बिहार चुनाव से पहले लालू के 'लाल' का बुरा हाल, अब क्या करेंगे तेजप्रताप?

इस साल के अंत में बिहार में विधानसभा के चुनाव होने वाले हैं, जिसके लिए जोर आजमाइश अभी से शुरू हो चुकी है। इसी बीच राज्य के प्रमुख विपक्षी दल, राष्ट्रीय जनता दल (RJD) में बड़ा उलटफेर हुआ है। RJD सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव ने अपने बड़े बेटे और पूर्व मंत्री तेजप्रताप यादव को पार्टी से बाहर कर दिया है। अब ये देखना दिलचस्प होगा कि इसका बिहार चुनाव पर क्या असर पड़ेगा और तेजप्रताप अब क्या करेंगे?

बिहार चुनाव से पहले लालू के 'लाल' का बुरा हाल, अब क्या करेंगे तेजप्रताप?

लालू यादव ने अपने बेटे तेजप्रताप यादव को पार्टी से निकाला

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​Key Highlights 

  • लालू यादव ने तेजप्रताप को पार्टी से निकाला 

  • विधानसभा चुनाव से पहले बिहार में बड़ा उलटफेर 

  • लालू यादव परिवार में पड़ी दरार 

पटना:  बिहार के पूर्व सीएम और राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के प्रमुख लालू प्रसाद यादव के बड़े बेटे तेजप्रताप यादव अक्सर विभिन्न कारणों से चर्चाओं में बने रहते हैं। कभी वे भगवान का वेश बनाकर धर्मस्थलों में घूमते नज़र आते हैं, तो कभी शिवलिंग से लिपटकर अभिषेक करवाते हैं, तो कभी होली में वर्दीधारी सिपाईयों को नाचने का हुक्म देकर विवादों में घिर जाते हैं। चाहें सत्ता में रहें या सत्ता से बाहर, तेजप्रताप यादव मीडिया की सुर्ख़ियों में हमेशा रहते हैं। अब उनका RJD से निकाला जाना सुर्ख़ियों में बना हुआ है। लोग तरह तरह की अटकलें लगा रहे हैं कि आज के दौर में जहाँ राजनेता अपने परिवार को आगे बढ़ाने में लगे रहते हैं, उन्हें पद दिलवाने के लिए लाखों जतन करते हैं, वहीं एन चुनाव के वक़्त लालू यादव ने अपने बेटे के साथ ऐसा क्यों किया?

लल्लू यादव ने तेजप्रताप को पार्टी से क्यों निकला ?

कुछ लोगों का कहना है कि इसके पीछे कारण तेजप्रताप यादव की रिलेशनशिप है, जिसको लेकर उन्होंने खुद ही कुछ दिन पहले एक सोशल मीडिया पोस्ट डाली थी और अपने प्यार का इजहार किया था। हालाँकि, विवाद बढ़ने के बाद तेजप्रताप ये कहते नज़र आए थे कि उनका सोशल मीडिया अकाउंट हैक कर लिया गया है, किन्तु तब तक आग फ़ैल चुकी थी और राजद उसकी चपेट में आ गई थी। तेज प्रताप यादव के रिलेशनशिप वाली पोस्ट ने लालू समेत सारी पार्टी ही असहज कर दिया था। उन्हें लगा कि इससे चुनाव में विरोधियों को अच्छा मौका मिल जाएगा और यही वजह रही कि सीने पर पत्थर रखकर आखिरकार लालू प्रसाद यादव को कड़ा फैसला लेना ही पड़ा। 

 

दरअसल, तेज प्रताप के फेसबुक पेज से कुछ दिन पहले ही घोषणा की गई थी कि वो एक युवती के साथ 12 वर्षों से रिलेशन में हैं। यह पोस्ट जमकर वायरल हुई, तो तेजप्रताप ने कुछ घंटों बाद ही इस पोस्ट हटा दिया और एक्स प्लेटफार्म पर दावा किया कि उनका फेसबुक पेज हैक हो गया था। वहीं, उनकी पत्नी ऐश्वर्या ने इस पोस्ट के बारे में  कहा, ‘तो, वह (तेजप्रताप) खुद कह रहे हैं कि वह किसी और के साथ रिश्ते में हैं। क्या यह बात उनके परिवार वालों को नहीं पता थी। लालू जी, राबड़ी जी और तेजस्वी जी ने मेरी शादी ऐसे व्यक्ति से क्यों करवाई? मेरी जिंदगी बर्बाद हो गई है।’

यादव परिवार को लगा कि, चुनावी समय में ये मुद्दा बड़ा बन सकता है और पार्टी को फिर सत्ता से दूर रहना पड़ सकता है। इसलिए RJD सुप्रीमो ने ताबड़तोड़ अपने बेटे को ही संस्कारहीन और गैरजिम्मेदार बताते हुए परिवार और पार्टी से दूर कर दिया। लालू यादव ने चुनावी माहौल को देखते हुए सार्वजनिक तौर पर इसकी जानकारी भी दी, ताकि जनता को ये सन्देश जाए कि लालू यादव किस हद तक नैतिकता का समर्थन करते हैं, जो अपने बेटे को भी नहीं बख्शा। हालाँकि, लालू ने ये तत्परता तब नहीं दिखाई थी, जब तेजप्रताप की पत्नी ऐश्वर्या राय (तलाक का केस चल रहा है) ने तेजप्रताप और यादव परिवार पर गंभीर आरोप लगाए थे। ऐश्वर्या ने भी लालू यादव को आड़े हाथों लेते हुए कहा है कि जब मुझेप पीटा गया था, तब आपका सामाजिक न्याय और नैतिकता कहाँ चली गई थी। उन्होंने इस एक्शन को चुनाव के दौरान किया गया नाटक करार दिया है। जैसे लोकसभा चुनाव 2024 में कांग्रेस ने विवादित बयान के कारण सैम पित्रोदा को ओवरसीज कांग्रेस पद से हटा दिया था और चुनाव खत्म होते ही वापस बहाल कर दिया। ऐश्वर्या ने स्पष्ट कहा कि लालू परिवार ने तेज प्रताप की गलती छिपाने के लिए उन्हें बदनाम किया और झूठे आरोप लगाए। अब वही लालू, अपने बेटे तेजप्रताप की तस्वीर एक लड़की के साथ देखकर आगबबूला हैं और नैतिकता तथा सामाजिक न्याय की दुहाई देते हुए अपने ही पुत्र का विरोध कर रहे हैं। 

