नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट में बिहार के स्पेशल रजिस्टर ऑफ इंडियन (SIR) से जुड़े केस की सुनवाई सोमवार यानि आज 08 सितंबर 2025 को शुरू हुई। इस बीच कांग्रेस के वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने आधार को नागरिकता के प्रमाण के रूप में स्वीकार किए जाने पर जोर दिया और चुनाव आयोग के कदमों पर प्रश्न उठाए है। सुनवाई के बीच जज ने सिब्बल से पूछा, “आप हर सुनवाई में आधार पर इतना जोर क्यों दे रहे हैं? क्या आप इसे नागरिकता का सबूत मान रहे हैं?” इस पर सिब्बल ने कहा कि वे ऐसा नहीं कह रहे, लेकिन कोर्ट के आदेशों में आधार को मान्यता देने का जिक्र है। उनका कहना था कि इस पर स्पष्ट फैसला आना जरूरी है ताकि न्यायिक प्रक्रिया स्पष्ट हो सके।
सिब्बल की दलील :
इतना ही नहीं कपिल सिब्बल ने कोर्ट को बताया कि BLO (Booth Level Officer) आधार को स्वीकार नहीं कर रहे हैं, जबकि उन्हें मौखिक आदेश दिए जा चुके हैं। वहीं उन्होंने अदालत से आग्रह किया हैकि स्पष्ट निर्देश दिए जाएं ताकि सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन सुनिश्चित हो सके। साथ ही उन्होंने इस बारें में कहा है कि चुनाव आयोग ने उन अधिकारियों को कारण बताओ नोटिस जारी किए हैं, जिन्होंने आधार को स्वीकार करने से इनकार किया।
नोटिस पर बहस :
खबरों का कहना है कि सुनवाई के दौरान जज ने चुनाव आयोग द्वारा जारी नोटिस देखने की अपील की है। कपिल सिब्बल ने नोटिस पढ़कर सुनाया। इसके जवाब में आयोग की ओर से पेश वकील राकेश द्विवेदी ने इस बारें में कहा है कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश का व्यापक प्रचार किया गया है और लोग आधार की कॉपी ऑनलाइन भी जमा कर रहे हैं। हालांकि उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि आयोग आधार को नागरिकता का प्रमाण नहीं मान सकता।
इतना ही नहीं जज ने सवाल उठाया कि पासपोर्ट और जन्म प्रमाण पत्र समेत पहले से निर्धारित 11 दस्तावेजों के अलावा कोई और दस्तावेज नागरिकता के लिए कैसे स्वीकार किया जा सकता है। इस पर द्विवेदी ने कहा कि उन्हें दूसरी पार्टी के नोटिस को देखना होगा।
कोर्ट की टिप्पणी :
जज ने इस बारें में कहा है कि आधार नागरिकता का प्रमाण नहीं है, लेकिन जनप्रतिनिधित्व कानून के तहत इसे पहचान के प्रमाण के रूप में मान्यता प्रदान की जा सकती है। वहीं, कपिल सिब्बल ने प्रस्ताव रखा कि आधार को नागरिकता साबित करने वाले दस्तावेजों की सूची में 12वें दस्तावेज के रूप में शामिल किया जाए।