
नई दिल्ली : भारत के यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (UPI) ने वैश्विक फिनटेक क्षेत्र में अपनी एक विशिष्ट पहचान बनाई है। 2016 में लॉन्च किए गए इस प्लेटफ़ॉर्म ने डिजिटल लेन-देन के परिदृश्य को पूरी तरह से बदल दिया है। यह प्लेटफ़ॉर्म न केवल भारत में वित्तीय समावेशन को बढ़ावा दे रहा है, बल्कि दुनियाभर में इसकी सफलता को सराहा जा रहा है। हाल ही में एक रिसर्च रिपोर्ट ने इस बात का खुलासा किया है कि यूपीआई ने न केवल वित्तीय लेन-देन को आसान बनाया, बल्कि यह ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर अपनाया गया है।
यूपीआई के माध्यम से अब तक 30 करोड़ लोग और 5 करोड़ व्यापारी डिजिटल लेन-देन में शामिल हो चुके हैं। अक्टूबर 2023 तक, यूपीआई का योगदान भारत के कुल खुदरा डिजिटल भुगतानों में 75% तक पहुंच चुका था, जो इसके व्यापक उपयोग और सफलता को दर्शाता है। यह एक बड़ा मील का पत्थर है, क्योंकि यह प्लेटफ़ॉर्म सिर्फ शहरों तक सीमित नहीं रहा, बल्कि यह भारत के हर गाँव और कस्बे तक पहुँच चुका है।
इस रिसर्च रिपोर्ट को आईआईएम और आईएसबी के प्रोफेसरों ने तैयार किया है, जिसमें यह बताया गया है कि यूपीआई ने न केवल वित्तीय समावेशन को बढ़ावा दिया है, बल्कि यह वंचित वर्गों के लिए औपचारिक लोन तक पहुँचने का एक अहम जरिया भी बना है। किफायती इंटरनेट और डिजिटल तकनीकों की बढ़ती उपलब्धता ने यूपीआई को व्यापक रूप से अपनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। रिपोर्ट के अनुसार, यूपीआई ने सबप्राइम और नए-से-क्रेडिट उधारकर्ताओं को औपचारिक लोन प्रदान करने में मदद की है।
2015 से 2019 के बीच, फिनटेक कंपनियों ने यूपीआई का उपयोग करते हुए छोटे और वंचित उधारकर्ताओं को दिए जाने वाले लोन में 77 गुना वृद्धि दर्ज की। इतना ही नहीं, यूपीआई लेन-देन में 10% की वृद्धि के साथ लोन उपलब्धता में 7% का इजाफा हुआ। इस डिजिटल वित्तीय तंत्र का एक बड़ा लाभ यह रहा कि लोन वृद्धि के बावजूद डिफ़ॉल्ट दरों में कोई उल्लेखनीय बढ़ोतरी नहीं हुई। डिजिटल लेन-देन से प्राप्त डेटा ने वित्तीय संस्थानों को बेहतर निर्णय लेने और जिम्मेदारीपूर्वक लोन देने में मदद की।
यूपीआई की सफलता अब केवल भारत तक सीमित नहीं रही, बल्कि यह अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी अपनी पहचान बना चुका है। हाल ही में, जब G 20 समिट के समय विभिन्न देशों के राजनेता और अधिकारी भारत दौरे पर आए थे, तो उन्होंने यूपीआई का उपयोग किया और इसकी प्रशंसा की। इनमें से कई देशों के नेताओं ने भारत के यूपीआई मॉडल को अपनाने का प्रस्ताव भी रखा है।
उदाहरण के तौर पर, जब श्रीलंका के प्रधानमंत्री ने भारत का दौरा किया, तो उन्होंने यूपीआई के जरिए भुगतान किया और इसके सरलता और दक्षता की तारीफ की। उनके मुताबिक, "यूपीआई का इस्तेमाल करना बहुत ही सरल और उपयोगकर्ता के अनुकूल है, इसे अन्य देशों में भी लागू किया जा सकता है।" इसी तरह, बांगलादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना ने भी भारत के डिजिटल भुगतान तंत्र की सराहना करते हुए कहा कि यह न केवल डिजिटल समावेशन को बढ़ावा देता है, बल्कि विकासशील देशों के लिए एक आदर्श बन सकता है।
One of India’s success story is digital infrastructure. UPI enables everybody to make transactions in seconds. Millions of Indians use it. Federal Minister for Digital and Transport @Wissing was able to experience the simplicity of UPI payments first hand and is very fascinated! pic.twitter.com/I57P8snF0C
— German Embassy India (@GermanyinIndia) August 20, 2023
यूपीआई का प्रभाव अब इतनी तेजी से बढ़ रहा है कि भारत सरकार ने इस सफलता को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ले जाने की योजना बनाई है। यूपीआई अब कई देशों में पायलट प्रोजेक्ट के रूप में अपनाया जा चुका है, और आने वाले वर्षों में यह और अधिक देशों में विस्तार कर सकता है।
यूपीआई के लॉन्च के समय, भारत में इस नई पहल को लेकर कई सवाल उठाए गए थे। जब संसद में यूपीआई के बारे में चर्चा चल रही थी, तो कुछ राजनेताओं ने इसकी सफलता पर सवाल उठाए थे। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदंबरम ने संसद में यह सवाल उठाया था कि "क्या किसी गाँव में सब्जी बेचने वाली महिला डिजिटल पेमेंट ले सकेगी? क्या उसके पास बैंक अकाउंट होगा? क्या उस गाँव में इंटरनेट की सुविधा होगी?" उन्होंने सरकार की इस योजना का मजाक उड़ाते हुए कई सवाल उठाए थे। उनके अनुसार, यह पहल सिर्फ चंद बड़े शहरों तक ही सीमित रह जाएगी और इसका कोई फायदा दूरदराज के इलाकों में रहने वाले लोगों को नहीं मिलेगा।
मोदी है तो मुमकिन है... ????
