वक्फ कानून पर आया सुप्रीम कोर्ट का फैसला, वक्फ़ बोर्ड में 3 से अधिक गैर-मुस्लिम सदस्य नहीं

सुप्रीम कोर्ट ने वक्फ कानून पर रोक लगाने से इंकार किया। CJI बीआर गवई ने कहा कि धारा 3(र) स्थगित होगी, क्योंकि यह मनमानी शक्तियों को बढ़ावा देती है। वक्फ बोर्ड में 3 से अधिक गैर-मुस्लिम सदस्य नहीं होंगे। कलेक्टर का फैसला अंतिम नहीं होगा।

वक्फ कानून पर आया सुप्रीम कोर्ट का फैसला, वक्फ़ बोर्ड में 3 से अधिक गैर-मुस्लिम सदस्य नहीं

सुप्रीम कोर्ट ने वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनाया फैसला

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Highlights

  • CJI बीआर गवई ने पूरे वक्फ कानून पर रोक लगाने से किया इंकार।
  • 5 साल तक इस्लाम अनुयायी होने का प्रावधान मनमानी शक्तियों के कारण स्थगित।
  • सरकारी अधिकारी ही वक्फ संपत्ति के अतिक्रमण का करेगा फैसला।

नई दिल्ली : वक्फ कानून पर सुप्रीम कोर्ट का निर्णय आ चुका है। CJI BR गवई ने साफ कर दिया है कि इस पूरे कानून पर रोक लगाने का कोई भी आधार बिलकुल भी नहीं है। इसके पूर्व 22 मई 2025 को निरंतर तीन दिन की सुनवाई के पश्चात कोर्ट ने निर्णय सुरक्षित रख लिया था। पिछली सुनवाई में याचिकाकर्ताओं ने कानून को मुसलमानों के अधिकारों के विरुद्ध जानकारी एवं अंतरिम रोक लगाने की अपील भी की थी। वहीं, सेंट्रल गवर्नमेंट ने कानून के पक्ष में दलीलें भी रख दी थी।

खबरों की माने तो सुप्रीम कोर्ट का आज का आदेश 3 प्रमुख कानूनी और प्रक्रियात्मक मामलों पर केंद्रित होने वाला है, जो सुनवाई के बीच उठाए गए थे। क्या वक्फ की संपत्तियों को अपनी सुनवाई तक डी नोटिफाई भी गया, वहीं अब इस मुद्दे पर भी सुप्रीम आदेश आ चुका है।

पूरे वक्फ कानून पर रोक लगाने का कोई आधार नहीं - CJI बीआर गवई का फैसला

इस बारें में CJI बीआर गवई ने बोला है कि ‘हमने ये भी माना है कि किसी भी क़ानून की संवैधानिकता के पक्ष में हमेशा एक अनुमान होता है और हस्तक्षेप सिर्फ़ अत्यंत विरल केसों में ही कर सकते है। उन्होंने इस बारें में बोला है कि ‘हमने प्रत्येक धारा को लेकर प्रारंभिक चुनौती पर विचार भी पूर्ण किया है। हमें यह नहीं लगा कि पूरे अधिनियम के प्रावधानों पर रोक लगाने का कोई आधार है। लेकिन कुछ धाराओं को सुरक्षा की जरूरत है। धारा 3(र) उपबंध में यह शर्त लगाई गई है कि व्यक्ति को 5 वर्षों तक इस्लाम का पालन करना बहुत ही ज्यादा जरुरी है। बिना किसी तंत्र के यह प्रावधान मनमानी शक्तियों के प्रयोग की तरफ ले जाने वाले है, इसलिए इसे स्थगित किया जाता है।

वक्फ़ बोर्ड में 3 से अधिक गैर-मुस्लिम सदस्य नहीं होंगे -  CJI

अपनी बात को जारी रखते हुए CJI गवई ने इस बारें में कहा है कि कलेक्टर को व्यक्तिगत नागरिकों के अधिकारों का निर्णय करने की आजमाती प्रदान नहीं की जा सकती। यह शक्तियों के पृथक्करण के सिद्धांत का उल्लंघन होने वाला है। जब तक ट्रिब्यूनल द्वारा निर्णय पूर्ण नहीं हो जाता, तब तक किसी भी पक्ष के विरुद्ध किसी तीसरे पक्ष का अधिकार निर्मित नहीं किया जा सकता। कलेक्टर को ऐसी शक्तियां देने वाला प्रावधान स्थगित रहने वाला है। हम यह भी मानते हैं कि वक्फ़ बोर्ड में 3 से अधिक गैर-मुस्लिम सदस्य नहीं हो सकते एवं कुल मिलाकर 4 से ज्यादा गैर-मुस्लिम सदस्य नहीं होंगे।

वक्फ प्रोपर्टी के रजिस्ट्रेशन का प्रावधान नया नहीं - सुप्रीम कोर्ट

मीडिया रिपोर्ट्स की माने तो CJI बीआर गवई ने अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए कहा है कि, ‘हमने ये भी माना है कि पंजीकरण 1995 से 2013 तक अस्तित्व में हमेशा से रहा है एवं अब फिर से है। इसलिए हमने माना कि पंजीकरण कोई नया प्रावधान बिलकुल भी नहीं है। हमने पंजीकरण की समय-सीमा पर भी विचार किया है।’ इतना ही नहीं वक्फ संपत्तियों को लेकर कलेक्टर के अधिकारों पर सुप्रीम कोर्ट ने ये भी कहा है कि कलेक्टर का फैसला अंतिम फैसला नहीं होगा। सुप्रीम कोर्ट ने मुस्लिम पक्ष की इस दलील को पूरी तरह से मान चुके है।

5 वर्ष तक इस्लाम का अनुयायी होने के प्रावधान पर लगाई गयी रोक :

इतना ही नहीं सुप्रीम कोर्ट ने वक्फ़ संशोधन अधिनियम 2025 की उस प्रावधान पर पूर्ण रूप से रोक लगा दी है, जिसमें वक्फ़ बनाने के लिए किसी व्यक्ति का 5 सालों तक इस्लाम का अनुयायी होना जरुरी कहा था। यह प्रावधान तब तक स्थगित रहेगा, जब तक राज्य सरकारें यह तय करने के लिए नियम नहीं बना लेतीं कि कोई व्यक्ति इस्लाम का अनुयायी है या नहीं। खबरों का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट ने वक्फ बोर्ड में गैरमुस्लिम को CEO नियुक्त करने संबंधी संशोधन पर रोक लगाने से साफ़ तौर पर मना कर दिया है। हालांकि इसके साथ ही निर्देश दिया कि जहां तक ​​संभव हो वक्फ बोर्ड का मुख्य कार्यकारी अधिकारी मुस्लिम होना बहुत ही ज्यादा आवश्यक है।

सरकारी अधिकारी ही करेगा फैसला- वक्फ बोर्ड ने सरकारी संपत्ति में अतिक्रमण किया है या नहीं :

इतना ही नहीं वक्फ संशोधन कानून में यह प्रावधान सुरक्षित रहेगा जो सरकार की तरफ से नियुक्त अधिकारी को यह निर्धारित करने का अधिकार भी प्रदान कर रहा है कि क्या वक्फ संपत्ति ने सरकारी संपत्ति में अतिक्रमण किया है।

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