निमोनिया के अलग-अलग प्रकार, जानिए क्यों वाकिंग निमोनिया है घातक

निमोनिया के अलग-अलग प्रकार, जानिए क्यों वाकिंग निमोनिया है घातक

सांस की तकलीफ हो तो होशियार, वाकिंग निमोनिया बना सकता है जानलेवा

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Highlights

  • निमोनिया को नजरअंदाज करना बढ़ा देगा आपकी परशानी।
  • वाकिंग निमोनिया के मरीजों को तुरंत करना चाहिए डॉक्टर्स से सम्पर्क।
  • निमोनिया के मरीजों को नही करना चाहिए धुम्रपान और शराब का सेवन।

वॉकिंग निमोनिया फेफड़ों से जुड़ी एक बड़ी परेशानी कही जाती है। यह अक्सर माइकोप्लाज्मा न्यूमोनिया नामक बैक्टीरिया की वजह से पनपने लग जाती है। लेकिन अन्य बैक्टीरिया या वायरस भी इसकी वजह हो सकते है। इतना ही नहीं इस प्रकार के निमोनिया (नुह-मोह-न्यूह) से पीड़ित अधिकांश बच्चे घर पर रहने के लिए इतने बीमार महसूस नहीं करेंगे। इसलिए इसे वॉकिंग निमोनिया के नाम से भी जाना जाता है। लेकिन यहां तक ​​कि एक बच्चा जो ठीक महसूस कर रहा है उसे कुछ दिनों तक घर पर रहना चाहिए जब तक कि एंटीबायोटिक इलाज शुरू न हो जाए और लक्षण ठीक न हो जाएं।

आखिर कितने प्रकार के होते है निमोनिया:

लीजिओनेयर्स रोग: लीजिओनेयर्स रोग ये गंभीर तरह का निमोनिया कहा जाता है जो लीजोनेला बैक्टीरिया की वजह से होता है। इतना ही नहीं लीजियोनेयर्स रोग के शुरुआती लक्षण कई तरह से हो सकता है, जैसे- फ्लू,  जिनमें मांसपेशियों में दर्द, सिरदर्द, थकान और सूखी खांसी का होना भी शामिल है।

लीजिओनेयर्स रोग के लक्षण:

  • तेज बुखार कम से कम 104°F/40°C से अधिक होना
  • खांसी: पहले सुखी खांसी उसके बाद बलगम बनना शुरू हो जाता है
  • सांस लेने में परेशानी होने लग जाना और सीने में दर्द उठना 
  • मांसपेशियों में दर्द का बढ़ जाना और सिरदर्द 
  • मतली, उल्टी और दस्त 
  • भ्रम या सोच में बदलाव हो जाना

जोखिम कारक: धूम्रपान करने वाले, अन्य अंतर्निहित चिकित्सा स्थिति का सामना करने वाले इंसान, और बुजुर्ग व्यक्ति लीजियोनेयर्स रोग के लिए ज्यादा से ज्यादा संवेदनशील होते हैं। 

संक्रमण के हो सकते है कई तरीके: लीजियोनेला बैक्टीरिया से भरे हुए होते है जो कि पानी की छोटी-छोटी बूंदों को सांस में लेने से लीजियोनेयर्स रोग होने लग जाता है।

संक्रमण के ये है जरिए: लीजियोनेला बैक्टीरिया पानी के ठहरे हुए स्थानों या स्त्रोत, जैसे कि कूलिंग टावर, स्विमिंग पूल, हॉट टब, शावर, फव्वारे, और एयर कंडीशनिंग इकाइयों में भी जन्म ले सकते है।

सूखी खांसी बलगम आना तेज बुखार भी है वाकिंग निमोनिया का कारण/ Image Source:-  (गूगल इमेज)

