29 या 30 सितंबर किस दिन है महाष्टमी, जानिए महत्व और पूजन विधि

साल 2025 की शारदीय नवरात्रि 10 दिन की होगी। अष्टमी तिथि 30 सितंबर को मनाई जाएगी, जो मां महागौरी की पूजा का दिन है। इस दिन कन्या पूजन, हवन और व्रत समापन होता है। महागौरी की आराधना से मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और जीवन में सफलता मिलती है।

29 या 30 सितंबर किस दिन है महाष्टमी, जानिए  महत्व और पूजन विधि

महाष्टमी पर हवन पूजन और मां से मांगी जाती है मनोकामनाएं

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Highlights

  • अष्टमी पर मां दुर्गा के आठवें स्वरूप महागौरी की होती है पूजा।
  • कन्या पूजन, हवन, व्रत समापन और विशेष पूजन के साथ मनोकामनाएं मांगने की परंपरा।
  • मां पार्वती की तपस्या और गंगा स्नान से उज्ज्वल रूप,भक्ति से मनोकामनाएं पूर्ण और सफलता प्राप्ति।

साल 2025 की शारदीय नवरात्रि खास मानी जा रही है, क्योंकि इस बार यह पूरे 10 दिन तक चलने वाली है। श्रद्धालुओं के बीच हमेशा की तरह इस बार भी अष्टमी तिथि को लेकर भ्रम की स्थिति बनी हुई है। कई लोग नवरात्रि के पहले दिन और अष्टमी के दिन ही व्रत रखते हैं। ऐसे में आइए जानते हैं कि इस साल अष्टमी कब है, इसका शुभ मुहूर्त क्या है और इस दिन का महत्व क्यों माना जाता है।

अष्टमी तिथि और शुभ मुहूर्त :

  • अष्टमी तिथि की शुरुआत : 29 सितंबर 2025, शाम 4:31 बजे
  • अष्टमी तिथि का समापन : 30 सितंबर 2025, शाम 6:06 बजे

इस बार नवरात्रि की अष्टमी 30 सितंबर, मंगलवार के दिन है। अष्टमी पर कन्या पूजन का ब्रह्म मुहूर्त प्रातः 04 बजकर 37 मिनट से सुबह 05 बजकर 25 मिनट तक रहने वाला है। अभिजित मुहूर्त प्रातः 11 बजकर 47 मिनट से दोपहर 12 बजकर 35 मिनट तक रहने वाला है। वहीं विजय मुहूर्त दोपहर 02 बजकर 10 मिनट से दोपहर 02 बजकर 58 मिनट तक रहने वाला है।

अष्टमी की पूजा विधि:

अष्टमी तिथि को मां दुर्गा के आठवें स्वरूप महागौरी की पूजा-अर्चना की जाती है। इस दिन कई श्रद्धालु व्रत का समापन करते हैं। कन्या पूजन की परंपरा निभाई जाती है, जिसमें नौ कन्याओं को आदरपूर्वक भोजन कराया जाता है। हवन और विशेष पूजन कर मां से मनोकामनाएं मांगी जाती हैं।

  • सुबह जल्दी उठकर स्नान करें एवं मंदिर साफ करें
  • माता का गंगाजल से अभिषेक करें
  • अक्षत, लाल चंदन, चुनरी और लाल पुष्प अर्पित करें
  • प्रसाद के रूप में फल, खीर/हलवा चढ़ाएं
  • घर के मंदिर में धूपबत्ती और घी का दीपक जलाएं
  • दुर्गा सप्तशती और दुर्गा चालीसा का पाठ करें
  • हवन पूजन करें
  • पान के पत्ते पर कपूर रख माता की आरती करें
  • अंत में क्षमा प्राथर्ना करें

अष्टमी का महत्व :

धार्मिक मान्यता के मुताबिक मां पार्वती ने भगवान शिव को पाने के लिए कठोर तपस्या की थी। तप के प्रभाव से उनका रंग काला पड़ गया। उनकी भक्ति से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने गंगा जल से उन्हें स्नान कराया, जिससे उनका रूप उज्ज्वल हो गया और तभी से वे महागौरी कहलाईं माना जाता है कि नवरात्रि की अष्टमी को महागौरी की आराधना करने से साधक की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और जीवन में सफलता मिलती है।

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