
नई दिल्ली : तकनीक ने मानवीय श्रम को कम करके उसकी कार्यक्षमता में इजाफा जरूर किया है, लेकिन यही तकनीकें कभी कभी इंसानों को बड़ी मुसीबत में भी डाल देती हैं। कहा भी जाता है कि तकनीक जहाँ एक तरफ वरदान है, तो दूसरी तरफ अभिशाप भी है। ऐसी ही एक तकनीक है Google Maps जिसके जरिए करोड़ों लोग आवागमन करते हैं, लेकिन कुछ ऐसी घटनाएं भी सामने आई हैं, जिसने Google Maps की विश्वसनीयता पर सवाल खड़े कर दिए हैं।
असम पुलिस की 16-सदस्यीय टीम ने हाल ही में इस बात का कड़वा अनुभव किया, जब अपराधी की तलाश में गूगल मैप्स पर भरोसा करना उन्हें नागालैंड की सीमा के भीतर ले गया। वहां उन्हें न सिर्फ भ्रम का सामना करना पड़ा, बल्कि स्थानीय लोगों के गुस्से का भी शिकार होना पड़ा। असम के जोरहाट जिले की पुलिस एक आरोपी को पकड़ने के लिए मंगलवार रात को छापेमारी पर निकली थी। चाय बागानों के बीच गूगल मैप्स की मदद से रास्ता ढूंढते-ढूंढते वे नागालैंड के मोकोकचुंग जिले में पहुंच गए। लेकिन उन्हें अंदाजा नहीं था कि उनकी इस भूल का अंजाम इतना बड़ा हो सकता है। पुलिस टीम के 16 सदस्यों में से केवल तीन ने पुलिस की वर्दी पहन रखी थी, बाकी सभी सादे कपड़ों में थे। अत्याधुनिक हथियारों से लैस यह टीम स्थानीय ग्रामीणों को अपराधियों का गिरोह लगी। नतीजतन, लोगों ने उन्हें रोककर हमला कर दिया।
ग्रेटर नोएडा में गूगल मैप के गलत निर्देश के चलते कार 30 फीट गहरे नाले में गिरी, स्टेशन मास्टर भारत भाटी की दर्दनाक मौत।
— Greater Noida West (@GreaterNoidaW) March 3, 2025
पुलिस ने कड़ी मशक्कत से बाहर निकाला, लेकिन अस्पताल ले जाते समय हुई मौत। बीटा 2 थाना क्षेत्र की घटना। pic.twitter.com/n3D9x0WkYG
स्थानीय लोग पहले से सतर्क थे क्योंकि इस इलाके में अक्सर सीमावर्ती मुद्दे तनाव बढ़ा देते हैं। जैसे ही उन्होंने असम पुलिस की टीम को देखा, उन्हें लगा कि यह कोई अपराधी गिरोह है। बिना देर किए, लोगों ने पुलिसकर्मियों को घेर लिया और हमला कर दिया। इस झड़प में एक पुलिसकर्मी घायल हो गया। स्थिति तब और खराब हो गई जब स्थानीय लोगों ने 16 में से पांच सदस्यों को तो रिहा कर दिया, लेकिन बाकी 11 को पूरी रात बंधक बनाकर रखा। असम पुलिस ने जैसे ही इस मुश्किल स्थिति की खबर सुनी, जोरहाट के वरिष्ठ अधिकारियों ने नागालैंड के मोकोकचुंग पुलिस से संपर्क किया।
मोकोकचुंग के पुलिस अधीक्षक की पहल पर स्थानीय लोगों को समझाया गया कि ये वाकई असम पुलिस की टीम थी, न कि कोई बदमाशों का गिरोह। इसके बाद पुलिस टीम के बाकी सदस्यों को सुबह रिहा कर दिया गया। घायल पुलिसकर्मी सहित सभी सदस्य सुरक्षित रूप से जोरहाट वापस लौट आए। यह घटना सिर्फ एक तकनीकी गलती का नतीजा नहीं थी, बल्कि सीमावर्ती इलाकों में फैली संवेदनशीलता का भी परिणाम थी। असम और नागालैंड के बीच सीमा विवाद पहले से मौजूद है, जो ऐसे मामलों को और जटिल बना देता है।
