
थाईलैंड और कंबोडिया के मध्य आज सुबह सीमा पर गोलीबार की गई। कंबोडियाई सैनिकों की गोलीबारी में 12 थाई लोगों की जान चली गई, वहीं 14 लोगों के जख्मी होने की खबर है। थाईलैंड ने जवाबी कार्रवाई में कंबोडिया के सैन्य ठिकानों पर हवाई अटैक करना शुरू कर दिया। इतना ही नहीं दोनों देशों ने एक दूसरे पर सबसे पहले अटैक करने का इल्जाम लगाया है। इतना ही नहीं कंबोडिया के विदेश मंत्रालय ने ये इल्जाम लगाया है कि थाई सैनिकों ने सुबह के समय गोलीबारी की, जबकि थाई सेना का इस बारें में कहना है कि कंबोडिया ने सबसे पहले ड्रोन अटैक किया एवं तोप और ज्यादा दूरी के BM21 रॉकेट से अटैक किया, अटैक को देखते हुए थाईलैंड ने बॉर्डर पर F-16 लड़ाकू विमान को तैनात कर दिया।
इस वर्ष 28 मई को बॉर्डर पर दोनों देशों की सेनाओं के मध्य युद्ध हुआ था, जिसमे से एक कंबोडियाई सैनिक की जान चली गई थी। इसके पश्चात से दोनों देशों के मध्य विवाद अब भी चल रहा है। इसी विवाद के कारण इंडोनेशिया की प्रधानमंत्री पाइतोंग्तार्न शिनवात्रा को भी पद से हटा दिया गया है।
थाईलैंड ने 86 गांवों से लगभग 40 हजार नागरिकों को सुरक्षित स्थानों भेजा जा चुका है। वहीं, कंबोडिया में रहने वाले थाई लोगों को भी अपने देश लौटने का अनुरोध भी किया गया है। खबरों का कहना है कि कंबोडिया की राजधानी नोम पेन्ह स्थित रॉयल थाईलैंड दूतावास ने बोला है कि सीमा पर स्थिति बिगड़ती जा रही है और झड़पों के लंबे वक़्त तक जारी रहने के अनुमान की वजह से, दूतावास ने अपने नागरिकों से जितनी जल्दी हो सके कंबोडिया को छोड़ने के लिए बोला है।
इतना ही नहीं थाईलैंड और कंबोडिया के मध्य सीमा विवाद का इतिहास 118 वर्ष पुराना है, जो प्रीह विहार मंदिर और आसपास के इलाकों को लेकर है। खबरों की माने तो जब कंबोडिया फ्रांस के अधीन था तभी वर्ष 1907 में दोनों देशों के मध्य 817 किमी की लंबी सीमा को खींच दिया। वहीं थाईलैंड ने हमेशा इसका कड़ा विरोध किया गया, क्योंकि नक्शे में प्रीह विहियर नाम का ऐतिहासिक मंदिर कंबोडिया के भागों में दिखाया गया था।
इस पर दोनों देशों में अब भी कड़ा विवाद हुआ। खबरों की माने तो वर्ष 1959 में कंबोडिया ये केस अंतरराष्ट्रीय न्यायालय में ले गया और 1962 में अदालत ने निर्णय दिए कि मंदिर कंबोडिया का है। थाईलैंड ने इसे स्वीकार किया लेकिन आसपास की जमीन को लेकर विवाद भी शुरू हुआ।