पीएम मोदी ने की शुभांशु शुक्ला से मुलाकात, अंतरिक्ष यात्री ने साझा किया अपना अनुभव

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला से मुलाकात की, जो ऐतिहासिक अंतरिक्ष मिशन को पूरा करके वापस लौटे। शुभांशु ने अंतरिक्ष स्टेशन के अनुभव, गुरुत्वाकर्षण की कमी, शारीरिक बदलाव, मूंग-मेथी उगाने और विदेशी अंतरिक्ष यात्रियों की भारत के प्रति उत्साहपूर्ण राय साझा की।

पीएम मोदी ने की शुभांशु शुक्ला से मुलाकात, अंतरिक्ष यात्री ने साझा किया अपना अनुभव

शुभांशु शुक्ला ने पीएम मोदी संग साझा किया अपना अंतरिक्ष यात्रा का अनुभव

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Highlights

  • पीएम नरेंद्र मोदी ने अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला से की मुलाकात।
  • शुभांशु ने साझा किया अंतरिक्ष स्टेशन का अनुभव।
  • अंतरिक्ष से जमीन पर लौटने पर चलने में कठिनाई।

नई दिल्ली : पीएम नरेंद्र मोदी ने अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला से मुलाकात की, जो ऐतिहासिक अंतरिक्ष मिशन को पूरा करके वापस लौटे है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक वीडियो साझा किया है, इस वीडियो में शुभांशु ने अपने अंतरिक्ष मिशन के अनुभव एवं  विदेशी अंतरिक्ष यात्रियों की भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों के बारे में अपनी राय को साझा किया है। इतना ही नहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के द्वारा X पर शेयर किए गए वीडियो में अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला ने अंतरिक्ष स्टेशन में बिताए अपने समय और अनुभवों के बारें में बातें की। उन्होंने जानकारी दी है कि अंतरिक्ष में पहुंचने पर वातावरण पूरी तरह अलग होता है, जहां गुरुत्वाकर्षण बिलकुल भी नहीं होता। वहां कैप्सूल के भीतर स्वतंत्र रूप से घूम-फिर सकते हैं।

'कम हो जाती है दिल की धड़कन' :

अपनी अंतरिक्ष के अनुभव को साझा करते हुए शुभांशु शुक्ला ने कहा है कि "अंतरिक्ष में पहुंचने के पश्चात शारीरिक रूप से भी बहुत से परिवर्तन होते है। दिल की धड़कनें धीमी हो जाती हैं। 4-5 दिनों के पश्चात बॉडी उसी वातावरण को अपना लेती है और नॉर्मल हो जाते हैं। फिर जब वापस आते हैं तो फिर से वही परिवर्तन दोबारा देखने के लिए मिलते है। चाहे आप कितने भी स्वस्थ हों जमीन पर आने के पश्चात आप चल नहीं सकते।"

 

उन्होंने अपनी बात को जारी रखते हुए ये भी कहा है कि "मैं पूरी तरह से स्वस्थ था लेकिन जमीन पर पहला कदम रखा तो मैं बार बार गिर रहा था। लोगों ने मुझे पकड़ रखा था। पता होता है कि चलना है लेकिन दिमाग को ये स्वीकार करने में वक़्त लगता है कि अब जमीन पर चलना है।"

मूंग और मेथी के प्रयोग के बारे में शुभांशु ने क्या कहा ?:

उन्होंने अपनी बात को जारी रखते हुए कहा है कि , "मुझे इस बात की हैरानी थी कि लोगों को इस बारे में जानकारी नहीं थी। स्पेस स्टेशन पर फूड बहुत बड़ी चुनौती है। जगह कम है, कार्गो महंगा है और भी कई तरह की समस्या का सामना करना पड़ता है। स्पेस में इनको उगाना बहुत आसान है। आप छोटी सी जगह में इन्हें उगा सकते हैं, पानी डालिए और आठ से दस दिन में वो अंकुरित हो जाएंगे।"

भारतियों को लेकर क्या है विदेशियों की सोच : 

शुभांशु शुक्ला ने अपनी बात को जारी रखते हुए ये भी कहा है कि "मेरा जो व्यक्तिगत अनुभव था, मैं जहां भी गया और जिससे भी मिला तो मुझसे मिलकर सभी लोग बहुत उत्साहित हुए। सबसे अहम् बात तो ये थी कि सभी को पता था कि भारत स्पेस के फील्ड में क्या कर रहा है। इतना ही नहीं उन्होंने आगे ये भी कहा है कि गगनयान के बारे में कई लोग तो मुझसे आकर पूछते थे कि आपका मिशन कब जा रहा है। मेरे क्रू मेम्बर मुझसे साइन करवाकर लिखकर लेकर गए हैं कि जब भी गगनयान जाएगा तो आप हमें बुलाएंगे। हमें जल्दी से जल्दी आपके व्हीकल में बैठकर जाना है।"

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