नई दिल्ली : पीएम नरेंद्र मोदी आज से दो दिनों तक भूटान दौरे पर रहने वाले है। उनका भूटान दौरा 11 और 12 नवंबर को है, इस दौरान वे अलग-अलग कार्यक्रमों में भाग लेंगे। इस यात्रा का मकसद भारत-भूटान के मध्य दोस्ती एवं साझेदारी के संबंध को और भी अधिक मजबूती प्रदान करना है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खुद अपने भूटान रवाना होने की जानकारी आधिकारिक एक्स अकाउंट से दी। पीएम मोदी बीते 11 वर्ष में चौथी भूटान यात्रा पर आए है, जिससे समझा जा सकता है कि भारत के लिए भूटान से रिश्ते कितने मायने रखते हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने इस आधिकारिक दौरे में भूटान के राजा जिग्मे खेसर नामग्येल वांगचुक के 70वें जन्मदिन समारोह में भाग लेंगे, साथ ही उनके साथ मिलकर 1020 मेगावाट के पुनातसंगचू-2 हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट का उद्घाटन भी करने वाले है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भूटान को 1000 करोड़ की सहायता राशि भी प्रदान करेंगे और वे ग्लोबल पीस प्रेयर फेस्टिवल में भी शामिल होंगे। इसमें महात्मा बुद्ध के पवित्र पिपरहवा अवशेषों को भारत से भूटान ले जाया गया है।
दिल्ली ब्लास्ट के साजिशकर्ताओं को बख्शा नहीं जाएगा : पीएम मोदी
वहीं दिल्ली ब्लास्ट पर पीएम नरेंद्र मोदी की पहली प्रतिक्रिया सामने आ चुकी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भूटान में एक कार्यक्रम के समय कहा है कि साजिशकर्ताओं को बख्शा नहीं जाने वाला। एक भी आरोपी छोड़े नहीं जाएंगे। सभी को न्याय के कटघरे में लाया जाएगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पूरे केस में बड़े स्तर पर कार्रवाई कराने की बात भी बोली है। अपनी बात को जारी रखते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि- मामले की जांच चल रही है। हम जांच की तह तक जाएंगे। जिम्मेदारों को न्याय के कघटरे में लाया जाएगा। सरकार एक-एक चीज की जांच कर रही है। रिपोर्ट आने के बाद एक्शन होगा।
भारत के लिए क्यों अहम् है भूटान ?
दरअसल हिमालयी देश भूटान भारत के लिए रणनीतिक लिहाज से बेहद ही अहम् माना जाता है। वैसे तो ये छोटा सा देश है, जहां सिर्फ 7.5 लाख लोग ही जीवन यापन करते है चूंकि ये भारत और चीन के मध्य में है, तो ये बफर जोन की तरह काम करता है। भूटान में चीन का प्रभाव बढ़ा, तो भारत के चिकेन नेक पर खतरा बढ़ जाएगा। ऐसे में भारत इसे सुरक्षा कवच की भांति मानता है। वहीं वर्ष 2017 में चीन ने भूटान के डोकलाम में सड़क बनाने का प्रयास किया था, जिसे भारत ने अपनी सेनाओं से रोक दिया गया। इतना ही नहीं भूटान यूएन सुरक्षा परिषद में भारत की स्थायी सीट का भी समर्थन करता है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भूटान में संबोधन देते हुए इस बारें में कहा है कि दोनों देशों के मध्य बड़ी ताकत उनका आध्यात्मिक जुड़ाव है। उन्होंने अपनी बात को जारी रखते हुए कहा है कि ‘हम मिलकर एक उपग्रह भी बना रहे हैं। यह भारत और भूटान दोनों के लिए एक बहुत बड़ी उपलब्धि है। भारत-भूटान संबंधों की सबसे बड़ी ताकत हमारे लोगों के बीच की आध्यात्मिक जुड़ाव है। 2 माह पूर्व भारत के राजगीर में रॉयल भूटानीज़ मंदिर का उद्घाटन हुआ था। अब यह पहल भारत के अन्य भागों में भी आगे बढ़ते हुए दिखाई दे रही है। इन मंदिरों के माध्यम से हम अपने अनमोल ऐतिहासिक और सांस्कृतिक संबंधों को और मजबूत कर रहे हैं। मैं कामना करता हूं कि भारत और भूटान शांति, समृद्धि और साझा प्रगति के मार्ग पर आगे बढ़ते रहें। भगवान बुद्ध और गुरु रिनपोछे का आशीर्वाद दोनों देशों पर बना रहे।’