीज के लिए भोपाल में विशेषज्ञ डॉक्टर उपलब्ध हैं। कब्ज के लिए गैस्ट्रोएंटरोलॉजिस्ट और आयुर्वेद विशेषज्ञ, बवासीर के लिए लेजर सर्जरी और गैर-सर्जिकल उपचार विशेषज्ञ, और डायबिटीज के लिए अनुभवी चिकित्सक परामर्श देते हैं।

कब्ज ,बवासीर और डायबिटीज को न करें नजरअंदाज नहीं तो बढ़ जाएगी परेशानी…!

कब्ज और बवासीर को दूर करने के लिए अपनाएं घरेलु उपाए

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Highlights

  • कब्ज, बवासीर और डायबिटीज की शिकायत को न करें नजरअंदाज।
  • फाइबर युक्त भोजन के सेवन से मिलती है बवासीर से राहत।
  • गर्म दूध के साथ अमलतास का सेवन देता है कब्ज, बवासीर और डायबिटीज से राहत।

कब्ज, बवासीर और डायबिटीज ऐसी परेशानियां है जिनसे हर कोई वाकिफ है, इन्ही परेशानियों से छुटकारा पाने के लिए डॉक्टर के पास जाते है लेकिन फिर भी इस परेशानी से निजात नहीं मिल पाती, पर हम सभी के घरों पर नानी और दादी के नुस्खे जरूर होते है, वैसे तो अमलतास को एक चमत्कारी आयुर्वेदिक औषधि कहा जाता है, जिसका इस्तेमाल करके दर्जनों बीमारियों का भी उपचार किया जाता है। यह कब्ज, बवासीर और डायबिटीज जैसी परेशानियों से छुटकारा दिलाती है। इसके साथ साथ स्किन से जुड़ी परेशानियों को भी दूर करने में सहायता मिलती है।

अमलतास से पाइल्स जैसी बीमारी से मिलता है छुटकारा : 

अमलतास के सेवन से पाईल्स की समस्या को नियंत्रित किया जा सकता है। अमलतास के सेवन से बवासीर वाले हिस्से में होने वाली सूजन से राहत मिलती है, वैसे तो अमलतास का सेवन स्किन से जुड़ी परेशानियों के लिए भी किया जाता है, जैसे कि मुहांसे होना या फिर स्किन एलर्जी होना आदि। 

गर्म दूध के साथ भी कर सकते है अमलतास का सेवन :

आयुर्वेदिक चिकितस्क का खाना है कि अमलतास का चूर्ण बनाकर आप गर्म दूध और पानी के साथ नियमित रूप से सेवन करते है तो, आपको पाईल्स एवं त्वचा सम्बन्धी परेशानियों से निजात मिल जाता है। इसका उपयोग करने से शरीर पर आपको किसी भी तरह का कोई नुकसान नही होता, लेकिन आपको इस बात का ध्यान देना जरुरी है कि आप एक बार अपने चिकित्सक से सलाह जरुर लें।

दो प्रकार के होते है 

  • आंतरिक बवासीर
  • बाहरी बवासीर

आंतरिक बवासीर (Internal hemorrhoids​) :

यह गुदा के अंदर विकसित होने लग जाता है  और आमतौर पर इसमें दर्द कम होता है। हालांकि, ये मल त्याग के समय रक्तस्राव की वजह बन सकते हैं। आंतरिक बवासीर की पहचान उस समय पर होती है जब व्यक्ति मल त्याग करते वक़्त रक्त देखता है, लेकिन दर्द का अनुभव ज्यादा नहीं हो पाता।

बाहरी बवासीर (External hemorrhoids) :

यह गुदा के बाहर उत्पन्न होता है और इनमें दर्द, खुजली, और सूजन होने लग जाती है। बाहरी बवासीर आमतौर पर ज्यादा असुविधाजनक माने जाते है और कभी-कभी खून भी आने लग जाता है। यदि बाहरी बवासीर में थक्का बनने लग जाता है, तो यह अत्यधिक दर्दनाक होने लग जाता है जो की वास्तव में बहुत असहनीय भी हो सकता है।

कब्ज और बवासीर (Constipation and Piles) :

कब्ज की वजह से मल त्यागने में अधिक ताकत लगाने की वजह से बवासीर (पाइल्स) की समस्या जन्म ले सकती है। इतना ही नहीं बवासीर में सूजन और दर्द होता है, जो मल त्याग को और भी ज्यादा कठिन बना देता है। 

डायबिटीज और कब्ज (Diabetes and constipation​) :

डायबिटीज से तंत्रिका क्षति जैसी परेशानी का भी सामना करना पड़ सकता है, जो पाचन तंत्र को प्रभावित कर सकती है। इतना ही नहीं कुछ मधुमेह की दवाएं भी कब्ज की वजह बन सकती है। 

डायबिटीज और बवासीर (Diabetes and piles) :

डायबिटीज से खराब रक्त संचार भी बढ़ सकता है, जो बवासीर को बढ़ाने का कारण बनता है। इतना ही नहीं उच्च रक्त शर्करा के लेवल से भी बवासीर होने का खतरा बढ़ जाता है। 

इन परेशानियों से बचने के लिए कुछ खास उपाए भी है जो इस तरह है :

  • फाइबर युक्त भोजन: फल, सब्जियां, और साबुत अनाज का ही सेवन करना चाहिए। 
  • पानी: पर्याप्त मात्रा में पानी पीने से इस समस्या से निजात मिल जाएगी। 
  • नियमित रूप से करना चाहिए व्यायाम: नियमित रूप से व्यायाम करना बहुत ही लाभ दायक माना जाता है। 
  • मल त्याग के दौरान अधिक ताकत न लगाए: कई तरह के शोध में पाया गया है कि मल त्याग के दौरान अधिक ताकत लगाने से बचना चाहिए। 
  • शौचालय पर अधिक वक़्त तक नहीं बैठना चाहिए: शौचालय पर अधिक वक़्त तक नहीं बैठना चाहिए, इससे भी पाईल्स की परेशानी जन्म ले सकती है। 
  • अपने रक्त शर्करा स्तर को नियंत्रित रखने की जरुरत है: यदि आपको डायबिटीज (मधुमेह) है, तो अपने रक्त शर्करा स्तर को नियंत्रित रखने की जरूरत है। 
  • डॉक्टर से सलाह लें: यदि आपको भी कब्ज, बवासीर या डायबिटीज है, तो डॉक्टर से एक बार परामर्श अवश्य लें।

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