1965, 1971, कारगिल युद्ध में अहम् भूमिका निभाने वाले मिग-21 का रिटायरमेंट आज

भारतीय वायुसेना का पहला सुपरसोनिक लड़ाकू विमान मिग-21 आज 26 सितंबर 2025 को चंडीगढ़ में फ्लाईपास्ट के साथ रिटायर हो रहा है। 1965, 1971 और करगिल युद्धों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाला यह विमान 62 वर्षों तक सेवा में रहा। अब स्वदेशी तेजस Mk1A इसकी जगह लेगा।

1965, 1971, कारगिल युद्ध में अहम् भूमिका निभाने वाले मिग-21 का रिटायरमेंट आज

भारतीय वायुसेना का पहला सुपरसोनिक लड़ाकू विमान आज होगा रिटायर

Share:

Highlights

  • भारतीय वायुसेना का पहला सुपरसोनिक लड़ाकू विमान मिग-21 आज होगा रिटायर।
  • 1965, 1971, कारगिल युद्ध और 2019 बालाकोट एयरस्ट्राइक में महत्वपूर्ण भूमिका।
  • भारत ने 1200 मिग-21 संचालित किए, वर्तमान में 36 सक्रिय थे।

नई दिल्ली  : भारतीय वायुसेना का खतरनाक लड़ाका MIG-21 आज रिटायर होने जा रहा है। दरअसल ये भारत का सबसे पहला सुपरसोनिक लड़ाकू विमान था, इसी के माध्यम से भारत  ने 65, 71 और 99 के युद्ध में पाकिस्तानियों की स्थिति बिगाड़ दी थी। इस विमान ने तो पाक के F-16 लड़ाकू विमान का शिकार भी पूरा किया था। इतना ही नहीं ये विमान साउंड की स्पीड से भी अधिक तेजी से उड़ान भर सकता है, शुक्रवार यानी आज 26 सितंबर 2025 को चंडीगढ़ में आयोजित फ्लाईपास्ट एवं  विदाई कार्यक्रम के साथ वायुसेना में MiG-21 का अध्याय औपचारिक रूप से खत्म हो जाएगा। यह ऐतिहासिक जेट पूरे 62 वर्ष पूर्व भारतीय वायुसेना के बेड़े में जोड़ा गया था। 

दुनियाभर के कितने देशों के पास है मिग-21? :

खबरों का कहना है कि MiG-21 का भारत से रिश्ता बहुत ही ज्यादा ख़ास था। 1965 एवं 1971 के युद्धों से लेकर कारगिल युद्ध एवं 2019 के बालाकोट एयरस्ट्राइक तक इस विमान ने कई महत्वपूर्ण भूमिकाएं निभाईं। भारत ने कुल मिलाकर लगभग 1200 MiG-21 खरीदे एवं ऑपरेट हुए है। हालांकि बीते वर्षों  में बार-बार हुई दुर्घटनाओं और तकनीकी सीमाओं के चलते इसे फ्लाइंग कॉफिन यानी उड़ता ताबूत भी बोला जाने लगा। वर्तमान में इंडिया के पास तकरीबन 36 विमान सक्रिय थे, जिन्हें आज पूरी तरह रिटायर किया जाने वाला है।

क्या इन देशों में अब भी होता है मिग-21 का इस्तेमाल :

विश्व में MiG-21 का इतिहास एवं भी व्यापक है। यह विमान विश्व के 60 से ज्यादा देशों की वायु सेनाओं में कभी न कभी शामिल रहा, लेकिन आज स्थिति पूरी तरह से चेंज हो गई है। यूरोप में अब कोई भी देश MiG-21 का इस्तेमाल बिलकुल भी नहीं करता। क्रोएशिया ने जुलाई 2024 में इन्हें हमेशा के लिए विदा किया एवं रोमानिया ने 2023 में विदा कर दिया गया। इसी तरह कई एशियाई और अफ्रीकी देशों ने भी इसे सेवा से बाहर कर दिया है।

फिर भी, अभी कुछ देशों के पास ये जेट सीमित संख्या में मौजूद हैं। एंगोला के पास तकरीबन 23 MiG-21 हैं, जबकि अजरबैजान में लगभग 5 विमान सक्रिय कहे जा रहे है। वहीं उत्तर कोरिया एवं कुछ अफ्रीकी देशों, जैसे मोजाम्बिक एवं माली में भी पुराने एयरफ्रेम अब भी देखने के लिए मिल सकते है, हालांकि उनकी परिचालन क्षमता सीमित है।

खबरों की माने तो भारत में MiG-21 के रिटायरमेंट के साथ वायुसेना की स्क्वाड्रन संख्या घटकर लगभग 29 हो जाएगी, जबकि स्वीकृत तादाद 42 है। यह एक बड़ी चुनौती है, क्योंकि देश की वायु शक्ति पर दबाव बढ़ जाएगा। सरकार ने इस खाली जगह को भरने के लिए स्वदेशी तेजस Mk1A लड़ाकू विमानों और विदेशी प्लेटफार्मों को शामिल करने की प्लानिंग भी की थी।

खैर आज मिग-21 की विदाई केवल एक विमान का अंत नहीं हो सका, बल्कि भारतीय वायुसेना के इतिहास के एक स्वर्णिम अध्याय का समापन भी बोला जा रहा है। MiG-21 ने भारत को आसमान में शक्ति एवं आत्मविश्वास दिया। अब इसके स्थान पर नई पीढ़ी के विमान लेंगे, लेकिन इसकी गूंज आने वाले दशकों तक सुनाई देगी।

रिलेटेड टॉपिक्स