— Gaurav Pradhan ???????? (@OfficeOfDGP) August 31, 2023
पूर्व वित्तमंत्री ने @PChidambaram_IN ने डिजिटल इंडिया का मजाक बनाते हुए जो उदाहरण दिया था, अब वही उदाहरण (फल सब्जि विक्रेता UPI से लेनदेन करके) पी चिदंबरम का मजाक बना दिये है! ????
#ModiMatters pic.twitter.com/zij2q5Y5rN
लेकिन, चिदंबरम जी की चिंताएँ गलत साबित हुईं। आज, भारत के हर गाँव में डिजिटल लेन-देन हो रहा है। छोटे दुकानदारों से लेकर किसान, सब्जी विक्रेता और अन्य छोटे कारोबारी भी अब यूपीआई के माध्यम से भुगतान स्वीकार कर रहे हैं। यूपीआई की वजह से न सिर्फ वंचित वर्ग को वित्तीय सेवाओं तक पहुँच मिली है, बल्कि छोटे दुकानदारों को छुट्टे पैसों की समस्या से भी निजात मिली है।
यह कहना गलत नहीं होगा कि यूपीआई ने भारत को डिजिटल ट्रांजेक्शन में दुनिया का सिरमौर बना दिया है। यह न केवल व्यापारिक समुदाय के लिए फायदेमंद साबित हुआ है, बल्कि इसका सामाजिक प्रभाव भी गहरा है। यूपीआई ने भारतीय समाज में डिजिटल साक्षरता को बढ़ावा दिया है, जिससे गरीब और पिछड़े वर्गों को भी वित्तीय सेवाओं का लाभ मिल रहा है। यूपीआई की सफलता के पीछे कई कारण हैं। पहला, इसका उपयोग करना बेहद सरल है। किसी भी स्मार्टफोन पर एक ऐप के जरिए भुगतान करना या प्राप्त करना काफी आसान है। दूसरा, यूपीआई का लेन-देन तत्काल होता है और इसमें कोई जटिल प्रक्रिया नहीं होती। तीसरा, यूपीआई ने बैंकिंग के तौर-तरीकों को सरल और सुलभ बना दिया है, जिससे आम आदमी भी अपने बैंकिंग कार्य आसानी से कर सकता है। चौथा, यूपीआई की सबसे बड़ी खासियत यह है कि यह बिना किसी शुल्क के भुगतान की सुविधा देता है, जिससे यह व्यापारियों और ग्राहकों के लिए आकर्षक बन जाता है।
भारत में यूपीआई की सफलता ने यह साबित कर दिया है कि डिजिटल भुगतान प्रणाली न केवल आर्थिक विकास का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बन सकती है, बल्कि यह सामाजिक समावेशन को भी बढ़ावा देती है। आने वाले समय में, यूपीआई के वैश्विक विस्तार के साथ, यह संभव है कि और अधिक देशों में इसे अपनाया जाए, जिससे वैश्विक वित्तीय प्रणाली में एक बड़ा बदलाव आए। अंततः, यूपीआई ने यह साबित कर दिया है कि डिजिटल वित्तीय प्रणाली केवल लेन-देन को सरल नहीं बनाती, बल्कि यह समावेशन और विकास को भी गति प्रदान करती है। यूपीआई का उदाहरण दुनिया के अन्य देशों के लिए प्रेरणा का स्रोत बन सकता है।