डूब रही थी टाइटैनिक...मौत से बेखौफ होकर चार्ल्स लगा रहे थे जाम पर जाम, फिर कैसे बची जान

वर्ष 1912 में शुरू हुआ था टाइटैनिक का सफर लेकिन महज 5 दिनों में ही इसका जीवन खत्म हो गया, हादसा इतना भयानक था की टाइटैनिक का मलबा भी कई सालों तक नहीं मिला, लेकिन इस हादसे में जहाज पर काम करने वाले शेफ चार्ल्स जोघिन की जान बच गई। वही घटना में 1500 से अधिक लोगों की जान गई थी।

डूब रही थी टाइटैनिक...मौत से बेखौफ होकर चार्ल्स लगा रहे थे जाम पर जाम, फिर कैसे बची जान

टाइटैनिक हादसे में मौत को मात देकर आए थे शेफ चार्ल्स

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Highlights

  • शुरू होने के 5 दिन बाद ही खत्म हो गया था टाइटैनिक का जीवनकाल।
  • टाइटैनिक जहाज हादसे में हुई थी 1500 से अधिक मौतें।
  • टाइटैनिक हादसे में बचे शेफ चार्ल्स ने सुनाया था किस्सा।

टाइटैनिक का डूब जाना अब तक की सबसे बड़ी समुद्री घटनाओं में से एक कही जाती है, भले ही इसका जीवनकाल केवल 5 दिन का था, पर टाइटैनिक के डूबने के कई दशकों के पश्चात भी लोग इसे भूल नहीं पाए है, वर्ष 1997 में जैम्स कैमरून ने टाइटैनिक पर मूवी बनाकर इससे जुड़ी सभी यादों को ताजा कर दिया था,  इतना ही नहीं इस फिल्‍म में टाइटैनिक के शुरू होने से लेकर इसके डूबने तक की पूरी घटना को बखूबी लोगों के सामने दर्शाया गया था, इतना ही नहीं  इस फिल्म ने अपनी रिलीज़ के बाद से हो लोगों का दिल जीत लिया था, ऐसा कहा जाता है कि टाइटैनिक उस समय का सबसे महंगा समुद्री जहाज था।

इस जहाज का सफर 10 अप्रैल 1912 में शुरू हुआ था, एवं ये 15 अप्रैल 1912 को आइसबर्ग से टकरा गया, लेकिन इसके डूबने के कारण तकरीबन 1500 से अधिक लोगों की जान चली गई थी। आपने भी इसी तरह की कई कहानियों के बारें में सुना होगा लेकिन आज हम आपको एक ऐसी कहानी बताने जा रहे है, जिसे सुनने के बाद आपके भी होश उड़ जाएंगे। दरअसल इस हादसे में सभी लोग नहीं मारे गए, टाइटैनिक पर शेफ चार्ल्स जोघिन इस हादसे में बच गए थे। 

कौन थे शेफ चार्ल्स जोघिन :

दरअसल शेफ चार्ल्स जोघिन टाइटैनिक शिप में शेफ के रूप में काम करते थे, वह ब्रेड बनाया करते थे, इतना ही उन्हें दो चीजों से बहुत लगाव था ब्रेड बनाना और शराब पीना। हैरान कर देने वाली बात तो ये थी कि जिस रात टाइटैनिक जहाज जब आइस बर्ग से टकाराया, उस समय चार्ल्स अपने प्राइवेट केबिन में रोज़ की तरह आराम कर रहे थे, तभी उन्हें जहाज के स्टारबोर्ड हिस्से में से एक गहरी और डरा देने वाली आवाज सुनाई दी, लेकिन वह बिना घबराए उन्होंने अपना शराब का फ्लास्क उठाया और डेक पर आए, तभी उन्होंने कैप्टन स्मिथ को लाइफबोट्स तैयार करने का आदेश देते सुना। कैप्टन का आदेश सुनते ही उन्होंने अपनी बेकारों की टीम को जमा किया एवं लाइफ बॉट्स के लिए ब्रेड का वितरण खुद शुरू कर दिया, ऐसा कहा जाता है कि ठंडे समुद्र में कैलोरीज से जान बच सकती थी, इसके पश्चात वह फिर से अपने केबिन में वापस आए एवं थोड़ी और शराब पी।