गूगल मैप्स के भरोसे सीमा पार जाने वाली पुलिस टीम को अब इस गलती से सबक मिल गया होगा कि तकनीक पर अंधा भरोसा करना हमेशा सही नहीं होता। असम पुलिस ने भी इस घटना को लेकर व्यंग्यात्मक लहजे में स्वीकार किया कि गूगल मैप्स पर जरूरत से ज्यादा भरोसा करना भारी पड़ सकता है। स्थानीय लोग भी अब शायद समझ गए होंगे कि सादी वर्दी में घूमने वाले लोग हमेशा अपराधी नहीं होते।
उत्तर प्रदेश के बदायूं के दातागंज से बरेली के फरीदपुर जाने वाले मार्ग पर मुड़ा गांव के पास में पुल बना हुआ है, जोकि अधूरा अब तक पूरा नहीं हुआ है। 24 नवंबर को कार सवार 3 लोग हादसे का शिकार हुए थे। वह Google Map के सहारे आगे चलते चले गए और पुल खत्म होते ही उनकी कार 20 फुट नीचे जा गिरी, जिससे तीनों लोगों की मौके पर ही मौत हो गई थी। इस घटना में पीडब्ल्यूडी की भी बड़ी लापरवाही भी सामने आई थी। क्योंकि, अधूरा पुल होने के बावजूद उसे पर कोई अवरोधक व संकेतक भी नहीं थे। वहीं, Google Map के पास भी इसकी कोई अपडेट नहीं थी।
Google Map की गड़बड़ी से महाकुंभ के श्रद्धालु रास्ता भटक कर कौशाम्बी आ पहुंचे। यही नहीं कोहरे में उनकी कार एक बिजली के पोल से जाकर भीड़ गई। घटना में मामूली रूप से घायल श्रद्धालुओं के उपचार के लिए हॉस्पिटल भेज दिया गया। खबरों का कहना है कि कुछ समय के पश्चात सभी दूसरे वाहन से कुंभ मेला इलाके में पहुंच गए। बिहार प्रांत के गया जिले के रहने वाले जगदंबिका पाल पत्नी व बेटे के साथ सोमवार को मकर संक्रांति पर अमृत स्नान कर पुण्य की डुबकी लगाने महाकुंभ के लिए गए थे।
कुछ दिन पहले बरेली में गूगल लोकेशन लगाकर जा रहे कार सवार अधूरे पुल से नीचे गिर गए थे। और उनकी मौत हो गई थी।
— Sandeep Pandey Deoria (संदीप पाण्डेय देवरिया) (@SPD_DEORIA) April 9, 2025
गोरखपुर में सोमवार की आधी रात गूगल मैप देखकर कार चालक डोमिनगढ़ और जगतबेला स्टेशन के बीच गोरखपुर-लखनऊ रेल मार्ग पर पहुंच गया।
ट्रैक के किनारे रखे पत्थर में कार फंस गई।… pic.twitter.com/15KDT2wgd4
कुछ रिपोर्ट्स का कहना है कि Google map के सहारे महाकुंभ के लिए निकले थे। प्रयागराज इलाके के पास अचानक Google Map के कारण से वह रास्ता भटककर सरायअकिल पहुंच गए। सोमवार रात तकरीबन 2 बजे घना कोहरा होने की वजह से उनकी कार सरायअकिल के बेनीराम कटरा के पास सड़क किनारे लगे हुए खंभे से जाकर टकरा गई। इस घटना में कार बुरी तरह से क्षतिग्रस्त हुई। इस हादसे में जगदंबिका पाल व उनकी पत्नी को भी गंभीर चोटें लगी। बेनीराम कटरा चौराहे पर मौजूद पुलिस कर्मियों ने जाखियों को एंबुलेंस से करारी PHC पहुंचा दिया। यहां प्राथमिक उपचार कराने के पश्चात तीनों लोग दूसरे वाहन से महाकुंभ के लिए निकल गए। लेकिन, इस घटना ने एक बार फिर Google Map पर सवाल खड़े कर दिए।
