अमृतसर के स्वर्ण मंदिर से लेकर पटना साहिब तक इस वर्ष गुरु नानक जयंती पर होगा खास आयोजन

गुरु नानक देव जी की 556वीं जयंती 5 नवंबर 2025 को कार्तिक पूर्णिमा के दिन प्रकाश पर्व के रूप में मनाई जाएगी, इस पर्व पर गुरुद्वारों में अखंड पाठ नगर कीर्तन, एवं लंगर का आयोजन किया जाएगा, गुरु नानक देव जी ने समानता एवं मानवता का सन्देश दिया था।

अमृतसर के स्वर्ण मंदिर से लेकर पटना साहिब तक इस वर्ष गुरु नानक जयंती पर होगा खास आयोजन

कार्तिक पूर्णिमा पर होगी प्रकाश पर्व की शुरुआत

Share:

Highlights

  • श्रद्धा और उल्लास के साथ मनाई जाएगी गुरुनानक जयंती।
  • गुरु नानक जयंती पर होंगे अखंड पाठ, नगर कीर्तन और लंगर जैसे खास आयोजन।
  • मानवता, समानता और सेवा की भावना का भाव रखते थे गुरुनानक।

सिख धर्म के प्रथम गुरु नानक देव की जयंती पर सिख धर्म के लोग कार्तिक पूर्णिमा की प्रतीक्षा करते है क्योंकि इसी दिन गुरु नानक जयंती भी मनाई जाती है। सिख धर्म के संस्थापक गुरु नानक देव जी का जन्म दिवस हर वर्ष कार्तिक पूर्णिमा के दिन प्रकाश पर्व के रूप में श्रद्धा और उल्लास के साथ मनाया जाता है। इस वर्ष गुरु नानक देव जी की 556वीं जयंती 5 नवंबर 2025 को मनाई जाने वाली है।

द्रिक पंचांग के अनुसार, कार्तिक पूर्णिमा तिथि 4 नवंबर की रात 10 बजकर 36 मिनट पर प्रारंभ होगी और 5 नवंबर की शाम 6 बजकर 48 मिनट पर समाप्त होगी। उदया तिथि के आधार पर गुरु नानक जयंती का पर्व 5 नवंबर को मनाया जाएगा। इसी दिन देशभर में देव दीपावली का पर्व भी मनाया जाएगा।

कौन थे गुरु नानक देव ?

गुरु नानक देव जी का जन्म 15 अप्रैल 1469 को वर्तमान पाकिस्तान के पंजाब प्रांत स्थित चलवंडी गांव (अब ननकाना साहिब) में हुआ था। यही स्थान सिख समुदाय का प्रमुख तीर्थ स्थल माना जाता है। यहीं से गुरु नानक देव जी ने समाज में समानता, एकता, और सेवा की भावना का संदेश दिया था।

हर वर्ष की तरह इस बार भी गुरुद्वारों में भव्य आयोजन किए जाएंगे। दो दिन चलने वाले इस महोत्सव की शुरुआत अखंड पाठ से होगी, जिसमें गुरु ग्रंथ साहिब का 48 घंटे तक निरंतर पाठ किया जाता है। इसके बाद शोभायात्रा (नगर कीर्तन) निकाली जाएगी, जिसमें ‘पंज प्यारे’ सबसे आगे रहते हैं और श्रद्धालु भजन-कीर्तन करते हुए उनके पीछे चलते हैं।

जानिए कितना है गुरुनानक जयंती का महत्व :

प्रकाश पर्व पर लंगर का विशेष आयोजन किया जाता है, जो गुरु नानक देव जी की सेवा और समानता की परंपरा को दर्शाता है। इसमें सभी वर्गों के लोग एक साथ बैठकर भोजन ग्रहण करते हैं। सिख समुदाय के अलावा अन्य धर्मों के लोग भी इसमें भाग लेते हैं, जो भाईचारे और एकता का प्रतीक माना जाता है।

देशभर के प्रमुख गुरुद्वारों - अमृतसर के स्वर्ण मंदिर, दिल्ली के बंगला साहिब, पटना साहिब — में इस अवसर पर विशेष सजावट, दीवाली जैसे दीप प्रज्वलन और कीर्तन कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। इस वर्ष गुरु नानक जयंती का प्रकाश पर्व न केवल सिख समुदाय बल्कि पूरे भारत के लिए आध्यात्मिक एकता और मानवता के संदेश का प्रतीक बनकर मनाया जाएगा।

रिलेटेड टॉपिक्स