 

लालू ने ट्वीट करते हुए लिखा है कि, ''निजी जीवन में नैतिक मूल्यों की अवहेलना करना हमारे सामाजिक न्याय के लिए सामूहिक संघर्ष को कमज़ोर करता है। ज्येष्ठ पुत्र की गतिविधि, लोक आचरण तथा गैर जिम्मेदाराना व्यवहार हमारे पारिवारिक मूल्यों और संस्कारों के अनुरूप नहीं है। अतएव उपरोक्त परिस्थितियों के चलते उसे पार्टी और परिवार से दूर करता हूँ। अब से पार्टी और परिवार में उसकी किसी भी प्रकार की कोई भूमिका नहीं रहेगी। उसे पार्टी से 6 साल के लिए निष्कासित किया जाता है।

अपने निजी जीवन का भला -बुरा और गुण-दोष देखने में वह स्वयं सक्षम है। उससे जो भी लोग संबंध रखेंगे वो स्वविवेक से निर्णय लें। लोकजीवन में लोकलाज का सदैव हिमायती रहा हूँ। परिवार के आज्ञाकारी सदस्यों ने सावर्जनिक जीवन में इसी विचार को अंगीकार कर अनुसरण किया है। धन्यवाद।'' हालाँकि, लालू यादव से एक सवाल ये भी पुछा जाना चाहिए क्या चारा घोटाला करना उनके पारिवारिक मूल्यों के अनुकूल था, क्योंकि ये तो कोई आरोप नहीं, बल्कि कोर्ट में साबित हुआ अपराध है। इसके बावजूद लालू यादव सीना तानकर लोगों के बीच वोट मांगने जाते हैं, जबकि एक आम आदमी अगर दो दिन भी जेल में गुजार आए, तो अपनी ही बस्ती में मुंह छिपाए घूमता है। 

अब क्या करेंगे तेजप्रताप यादव ?

बहरहाल, लालू यादव ने तो बिहार चुनाव को देखते हुए अपना दांव चल दिया है, लेकिन अब बड़ा सवाल ये है कि तेजप्रताप का अगला कदम क्या होगा ? क्या वे नई पार्टी बनाएंगे या किसी अन्य दल का दामन थामेंगे, या फिर निर्दलीय चुनावी मैदान में उतरेंगे। यह माना जा रहा है कि तेज प्रताप को लेकर लालू-तेजस्वी को विधानसभा चुनाव में नुकसान उठाना पड़ेगा। इससे पहले जब तेज प्रताप यादव किसी कारण RJD से नाराज होते थे, तो उनके पास NDA से जुड़ी पार्टियों से जुड़ने का विकल्प होता था, लेकिन इस बार हालात अलग है। लालू यादव ने खुद से उनको पार्टी से बाहर का रास्ता दिखाया है, इससे ये तो स्पष्ट है कि तेजप्रताप इस चुनाव में RJD के टिकट पर  चुनाव नहीं लड़ पाएंगे। अब देखना यह है कि तेज प्रताप क्या अपने छोटे भाई तेजस्वी यादव के खिलाफ नई पार्टी खड़ी करते हैं या फिर स्वतंत्र उम्मीदवार के रूप में चुनावी समर में उतरते हैं। यदि, वो निर्दलीय चुनाव लड़ते हैं, तो हो सकता है कि महागठबंधन उनके खिलाफ अपना उम्मीदवार ही न उतारे, ताकि पीछे के दरवाजे से तेज प्रताप की राह को आसान बनाया जा सके।

किन संगठनों से मिल सकती है तेजप्रताप यादव को मदद :-

धर्म समर्थक सेवक संघ: 2017 में तेज प्रताप ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) का मुकाबला करने के लिए धर्म समर्थक सेवक संघ (DSS) नाम का संगठन खड़ा किया था। चुनावों में तेजप्रताप को इस संगठन से मदद मिल सकती है। 

  • यदुवंशी सेना: बिहार में 12 फीसद आबादी वाले यादव समुदाय के युवाओं को अपने साथ जोड़ने के लिए तेज प्रताप ने ‘यदुवंशी सेना’ का भी गठन किया था, जो अब उनके काम आ सकता है।
  • लालू-राबड़ी मोर्चा: 2019 में जब तेज प्रताप, RJD के कामकाज से नाराज हो गए थे, तब उन्होंने लालू-राबड़ी मोर्चा नाम से एक अलग राजनीतिक संगठन खड़ा किया था। ये उलटफेर भी 2019 लोकसभा चुनाव से ठीक पहले हुआ था, जिसके कारण यादव परिवार की किरकिरी हुई थी।
  • छात्र जनशक्ति परिषद:  सितंबर 2021 में लालू यादव के बड़े पुत्र ने छात्र जनशक्ति परिषद नाम के एक नए छात्र संगठन का गठन किया, जो अब उनके काम आ सकता है। 

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