भारतीय नागरिकता को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने कहा - आधार, पैन कार्ड नहीं नागरिकता का सबूत

सुप्रीम कोर्ट और बॉम्बे हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया कि आधार, पैन या वोटर आईडी नागरिकता साबित नहीं करते। नागरिकता अधिनियम 1955 के तहत जन्म प्रमाण पत्र या डोमिसाइल से नागरिकता साबित हो सकती है। नेचुरलाइजेशन या भूमि विस्तार के जरिए भी नागरिकता मिल सकती है।

भारतीय नागरिकता को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने कहा - आधार, पैन कार्ड नहीं नागरिकता का सबूत

आधार, पैन कार्ड नहीं होगा आपकी भारतीय नागरिकता का सबूत

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Highlights

  • सुप्रीम कोर्ट और बॉम्बे हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया कि आधार, पैन कार्ड नहीं नागरिकता का सबूत।
  • 1 जुलाई 1987 के बाद भारत में जन्मा व्यक्ति हो सकता है नागरिक।
  • नागरिकता साबित करने के लिए स्थाई प्रमाण पत्र होगा जरुरी।

नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने एक बार फिर से साफ़ कर दिया है कि आधार कार्ड नागरिकता साबित करने का दस्तावेज नहीं होने वाला है। बिहार में वोटर लिस्ट संशोधन (SIR) की सुनवाई के बीच कोर्ट ने इस बारें में बोला है कि आधार कार्ड से नागरिकता सिद्ध नहीं होती, इसकी कार्रवाई जरुरी है। बॉम्बे हाईकोर्ट ने भी यही राय दी है।  प्रश्न ये आता है कि यदि वोटर कार्ड, पैन कार्ड या आधार कार्ड से नागरिकता साबित नहीं होती, तो इसके लिए कौन से दस्तावेज बेहद ही जरुरी हैं?

बॉम्बे हाई कोर्ट ने दी प्रतिक्रिया : 

बॉम्बे हाईकोर्ट ने एक बांग्लादेशी नागरिक की याचिका पर सुनवाई के बीच महत्वपूर्ण टिप्पणी की। कोर्ट ने इस बारें में आगे कहा है कि आधार कार्ड, पैन कार्ड या वोटर आईडी केवल पहचान पत्र या सेवाओं के लिए दस्तावेज हैं, ये नागरिकता साबित नहीं करते। इस आधार पर हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ता को जमानत देने से इनकार कर दिया।

सुप्रीम कोर्ट ने कई बार कही है नागरिकता को लेकर बात :

खबरों का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट ने पहले भी कई बार स्पष्ट किया है कि आधार कार्ड नागरिकता साबित करने का दस्तावेज नहीं होगा। बिहार में वोटर लिस्ट संशोधन से संबंधित याचिकाओं की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने अपनी बात को जारी रखते हुए कहा है कि चुनाव आयोग का यह तर्क सही है कि आधार निर्णायक प्रमाण नहीं है। आधार एक्ट भी इसे नागरिकता का प्रमाण नहीं मानता। इतना ही नहीं नागरिकता को समझना बहुत ही ज्यादा महत्वपूर्ण है। यह एक विशेष अधिकार है, जो किसी देश द्वारा अपने नागरिकों को प्रदान किया जाता है। इसमें कानूनी अधिकार, रोजगार का अधिकार और चुनाव लड़ने का अधिकार शामिल हैं।

किस तरह मिलेगी नागरिकता : 

नागरिकता अधिनियम 1955 के मुताबिक, भारत में जन्म लेने वाला व्यक्ति नागरिकता प्राप्त कर सकता है। इसमें ये भी बोला गया है कि 1 जुलाई 1987 के पश्चात जन्मा व्यक्ति भारत का नागरिक होगा, बशर्ते जन्म के वक़्त उसके माता-पिता में से कोई एक भारतीय नागरिक हो। इस प्रकार, जन्म प्रमाण पत्र भी नागरिकता साबित करने वाला दस्तावेज होने वाला है।

विदेशी नागरिक भी भारत सरकार से नागरिकता के लिए आवेदन कर सकते हैं। इसके लिए विभिन्न शर्तें निर्धारित की गई हैं। भूमि विस्तार के माध्यम से भी नागरिकता दी जाती है। यदि भारत किसी क्षेत्र को अपने नियंत्रण में लेता है या उसे देश में शामिल करता है, तो वहां के निवासियों को स्वतः भारतीय नागरिकता प्राप्त हो जाती है। नेचुरलाइजेशन के जरिए से भी नागरिकता हासिल की जा सकती है। इसके अंतर्गत लंबे वक़्त से भारत में रह रहे लोग नागरिकता के लिए आवेदन कर सकते हैं। इसके लिए नागरिकता अधिनियम की तीसरी अनुसूची के नियमों का पालन करना जरुरी है।

  • आधार कार्ड, पैन कार्ड, वोटर ID और राशन कार्ड जैसे दस्तावेजों के बावजूद आप अपनी नागरिकता साबित नहीं कर सकते।
  • नागरिकता साबित करने के लिए जन्म प्रमाण पत्र या निवास प्रमाण पत्र (डोमिसाइल) प्रस्तुत किया जा सकता है।
  • जन्म प्रमाण पत्र ग्राम पंचायत, नगर पालिका या नगर निगम द्वारा जारी किया जाता है।
  • यदि आपके पास जन्म प्रमाण पत्र नहीं है, तो आपको स्थानीय जन्म और मृत्यु पंजीकरण कार्यालय से नॉन-अवेलेबिलिटी सर्टिफिकेट प्राप्त करना होगा। इसके बाद आप जन्म प्रमाण पत्र बनवा सकते हैं।
  • राज्य सरकार द्वारा जारी डोमिसाइल या निवास प्रमाण पत्र प्राप्त करने के लिए आपको उस राज्य में कम से कम तीन वर्ष तक निवास करना होगा। इसके लिए आप परिवार रजिस्टर की कॉपी, जन्म प्रमाण पत्र या स्कूल प्रमाण पत्र का उपयोग कर सकते हैं।

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