नई दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तीन दिवसीय यात्रा पर दक्षिण अफ्रीका पहुंचे। इसके अलावा वे छठे IBSA (इंडिया-ब्राज़ील-साउथ अफ्रीका) सम्मेलन में भी भाग लेंगे। यह दौरा भारत की विदेश नीति और वैश्विक सहभागिता के लिहाज़ से महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
हालांकि, पीएम मोदी के इस दौरे पर कांग्रेस ने सवाल उठाए हैं। पार्टी के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने प्रधानमंत्री पर निशाना साधते हुए कहा कि मोदी G20 बैठक में इसलिए सहजता से भाग ले पा रहे हैं क्योंकि अमेरिका और राष्ट्रपति ट्रंप इस बार शिखर सम्मेलन में शामिल नहीं हो रहे हैं। उन्होंने याद दिलाया कि कुछ समय पहले प्रधानमंत्री मोदी कुआलालंपुर में होने वाले भारत-आसियान सम्मेलन में शामिल नहीं हुए थे, क्योंकि वहां उनकी मुलाकात ट्रंप से होनी थी।
जयराम रमेश ने कहा कि अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो द्वारा दक्षिण अफ्रीका की G20 थीम— एकजुटता, समानता और सतत विकास— का विरोध करना बेहद असाधारण है। रुबियो के अनुसार यह थीम “अमेरिका-विरोधी” है। वहीं, कांग्रेस नेता ने व्यंग्य करते हुए यह भी उल्लेख किया कि यही मार्को रुबियो 10 मई को "ऑपरेशन सिंदूर" रोकने का दावा सार्वजनिक तौर पर कर चुके थे।
G20 अध्यक्षता का बदलाव :
G20 की अध्यक्षता हर वर्ष किसी एक देश से दूसरे देश को सौंप दी जाती है। भारत ने नवंबर 2023 में इंडोनेशिया से अध्यक्षता संभाली थी और नवंबर 2024 में इसे ब्राज़ील को सौंप दिया। अब ब्राज़ील यह जिम्मेदारी दक्षिण अफ्रीका को दे चुका है। उल्लेखनीय है कि जिस अमेरिका को दक्षिण अफ्रीका अध्यक्षता सौंपने वाला है, वही देश इस बार की बैठक में मौजूद ही नहीं है।
अगले साल अमेरिका में होगी G20 बैठक :
अगला G20 शिखर सम्मेलन अमेरिका में आयोजित होगा। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि तब तक भारत और अमेरिका के बीच लंबित व्यापार सौदे या अन्य राजनयिक समझौते आगे बढ़ सकते हैं। कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने तंज करते हुए कहा कि राष्ट्रपति ट्रंप पिछले सात महीनों में 61 बार यह दावा कर चुके हैं कि उन्होंने "ऑपरेशन सिंदूर" रोका था, ऐसे में अगले एक साल में वे यह दावा कितनी बार दोहराएँगे, कहा नहीं जा सकता।
उन्होंने यह भी सवाल किया कि क्या भविष्य में पीएम मोदी और राष्ट्रपति ट्रंप के बीच पुराने दिनों वाली "झप्पी कूटनीति" लौटेगी, या केवल औपचारिक हाथ मिलाने तक सीमित रहेगी। या फिर प्रधानमंत्री मोदी भविष्य में अमेरिका यात्रा से ही परहेज़ करेंगे—यह सब अभी अनिश्चित है और आने वाला समय ही इसका जवाब देगा।
दक्षिण अफ्रीका में होने वाला यह शिखर सम्मेलन वैश्विक आर्थिक, रणनीतिक और विकास से जुड़े मुद्दों पर चर्चा का मंच बनेगा। भारत के लिए यह अवसर अंतरराष्ट्रीय सहयोग को आगे बढ़ाने और अपनी वैश्विक भूमिका को और मजबूत करने का माना जा रहा है।