  • निदान: डॉक्टर शारीरिक टेस्ट जरूर करवाएं, छाती का एक्स-रे, रक्त परीक्षण, मूत्र परीक्षण और थूक संस्कृति के माध्यम से लीजियोनेयर्स रोग का निदान कर पाएंगे। 
  • इलाज: लीजियोनेयर्स रोग का इलाज वैसे तो बहुत ही ज्यादा कठिन होता है लेकिन एंटीबायोटिक दवाओं से भी इसका इलाज कर सकते है। 
  • न्यूमोकोकल रोग: यह स्ट्रेप्टोकोकस न्यूमोनिया (न्यूमोकोकस) नामक बैक्टीरिया की वजह से जन्म लेता है।
  • एटिपिकल निमोनिया: इसे हमेशा ही वॉकिंग निमोनिया के रूप में भी जाना जाता है।
  • न्यूमोसिस्टिस न्यूमोनिया: यह न्यूमोसिस्टिस जीरोवेसी नामक कवक की वजह से होता है।
  • बैक्टीरियल निमोनिया: यह बैक्टीरिया की वजह से हो सकता है।
  • वायरल निमोनिया: यह आस पास मौजूद वायरस की वजह से जन्म लेता है।
  • माइकोप्लाज्मा निमोनिया: यह माइकोप्लाज्मा की वजह से जन्म लेता है।
  • एस्पिरेशन निमोनिया: यह एस्पिरेशन की वजह से जन्म लेता है।
  • फ़ंगल निमोनिया: यह फ़ंगस की वजह से होता है।

वॉकिंग निमोनिया के लक्षण और संकेत क्या हैं?: जब ऐसा लगता है कि सर्दी 7 से 10 दिनों से अधिक वक़्त तक बनी हुई है। खास तौर पर अगर खांसी तेजी से बढ़ने लग जाती है या ठीक नहीं हो रही है। तो यह वॉकिंग निमोनिया के लक्षण हो सकते है। लक्षण अचानक आ सकते हैं या शुरू होने में अधिक समय लग सकता है। लक्षण अक्सर हल्के होते हैं, लेकिन कभी-कभी अधिक खतरनाक भी हो सकते है।

वॉकिंग निमोनिया के लक्षण

  • 101°F (38.5°C) या उससे कम बुखार
  • एक खांसी जो हफ़्तों से लेकर महीनों तक रह सकती है
  • थकान (बहुत थका हुआ महसूस करना)
  • सिरदर्द, ठंड लगना, गले में खराश और सर्दी या फ्लू जैसे अन्य लक्षण
  • तेज़ सांस लेना या घुरघुराहट या घरघराहट की आवाज़ के साथ साँस लेना
  • सांस लेने में कठिनाई जिससे पसलियों की मांसपेशियाँ सिकुड़ जाती हैं (जब पसलियों के नीचे या पसलियों के बीच की मांसपेशियाँ हर साँस के साथ अंदर की ओर खिंचती हैं)
  • कान में दर्द
  • सीने में दर्द या पेट में दर्द
  • अस्वस्थता (बेचैनी का एहसास)
  • उल्टी
  • भूख न लगना (बड़े बच्चों में) या ठीक से खाना न खाना (शिशुओं में)
  • चकत्ते

जोड़ों में दर्द: वॉकिंग निमोनिया के लक्षण आमतौर पर इस बात पर निर्भर करते हैं कि संक्रमण कहां से और कैसे शुरू हो रहे है। जिस बच्चे का संक्रमण फेफड़ों के ऊपरी या मध्य भाग में बने हुए है। उसे शायद सांस लेने में परेशानी होने लगी है। दूसरे बच्चे का संक्रमण फेफड़ों के निचले भाग (पेट के पास) में है, उसे सांस लेने में कोई परेशानी नहीं होने वाली है, लेकिन पेट खराब, मतली या उल्टी हो सकती है।

वॉकिंग निमोनिया का निदान कैसे किया जाता है?:

डॉक्टर आमतौर पर एक परीक्षा करके वॉकिंग निमोनिया का इलाज करते है। वे बच्चे की सांस की जांच करेंगे और एक कर्कश ध्वनि सुनेंगे जो हमेशा वॉकिंग निमोनिया का संकेत देने का काम करती है। यदि आवश्यक हो, तो वे निदान की पुष्टि करने के लिए छाती का एक्स-रे या बच्चे के गले या नाक से बलगम के नमूनों के परीक्षण का आदेश दे सकते हैं।

