नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को चीन के तियानजिन में शंघाई सहयोग संगठन (SCO) की बैठक को संबोधित करते नजर आए। इस बैठक में पीएम मोदी के साथ जिनपिंग और पुतिन नजर आए इतना ही इस बैठक में पीएम ने पाक के आतंकवाद और आतंकवाद पर भी निशाना साधा है अपने संबोधन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आतंकवाद के मुद्दे पर दुनिया को भारत के रुख से अवगत कराया। इतना ही नहीं पीएम नरेंद्र मोदी ने आतंकवाद को बढ़ावा देने वाले देशों को भी निशाने पर ले लिया है। इस बारें में पीएम मोदी ने कहा है कि हमें स्पष्ट और सर्वसम्मति से कहना होगा कि आतंकवाद पर कोई भी दोहरा मापदंड स्वीकार्य नहीं है।
मानवता में विश्वास को खुली चुनौती :
खबरों का कहना है कि प्रधानमंत्री मोदी ने इस दौरान पहलगाम अटैक का भी जिक्र किया। अपनी बात को जारी रखते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ये भी कहा है कि भारत बीते चार दशकों से आतंकवाद का दंश झेल रहा है। हाल ही में, हमने पहलगाम में आतंकवाद का सबसे बुरा रूप देखा। मैं उस मित्र देश के प्रति आभार व्यक्त करता हूं जो दुःख की इस घड़ी में हमारे साथ खड़ा रहा। उन्होंने अपनी बात को जारी रखते हुए ये भी कहा है कि यह हमला मानवता में विश्वास रखने वाले हर देश और व्यक्ति के लिए एक खुली चुनौती थी।
ऐसे में यह सवाल उठना स्वाभाविक है कि क्या कुछ देशों द्वारा आतंकवाद का खुला समर्थन हमें स्वीकार्य हो सकता है। इतना ही नहीं हमें हर रूप और रंग के आतंकवाद का सर्वसम्मति से विरोध करना होगा। मानवता के प्रति यह हमारा कर्तव्य है। इस बारें में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि इस वर्ष, भारत ने संयुक्त सूचना अभियानों में अग्रणी भूमिका निभाई है। आतंकवादी संगठनों से निपटने के लिए पहल की है और आतंकवाद के वित्तपोषण के विरुद्ध आवाज उठाई है। इस संबंध में दिए गए समर्थन के लिए मैं आभार व्यक्त करता हूं।
संप्रभुता के साथ कनेक्टिविटी पर जोर :
मीडिया रिपोर्ट्स का कहना है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चीन के तियानजिन में शंघाई सहयोग परिषद (एससीओ) के सदस्यों के सत्र में कहा कि संप्रभुता को दरकिनार करने वाली कनेक्टिविटी विश्वास और अर्थ खो देती है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि भारत का हमेशा से मानना रहा है कि मजबूत कनेक्टिविटी न केवल व्यापार को बढ़ावा देती है, बल्कि विकास और विश्वास के द्वार भी खोलती है। अपनी बात को उन्होंने आगे बढ़ाते हुए कहा है कि इसी को ध्यान में रखते हुए, हम चाबहार बंदरगाह और अंतर्राष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन गलियारे जैसी पहलों पर काम कर रहे हैं। इससे हमें अफगानिस्तान और मध्य एशिया के साथ कनेक्टिविटी बेहतर बनाने में सहायता मिलेगी।