प्रधानमंत्री मोदी के नक्शे कदम पर निकले तेजस्वी, बीजेपी के मुद्दे को बनाया अपना एजेंडा

बिहार विधानसभा चुनाव में महिला वोटर निर्णायक भूमिका में हैं। पीएम मोदी ने मां पर अपशब्दों को मुद्दा बनाया, तेजस्वी ने ‘MAA’ योजना शुरू की, और प्रियंका गांधी महिला संवाद करेंगी। एनडीए ने भी महिला रोजगार योजना शुरू की। सभी दल महिलाओं को साधने में जुटे हैं।

प्रधानमंत्री मोदी के नक्शे कदम पर निकले तेजस्वी, बीजेपी के मुद्दे को बनाया अपना एजेंडा

तेजस्वी यादव ने 'MAA’ योजना का किया शुभारंभ

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Highlights

  • तेजस्वी यादव ने महिलाओं के लिए मकान, अनाज और आमदनी पर केंद्रित योजना की घोषणा की।
  • कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी पटना में महिलाओं से संवाद और चुनावी घोषणा-पत्र जारी करेंगी
  • 50% पंचायत सीट आरक्षण, बालिका साइकिल योजना और कन्या उत्थान योजना से नीतीश की छवि मजबूत।

पटना : बिहार विधानसभा चुनाव जैसे-जैसे करीब आते जा रहे हैं, वैसे-वैसे सियासी पारा चढ़ता जा रहा है। सत्ता और विपक्ष दोनों ही ओर से आरोप-प्रत्यारोप की बौछार तेज हो गई है। भारतीय जनता पार्टी जहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई में विपक्षी गठबंधन पर हमलावर है, वहीं महागठबंधन के नेता तेजस्वी यादव ने भी चुनावी पिच पर अपने पत्ते खोलने शुरू कर दिए हैं। इस बार मुकाबला खासकर महिला वोटर्स के इर्द-गिर्द घूमता दिख रहा है।

पीएम मोदी ने मां पर की भावुक अपील :

दरभंगा में वोटर अधिकार यात्रा के दौरान मंच से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की दिवंगत माता जी के लिए अपशब्द बोले जाने पर राजनीतिक बवाल मच गया। कांग्रेस और आरजेडी का कहना है कि उस वक्त राहुल गांधी और तेजस्वी यादव मंच पर मौजूद नहीं थे। लेकिन मोदी ने इसे बड़ा मुद्दा बना दिया। उन्होंने कहा, “जिस मां का शरीर भी नहीं है, उन्हें कांग्रेस और आरजेडी के मंच से भद्दी गालियां दी गईं। मां ही तो हमारा संसार और स्वाभिमान होती हैं। समृद्ध परंपराओं वाले बिहार में यह सुनकर मैं स्तब्ध हूं। मेरी मां का राजनीति से कोई लेना-देना नहीं था, फिर भी उन्हें अपशब्दों का शिकार बनाया गया।”

मोदी ने इस भावुक प्रसंग को अपने चुनावी अभियान का केंद्र बना लिया। यह पहली बार नहीं है जब उन्होंने विरोधियों की आलोचनाओं को चुनावी हथियार बनाया हो। 2007 में सोनिया गांधी ने उन्हें ‘मौत का सौदागर’ कहा था, 2014 से पहले मणिशंकर अय्यर ने ‘चायवाला’ कहकर तंज कसा था, प्रियंका गांधी ने ‘नीच’ शब्द का इस्तेमाल किया और 2019 में राहुल गांधी ने ‘चौकीदार चोर है’ का नारा दिया था। हर बार मोदी ने इन हमलों को अपने पक्ष में प्रचार सामग्री बना लिया और विपक्ष को घेरने में सफल रहे।

तेजस्वी का जवाब : महिलाओं को साधने की कोशिश

मोदी की मां पर हुए अपशब्द विवाद ने विपक्ष को असहज कर दिया। हालांकि तेजस्वी यादव ने इसका जवाब महिलाओं को केंद्र में रखकर देने की रणनीति अपनाई। पटना के वेटरनरी कॉलेज में आयोजित महिला संवाद कार्यक्रम में उन्होंने नई योजना की घोषणा की। तेजस्वी ने कहा, “हम मां-बहन सम्मान योजना लेकर आएंगे। महिलाएं समाज की असली ताकत हैं और हम उन्हें उनका हक और सम्मान देंगे।” उन्होंने ‘MAA’ शब्द को नया अर्थ दिया – एम से मकान, ए से अनाज और ए से आमदनी। तेजस्वी ने दावा किया कि यह योजना महिलाओं को आर्थिक, सामाजिक और पारिवारिक मजबूती प्रदान करेगी। आरजेडी नेता ने महिलाओं को ‘अक्ल में नंबर वन’ बताते हुए भरोसा जताया कि बिहार की मतदाता महिलाएं बदलाव की धुरी साबित होंगी।