गूगल मैप्स के पीछे की तकनीक का पता लगाना बहुत जटिल है, क्योंकि यह एक व्यावसायिक प्रणाली है तथा ओपन-सोर्स नहीं है। हालांकि, अधिकांश रिपोर्ट्स में यह बताया गया है कि गूगल मैप्स में डीज्क्स्ट्रा एल्गोरिदम का इस्तेमाल किया जाता है, जो बिंदु ए से बिंदु बी तक की सबसे छोटी दूरी का पता लगाने में मदद करता है। डीज्क्स्ट्रा एल्गोरिदम एक सरल और प्रभावी तरीका माना जाता है जो सबसे छोटे रास्ते की गणना करता है। गूगल मैप्स मुख्य रूप से दो प्रमुख स्रोतों से डेटा इकट्ठा करता है: पहला, उपयोगकर्ताओं से प्राप्त डेटा तथा दूसरा, स्थानीय सरकारी अथॉरिटी से प्राप्त जानकारी। गूगल मैप्स में एक ‘रोड अपडेट’ सुविधा होती है, जो उपयोगकर्ताओं को सड़कों के बारे में जानकारी साझा करने का अवसर देती है, जैसे कि गायब या बंद सड़कों की रिपोर्ट करना। यह सिस्टम उपयोगकर्ताओं को ऐसे रास्तों से बचने में मदद करता है, जिन्हें वे नहीं जानते हैं।
गूगल ने निजी संगठनों और सरकारी एजेंसियों के साथ साझेदारी की है जिससे ऐप के लिए सटीक भू-स्थानिक डेटा प्राप्त किया जा सके। गूगल मैप्स का मानना है कि अगर इस तरह का डेटा सही ढंग से साझा किया जाए तो इसे और बेहतर बनाया जा सकता है। हालांकि, यह स्पष्ट नहीं है कि कौन सी सरकारी एजेंसियां गूगल के साथ डेटा साझा करती हैं, खासकर भारत में, जहां विभिन्न स्तरों पर सरकारी एजेंसियों का डेटा तक सीमित पहुंच होता है। बरेली के मामले में, एक वरिष्ठ ट्रैफिक पुलिस अफसर ने यह बताया कि उन्हें नहीं पता था कि गूगल के साथ कोई ट्रैफिक डेटा साझा किया गया था या नहीं। इस बारे में स्थानीय अफसरों के बीच स्पष्टता की कमी है, क्योंकि सरकार की एजेंसियाँ कभी-कभी गूगल जैसी निजी कंपनियों के साथ सार्वजनिक डेटा साझा करने में संकोच करती हैं, जो एक बड़ा नैतिक और कानूनी मुद्दा हो सकता है।
कई लोग यह मानते हैं कि गूगल मैप्स, कई हादसों को टाल टाल सकता था। जैसे बरेली हादसे में, पुल का एक हिस्सा एक साल पहले ही गिर चुका था, जिसका मतलब है कि इस के चलते इस रास्ते पर यात्रा करने वाले किसी भी व्यक्ति को गूगल मैप्स द्वारा चेतावनी दी जानी चाहिए थी। अगर गूगल ने इस पुल को खतरनाक या बंद घोषित किया होता, तो यह यात्रा पर जा रहे व्यक्तियों के लिए एक महत्वपूर्ण सुरक्षा चेतावनी साबित हो सकती थी। राष्ट्रीय सड़क सुरक्षा मिशन के प्रमुख, अमित यादव का कहना है कि यह गूगल मैप्स के एल्गोरिदम की एक बड़ी विफलता है। अगर एल्गोरिदम ने समय रहते इस विसंगति का पता लगाया होता, तो संभवत: इन युवकों की जान बचाई जा सकती थी।
रिमोट सेंसिंग विशेषज्ञ, राज भगत का कहना है कि यह समस्या सिर्फ गूगल मैप्स तक सीमित नहीं है। MapMyIndia और Bhuvan जैसे अन्य भारतीय नेविगेशन ऐप्स भी ऐसी समस्याओं का सामना कर सकते हैं। हालांकि इन ऐप्स में भी ऐसी जानकारी की सटीकता और तत्परता पर निर्भरता बहुत अधिक है, जिससे यह माना जा सकता है कि इनसे भी इसी तरह के हादसे हो सकते हैं।