महू रण संवाद में बोले CDS अनिल चौहान- हम शांति चाहते हैं, पर शांतिवादी नहीं हो सकते

महू में रण संवाद-2025 शुरू, CDS जनरल अनिल चौहान ने ऑपरेशन सिंदूर से सीखे सबक और युद्ध नीति पर जोर दिया। गीता, महाभारत, चाणक्य की नीतियों का उल्लेख। AI, साइबर, क्वांटम तकनीक पर फोकस। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह आज पहुंचेंगे। शांति के लिए युद्ध की तैयारी जरूरी।

महू रण संवाद में बोले CDS अनिल चौहान- हम शांति चाहते हैं, पर शांतिवादी नहीं हो सकते

महू के आर्मी वॉर कॉलेज में आयोजित हुआ रण संवाद

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Highlights

  • महू में आज से शुरू हुआ रण संवाद, ऑपरेशन सिंदूर पर हुई चर्चा।
  • जनरल अनिल चौहान ने ऑपरेशन सिंदूर को आधुनिक संघर्ष बताया।
  • रण संवाद में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह होंगे शामिल।

ऑपरेशन सिंदूर के पश्चात पहली बार सेना का रण संवाद-2025 कार्यक्रम मंगलवार यानि आज 26 अगस्त 2025 से महू स्थित आर्मी वॉर कॉलेज में  शुरू हो चुका है। इस अवसर पर चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDS) जनरल अनिल चौहान ने इस बारें में कहा है कि ऑपरेशन सिंदूर एक आधुनिक संघर्ष था, जिससे हमने कई महत्वपूर्ण सबक भी सीखें है। इनमें से अधिकांश पर अमल अब भी चल रहे है और कुछ को लागू भी किया जा चुका है। उन्होंने स्पष्ट किया कि ऑपरेशन अब भी चल रहा है। कार्यक्रम में शामिल होने के लिए केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह मंगलवार सांय को महू पहुंच जाएंगे।

गीता एवं महाभारत से युद्ध नीति की मिली सीख : 

सीडीएस ने अपनी बात को जारी कहते हुए कहा है कि गीता एवं  महाभारत युद्ध नीति के सर्वश्रेष्ठ उदाहरण हैं। चाणक्य की नीति ने चंद्रगुप्त मौर्य को विजय दिलवाई। कौटिल्य और चाणक्य ने शक्ति, उत्साह और युक्ति को युद्ध नीति का मूल तत्व कहा था। उन्होंने जोर दिया कि शस्त्र और शास्त्र दोनों का संतुलन जरुरी है।

“हम शांति चाहते हैं, पर शांतिवादी नहीं हो सकते” 

CDS अनिल चौहान ने इस बारें में कहा है कि भारत हमेशा शांति का पक्षधर था एवं यह एक शांतिप्रिय राष्ट्र है। लेकिन किसी भ्रम में बिलकुल भी न रहें, हम शांतिवादी नहीं हो सकते। उन्होंने उद्धरण देते हुए कहा है कि “यदि आप शांति चाहते हैं, तो युद्ध के लिए तैयार रहें।” उन्होंने ‘युद्ध पर प्रौद्योगिकी का प्रभाव’ विषय पर अपने विचार रखते हुए ये भी कहा है कि भविष्य के युद्धक्षेत्र किसी सीमा को नहीं पहचानेंगे। इसलिए सभी सेनाओं को मिलकर त्वरित और निर्णायक प्रतिक्रिया देने की आवश्यकता नहीं है। उन्होंने AI, साइबर एवं क्वांटम तकनीक को संयुक्त प्रशिक्षण के साथ जोड़ने पर बल दिया और बोला है कि संयुक्त कौशल ही भारत के सैन्य परिवर्तन की नींव है।

वाइस एडमिरल ने कहा – तकनीक बनी निर्णायक कारक :

नौसेना के वाइस एडमिरल तरुण सोबती ने इस बारें में कहा है कि ड्रोन, ISR, साइबर ऑपरेशन और सूचना युद्ध जैसे साधन यूक्रेन और गाजा संघर्ष में निर्णायक कारक थे। उन्होंने ऑपरेशन सिंदूर में उपयोगी तकनीक को एवं अधिक एडवांस बनाने की आवश्यकता बताई।

वायुसेना अधिकारी ने बताई उभरती तकनीकों की महत्वता : 

भारतीय वायुसेना के प्रशिक्षण कमान के AOC-In-See Air मार्शल तेजिंदर सिंह ने ‘युद्ध को प्रभावित करने वाली उभरती प्रौद्योगिकियों की पहचान’ विषय पर व्याख्यान भी दे दिया है। उन्होंने खासतौर से AI और मशीन लर्निंग, साइबर, क्वांटम, अंतरिक्ष एवं प्रति-अंतरिक्ष तकनीक, निर्देशित ऊर्जा हथियार (DEW) और हाइपरसोनिक तकनीक के महत्व पर भी ध्यान केंद्रित किया।

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