मोदी सरकार के फैसले से हो सकता है शशि थरूर को बड़ा लाभ

सरकार संसद की स्थायी समितियों का कार्यकाल 1 से 2 वर्ष करने पर विचार कर रही है, जिससे शशि थरूर 2 वर्ष तक विदेश मामलों की समिति के अध्यक्ष बने रह सकते हैं। इससे समितियों की निरंतरता बढ़ेगी और थरूर को राजनीतिक मजबूती मिलेगी। संसद में 24 समितियां हैं, जो नीतियों की समीक्षा करती हैं।

मोदी सरकार के फैसले से हो सकता है शशि थरूर को बड़ा लाभ

बढ़ सकता है शशि थरूर का कार्यकाल

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Highlights

  • कार्यकाल बढ़ने से शशि थरूर 2 वर्ष तक विदेश मामलों की स्थायी समिति के अध्यक्ष बने रह सकते हैं।
  • कार्यकाल विस्तार से थरूर को पार्टी के अंदर राजनीतिक मजबूती और पकड़ बढ़ाने का मिलेगा अवसर।
  • विपक्ष का कहना बार-बार पुनर्गठन से समितियों की निरंतरता भंग होती है, कार्यकाल बढ़ाने से गहन समीक्षा संभव होगी।

नई दिल्ली : कांग्रेस सांसद शशि थरूर के लिए एक बड़ी खबर सामने आई है। सरकार संसद की स्थायी समितियों का कार्यकाल 1 वर्ष से बढ़ाकर 2 वर्ष करने पर विचार कर रहे है। यदि यह निर्णय लागू होता है तो थरूर 2 वर्ष एवं विदेश केसों की स्थायी समिति के अध्यक्ष बने रह पाएंगे।

किस वजह से बढ़ाया जा सकता है कार्यकाल? :

अभी स्थायी समितियों का कार्यकाल प्रत्येक वर्ष खत्म हो जाएगा एवं हर बार पुनर्गठन किया जा रहा है। नए सदस्य जुड़ने से समितियों के कामकाज की निरंतरता टूटने लग जाती है। इसी कारण से विपक्ष लंबे वक़्त से कार्यकाल बढ़ाने की अपील कर रहा है। उनका इस बारें में कहना है कि इससे विधेयकों, रिपोर्टों एवं नीतियों की गहराई से समीक्षा संभव हो सकती है। अब सरकार इस सुझाव को गंभीरता से लेने में लगे हुए है एवं संभावना है कि इस बार समितियों का कार्यकाल 2 वर्ष किया जाए।

थरूर को किस तरह होगा लाभ? :

शशि थरूर को बीते वर्ष 26 सितंबर को विदेश केसों की स्थायी समिति का अध्यक्ष बना दिया गया था। लेकिन पार्टी के अंदर उनके रिश्ते अच्छे नहीं चल रहे हैं। अगर कार्यकाल बढ़ा तो वे बिना किसी परिवर्तन के 2 वर्ष एवं इस पद पर रह सकते है। खबरों का कहना है कि यह कदम उनके लिए राजनीतिक रूप से बड़ा सहारा बन सकता है एवं उन्हें पार्टी के अंदर अपनी पकड़ मजबूत करने का अवसर मिलेगा।

संसद में आखिर कितनी समितियां? :

फिलहाल संसद में 24 स्थायी समितियां हैं। हर समिति में 31 सदस्य होते है, इनमे  से 21 लोकसभा से एवं 10 राज्यसभा से ही होते है। ये समितियां संबंधित मंत्रालयों  एवं विभागों के बजट, नीतियों एवं कामकाज पर भी निगाह रखती है। इनके अध्यक्ष लोकसभा अध्यक्ष और राज्यसभा के सभापति द्वारा नामित कर दिए गए है। समितियों का कार्य सिर्फ निगरानी तक सीमित नहीं है, बल्कि ये बिलों पर भी विस्तृत रिपोर्ट तैयार करती हैं जो संसद के निर्णयों को प्रभावित कर रही है।

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