जिस लाइफ बोट में उन्हें सवार होना था वह भी पूरी तरह से तैयार थी, लेकिन उन्होंने अपनी सीट  किसी अन्य क्रूमैन को दे दी एवं खुद शिप पर रह गए, वह थोड़े शांत और थोड़े नशे में थे। अंत में  जब सारी  लाइफबोट वह से चली गई थी, तब चार्ल्स जहाज पर अकेले ही खड़े थे, इतना ही नहीं इसके बाद ही चार्ल्स ने डेक की कुर्सियां एक एक करके समुद्र में फेंकना शुरू कर दी, ताकि जो लोग पानी में रह गए हो उन्हें तैरने वाली वस्तुओं का सहारा मिल सके।

लेकिन जब टाइटैनिक का पिछला हिस्सा ऊपर की तरफ उठा तब चार्ल्स चुपचाप रेलिंग पार कर गए और जहाज़ नीचे डूब गया लेकिन वह उसके डूबने के बाद भी बच गए। इसके बाद उन्होंने बर्फीले अटलांटिक महासागर में दो घंटे तक तैराकी की, ठंडे पानी की वजह से उनके बाल सख्त हो गए थे लेकिन उनका दिमाग पूरी तरह से संतुलित था। लेकिन जिस समय चार्ल्स को पानी से बाहर निकाला गया तो तो सेकंड ऑफिसर लाइटोलर (जिन्हे इस बात का यकीन तक की चार्ल्स अब तक मर गए होंगे) चार्ल्स को जीवित देख दंग रह गए।

इस बारें में खुद चार्ल्स मानना था कि शराब की वजह से न ही उनका खून जमा  और न ही उनका होश टूटा, जिसकी वजह से उनकी जान बच गई उन्होंने कुछ और लोगों को भी बचाया और इतिहास की सबसे बड़ी समुद्री त्रासदी से ज़िंदा बाहर निकल आए। इस हादसे के बाद भी उनका हौसला नहीं टूटा और वह फिर से समंदर में वापस लौटे और ब्रेड बनाने का काम करते रहें, टाइटैनिक के बाद दो और ऐसी जहाज दुर्घटना हुई जिनसे वह जिन्दा वापस आए, एवं 78 वर्ष की आयु में उनका देहांत हो गया। लेकिन आज भी उनकी कब्र पर लिखा हुआ है - "The Baker of the Titanic" (टाइटैनिक का बेकर)।

हादसे के 73 साल बाद मिला टाइटैनिक का मलबा :

इस बारें में जानकर आपको हैरानी होगी, लेकिन टाइटैनिक जहाज इतनी बुरी तरह से हादसे का शिकार हुआ था कि दूर-दूर तक इसका मलबा नहीं मिला। वहीं इस जहाज के मलबे को ढूंढने में तकरीबन 73 वर्ष लग गए। आखिरकार 1 सितंबर 1985 को, वैज्ञानिक जीन-लुई मिशेल और डॉ. रॉबर्ट बलार्ड ने जहाज के अवशेषों के बारें में पता चला।

कितनी थी टाइटैनिक की कीमत :

वर्ष 1912 में टाइटैनिक जहाज की कीमत 7.5 मिलियन डॉलर (647,446,792.50 अरब रूपए) थी। इससे भी दिलचस्‍प बात यह है कि जेम्स कैमरून द्वारा बनाई गई मूवी का बजट 200 मिलियन डॉलर तक पहुंच गया था।

बेहद ही शानदार था टाइटैनिक का इंटीरियर :

वैसे तो टाइटैनिक जहाज बेहद ही लग्जरी एवं मॉर्डन स्टाइल का था, इसका इंटीरियर देखने काबिल था। इस बारें में बहुत ही कम लोगों को मालूम होगा कि जहाज के अंदर का इंटीरियर लंदन के एक होटल द रिट्ज से इंस्पायर्ड था। यह होटल आज भी मौजूद है। यदि आप टाइटैनिक का अनुभव लेना चाह रहे है, तो जीवन में एक बार लंदन के इस होटल में जरूर विजिट जरूर करना।

कितने लोग थे जहाज पर सवार :

टाइटैनिक का सफर शुरू होने के वक़्त इसमें कुल 2200 लोग इसमें सवार थे। 2200 में से, लगभग 1500 से अधिक लोगों की जान चली गई, जबकि 650 से अधिक लोग डूबने से बचे।

कितनी देर में पानी में समा गई थी टाइटैनिक :

हालाँकि इसकी पुख्ता जानकारी नहीं मिली है, फिर भी कुछ रिपोर्ट्स में ये बताया गया है कि पूरी जहाज को डूबने में लगभग 2 घंटे 40 मिनट का वक्त लगा था। यह टाइमिंग उस वक्‍त से निकाली गई है, जब आइसबर्ग के स्‍पॉटिंग को लेकर पहला अलर्ट सामने आया था।

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