कांग्रेस की तैयारी : प्रियंका का महिला संवाद 

इधर कांग्रेस भी महिला वोटरों को साधने के लिए मैदान में उतर आई है। शुक्रवार को प्रियंका गांधी पटना के सदाकत आश्रम में करीब दो हजार महिलाओं से संवाद करेंगी। इस दौरान वे महिला केंद्रित चुनावी घोषणा-पत्र भी जारी कर सकती हैं। कांग्रेस ने खासतौर पर उन महिलाओं को निशाना बनाया है जो जमीन से जुड़ी हुई हैं। इनमें घरेलू कामगार, आशा वर्कर, मनरेगा मजदूर, जीविका दीदियां, डॉक्टर और पेशेवर वकील शामिल हैं। प्रियंका गांधी का फोकस महिलाओं की जमीनी समस्याओं और उनके समाधान पर रहेगा।

एनडीए का महिला वोटरों पर दांव :

महिला वोटरों की अहमियत को देखते हुए एनडीए भी बड़े पैमाने पर कदम उठा रहा है। प्रधानमंत्री मोदी शुक्रवार को मुख्यमंत्री महिला रोजगार योजना के तहत 75 लाख महिलाओं को दिवाली से पहले तोहफा देने जा रहे हैं। इस योजना के अंतर्गत प्रत्येक महिला के बैंक खाते में प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (डीबीटी) के जरिए 10-10 हजार रुपये डाले जाएंगे। इस योजना पर राज्य सरकार का करीब साढ़े सात हजार करोड़ रुपये खर्च होगा। कार्यक्रम में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार मुख्य अतिथि होंगे।

नीतीश कुमार का महिला सशक्तिकरण पर विशेष ध्यान पुराना है। 2005 में सत्ता संभालने के बाद उन्होंने 2006 में स्थानीय निकायों में 50 प्रतिशत सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित कीं। यह कदम उठाने वाला बिहार देश का पहला राज्य बना। इसके बाद उन्होंने मुख्यमंत्री बालिका साइकिल योजना शुरू की, जिसने लड़कियों की पढ़ाई में क्रांतिकारी बदलाव लाया।

2016 में उन्होंने सरकारी नौकरियों में महिलाओं को 35 प्रतिशत आरक्षण दिया। वहीं 2018 में मुख्यमंत्री कन्या उत्थान योजना लागू की, जिसके तहत स्नातक स्तर तक की छात्राओं को वित्तीय सहायता दी जाती है। इन पहलों ने महिलाओं में नीतीश सरकार की मजबूत छवि बनाई।

महिला वोटरों की निर्णायक भूमिका :

बिहार की राजनीति में महिला वोटरों का महत्व लगातार बढ़ रहा है। राज्य में महिला मतदाताओं की संख्या न केवल पुरुषों के बराबर है बल्कि कई क्षेत्रों में उनसे अधिक है। यही वजह है कि हर राजनीतिक दल महिला वर्ग को साधने में जुटा है।

मोदी ने मां का मुद्दा उठाकर भावनात्मक कार्ड खेला है, जबकि तेजस्वी यादव ने ‘MAA’ योजना के जरिए आर्थिक-सामाजिक आश्वासन देने की कोशिश की है। कांग्रेस की प्रियंका गांधी महिलाओं से सीधा संवाद साधने के जरिए अपनी पकड़ मजबूत करने की रणनीति अपना रही हैं।

बिहार चुनाव का असली मैदान इस बार महिलाओं के इर्द-गिर्द सजता दिखाई दे रहा है। मोदी जहां मां के सम्मान और भावुक अपील पर जोर दे रहे हैं, वहीं तेजस्वी और प्रियंका महिलाओं की रोजमर्रा की जरूरतों और सम्मान को मुद्दा बना रहे हैं। चुनावी नतीजे यह बताएंगे कि महिला मतदाताओं का झुकाव किस ओर जाता है, लेकिन इतना तय है कि इस बार उनकी भूमिका निर्णायक साबित होगी।

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