वॉकिंग निमोनिया का उपचार कैसे किया जाता है?: माइकोप्लाज्मा न्यूमोनिया की वजह से होने वाले वॉकिंग निमोनिया के लिए एंटीबायोटिक्स एक प्रभावी इलाज हैं। आमतौर पर मौखिक एंटीबायोटिक दवाओं का 5- से 10-दिवसीय कोर्स के बारें में बताया जाता है। यदि आपका डॉक्टर एंटीबायोटिक्स निर्धारित कर देता है, तो सुनिश्चित करें कि आपका बच्चा उन्हें अधिक तेज़ी से ठीक होने के लिए निर्देशित समय के मुताबिक लेता रहे।

एंटीबायोटिक्स लेना शुरू करने के उपरांत, आपके बच्चे द्वारा बीमारी को परिवार के अन्य सदस्यों में फैलाने का अनुमान और भी ज्यादा कम हो जाता है। लेकिन अपने घर के सभी लोगों को अपने हाथ अच्छी तरह से और हमेशा धोने के लिए प्रोत्साहित करना शुरू कर दें। अपने बच्चे को पीने के गिलास, खाने के बर्तन, तौलिये या टूथब्रश साझा न करने दें। बच्चों को टिश्यू या कोहनी या ऊपरी बाजू (हाथों में नहीं) में खांसना या छींकना सिखाएं। किसी भी इस्तेमाल किए गए टिश्यू को छूने के उपरांत अपने हाथ धोएं।

वाकिंग निमोनिया में नियमित तौर ध्यान रखना चाहिए जरुरी बातें/ Image Source:- (google image)

वाकिंग निमोनिया से बचाव के लिए आप भी कर सकते है ये काम:-

हाथों की साफ़ सफाई का खास ध्यान रखना: नियमित रूप से साबुन और पानी से आप अपने हाथों को अच्छी तरह से साफ़ करें, खासकर खाने से पहले और खाने के बाद में, और सार्वजनिक स्थानों पर जाने के बाद। अल्कोहल-आधारित हैंड सैनिटाइज़र का इस्तेमाल करें जब साबुन और पानी जब आपके पास न हो तब इसका इस्तेमाल कर सकते है। 

बीमार लोगों से रहें कई कोष दूर: खांसी या छींकने वाले लोगों से दूरी बनाकर रखने से आप इस बीमारी से बचे रहेंगे। फ्लू और सर्दी के मौसम में भीड़-भाड़ वाले स्थानों से दूरी बनाकर रखें। 

टीकाकरण: फ्लू और निमोनिया के टीके लगवाना होता है बहुत ही ज्यादा जरुरी, खासकर यदि आपको फेफड़ों की बीमारी या अन्य स्वास्थ्य समस्याएं हो तब। 

स्वस्थ जीवनशैली: इस तरह की बीमारी से जूझने वाले लोगों को संतुलित आहार लें, नियमित व्यायाम करें और पर्याप्त नींद लेना बहुत ही ज्यादा जरुरी है। पर्याप्त मात्रा में पानी का सेवन करना चाहिए। 

खांसी और छींकते वक़्त इस बात का ध्यान रखें: खांसी या छींकते वक़्त अपने मुंह और नाक को अपनी बांह से ढकें, न कि अपने हाथों से ढंके। 

मास्क: यदि आप बीमार हैं या भीड़-भाड़ वाले स्थान से दूरी बनाकर रखें और मास्क का प्रॉपर इस्तेमाल करें। 

अन्य: यदि आपका बच्चा इस बीमारी से ग्रसित है तो आपको इस बात का भी खास ध्यान देना है कि अपने बच्चों को अच्छी स्वच्छता के बारे में सिखाएं।  यदि आपको निमोनिया के लक्षण दिखाई दें, तो तुरंत डॉक्टर से इसकी जाँच करवाएं।

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