नागरिकों की डिजिटल सुरक्षा पर खतरा, 68 करोड़ पासवर्ड लीक

साइबर विशेषज्ञों ने यूज़र्स को पासवर्ड बदलने, 2-फैक्टर ऑथेंटिकेशन अपनाने और संदिग्ध लिंक से बचने की सलाह दी है, ताकि डिजिटल ठगी और डेटा चोरी से बचाव हो सके।

नागरिकों की डिजिटल सुरक्षा पर खतरा, 68 करोड़ पासवर्ड लीक

देशभर के 68 करोड़ ई-मेल और पासवर्ड हुए लीक

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Highlights

  • 68 करोड़ पासवर्ड और लॉगिन डिटेल्स लीक होने का अलर्ट।
  • ईमेल, सोशल मीडिया और बैंकिंग अकाउंट्स पर खतरा।
  • साइबर सेल ने सुरक्षा को लेकर जारी की एडवाइजरी।

भारत में इंटरनेट हमारे दैनिक जीवन का एक बहुत अभिन्न अंग बन चुका है। फ़ोन से लेकर लैपटॉप तक हम ईमेल, बैंकिंग, सोशल मीडिया और अन्य ज़रूरी बातों के लिए अक्सर ऑनलाइन रहते हैं। लोग समय की बचत और मेहनत कम करने के लिए ऑनलाइन सेवाओं पर ही अधिक निर्भर हैं। लेकिन इन्ही सुविधाओं के बीच एक खतरा भी चुपचाप पनप चुका है। हाल ही में मध्य प्रदेश स्टेट साइबर सेल ने 68 करोड़ पासवर्ड और लॉगिन लीक होने की जानकारी दी है। ये घटना आम नागरिकों की डिजिटल दुनिया में एक बड़ा ही नकारात्मक प्रभाव डाल सकती है।

इस संबंध में सेल ने एक अहम एडवाइज़री भी जारी की है। साइबर विशेषज्ञों का कहना है कि ईमेल आईडी, पासवर्ड, फ़ोन नंबर जैसी जानकारियों के इस्तेमाल से यूजर को ठगा जा सकता है साथ ही उसका अकाउंट भी हैक किया जा सकता है। ईमेल अकाउंट हैक होने से हैकर्स आपके सोशल मीडिया पर पूरी तरह अपना कब्ज़ा जमा सकते हैं। इसके साथ किसी भी इंसान की बेहद ज़रूरी वित्तीय जानकारी भी गलत हाथों में पड़ सकती है।

सुरक्षा के लिए हम क्या कर सकते है?

हमारी सभी जानकारियां सुरक्षित रहे, इसके लिए सबसे पहला और ज़रूरी काम यह है की अपनी ईमेल आईडी, बैंकिंग और सोशल मीडिया एकाउंट्स के पासवर्ड बदल लें। नया पासवर्ड मज़बूत होना चाहिए जिसमें लैटर्स, स्पेशल कैरेक्टर्स और अंकों का मेल हो। यदि संभव हो तो हर प्लेटफार्म पर अलग पासवर्ड्स का उपयोग करें। इस दौर में यूज़र्स की फेस, फिंगर या थंब आयडी भी सुरक्षा की दृष्टि से एक अच्छा विकल्प है।

1. 2 फैक्टर ऑथेन्टिफिकेशन : अपने महत्वपूर्ण एकाउंट्स पर 2 फैक्टर ऑथेन्टिफिकेशन ऑन कर दें। इससे पासवर्ड पता होने के बावजूद भी हैकर्स ओटीपी के बिना आपके अकाउंट में घुस नहीं पायेगा।

2. अनजाने लिंक्स से बचे : डाटा लीक होने के बाद फिशिंग का खतरा भी काफी बढ़ चुका है। अगर किसी यूजर को किसी अज्ञात नंबर अथवा लिंक से कोई लुभावना ऑफर या केवायसी अपडेट करना का मैसेज आता है, तो उसपर गलती से भी क्लिक न करें।

3. पुराने एप्स हटाएं : यूज़र्स जिन एप्स या वेबसाइट्स का उपयोग नहीं करते, वे उनसे अपना निजी डाटा हटा लें और फिर उन्हें अनइनस्टॉल कर लें।

स्टेट साइबर सेल ने ज़ोर देते हुए कहा है कि थोड़ी सी सावधानी भी यूज़र्स को बड़े आर्थिक नुकसान से बचा सकती है। अगर किसी तरह की धोखाधड़ी होती है तो उस स्थिति में ps.cybercell-bpl@mppolice.gov.in या मदद के लिए दिए गए नंबर 7587646775 पर संपर्क कर सकते हैं।

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