
कब्ज, बवासीर और डायबिटीज ऐसी परेशानियां है जिनसे हर कोई वाकिफ है, इन्ही परेशानियों से छुटकारा पाने के लिए डॉक्टर के पास जाते है लेकिन फिर भी इस परेशानी से निजात नहीं मिल पाती, पर हम सभी के घरों पर नानी और दादी के नुस्खे जरूर होते है, वैसे तो अमलतास को एक चमत्कारी आयुर्वेदिक औषधि कहा जाता है, जिसका इस्तेमाल करके दर्जनों बीमारियों का भी उपचार किया जाता है। यह कब्ज, बवासीर और डायबिटीज जैसी परेशानियों से छुटकारा दिलाती है। इसके साथ साथ स्किन से जुड़ी परेशानियों को भी दूर करने में सहायता मिलती है।
अमलतास के सेवन से पाईल्स की समस्या को नियंत्रित किया जा सकता है। अमलतास के सेवन से बवासीर वाले हिस्से में होने वाली सूजन से राहत मिलती है, वैसे तो अमलतास का सेवन स्किन से जुड़ी परेशानियों के लिए भी किया जाता है, जैसे कि मुहांसे होना या फिर स्किन एलर्जी होना आदि।
आयुर्वेदिक चिकितस्क का खाना है कि अमलतास का चूर्ण बनाकर आप गर्म दूध और पानी के साथ नियमित रूप से सेवन करते है तो, आपको पाईल्स एवं त्वचा सम्बन्धी परेशानियों से निजात मिल जाता है। इसका उपयोग करने से शरीर पर आपको किसी भी तरह का कोई नुकसान नही होता, लेकिन आपको इस बात का ध्यान देना जरुरी है कि आप एक बार अपने चिकित्सक से सलाह जरुर लें।
दो प्रकार के होते है
यह गुदा के अंदर विकसित होने लग जाता है और आमतौर पर इसमें दर्द कम होता है। हालांकि, ये मल त्याग के समय रक्तस्राव की वजह बन सकते हैं। आंतरिक बवासीर की पहचान उस समय पर होती है जब व्यक्ति मल त्याग करते वक़्त रक्त देखता है, लेकिन दर्द का अनुभव ज्यादा नहीं हो पाता।
यह गुदा के बाहर उत्पन्न होता है और इनमें दर्द, खुजली, और सूजन होने लग जाती है। बाहरी बवासीर आमतौर पर ज्यादा असुविधाजनक माने जाते है और कभी-कभी खून भी आने लग जाता है। यदि बाहरी बवासीर में थक्का बनने लग जाता है, तो यह अत्यधिक दर्दनाक होने लग जाता है जो की वास्तव में बहुत असहनीय भी हो सकता है।
कब्ज की वजह से मल त्यागने में अधिक ताकत लगाने की वजह से बवासीर (पाइल्स) की समस्या जन्म ले सकती है। इतना ही नहीं बवासीर में सूजन और दर्द होता है, जो मल त्याग को और भी ज्यादा कठिन बना देता है।
डायबिटीज से तंत्रिका क्षति जैसी परेशानी का भी सामना करना पड़ सकता है, जो पाचन तंत्र को प्रभावित कर सकती है। इतना ही नहीं कुछ मधुमेह की दवाएं भी कब्ज की वजह बन सकती है।
डायबिटीज और बवासीर (Diabetes and piles) :
डायबिटीज से खराब रक्त संचार भी बढ़ सकता है, जो बवासीर को बढ़ाने का कारण बनता है। इतना ही नहीं उच्च रक्त शर्करा के लेवल से भी बवासीर होने का खतरा बढ़ जाता है।