भारत जल्द ही खरीदेगा 114 और राफेल, वायुसेना को इसकी सबसे ज्यादा जरूरत

भारत में 114 राफेल खरीद पर विचार के बीच स्वदेशी तेजस मार्क-2 केंद्र में है। एचएएल द्वारा विकसित यह 4.5 पीढ़ी का फाइटर जेट कम लागत, आधुनिक तकनीक और उच्च क्षमता के कारण वायुसेना की दीर्घकालिक जरूरतों को पूरा करने में महत्वपूर्ण विकल्प माना जा रहा है।

भारत जल्द ही खरीदेगा 114 और राफेल, वायुसेना को इसकी सबसे ज्यादा जरूरत

वायुसेना की जरूरत को पूरा करेगी भारत सरकार, जल्द खरीदेगी और राफेल

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Highlights

  • 114 राफेल की खरीद पर विचार कर रहा भारत।
  • 2026 में होगी स्वदेशी तेजस मार्क-2 की पहली उड़ान
  • बड़े पैमाने पर वायुसेना को है राफेल की जरूरत।

नई दिल्ली : फ्रांस से 114 राफेल लड़ाकू विमानों की संभावित खरीद पर चल रही चर्चाओं के बीच रक्षा विशेषज्ञ अब भारतीय वायुसेना के स्वदेशी विकल्प तेजस मार्क-2 को और अधिक प्रभावी विकल्प मान रहे हैं। तेजस मार्क-2 को 4.5 पीढ़ी का फाइटर जेट बताया जा रहा है और इसे हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) विकसित कर रही है। इसकी पहली उड़ान 2026 में प्रस्तावित है। रिपोर्ट्स के अनुसार एचएएल तेजस मार्क-2 के प्रोटोटाइप का लगभग 60 प्रतिशत काम पूरा कर चुका है। 2026 के अंत तक वायुसेना इसके परीक्षण शुरू करेगी और दो से तीन वर्षों के मूल्यांकन और सुधार के बाद वर्ष 2029-30 से इसका बड़े स्तर पर उत्पादन शुरू होने की संभावना है। प्रोजेक्ट इस समय तेज रफ्तार से आगे बढ़ रहा है।

भारतीय वायुसेना इस वक्त लड़ाकू विमानों की भारी कमी झेल रही है। चीन और पाकिस्तान की दो-फ्रंट चुनौतियों के बीच वायुसेना को 42 स्क्वाड्रन की आवश्यकता है, जबकि उसके पास केवल 30 सक्रिय स्क्वाड्रन मौजूद हैं। बदलते सुरक्षा परिदृश्य को देखते हुए रक्षा विशेषज्ञ अब यह संख्या बढ़ाकर 60 स्क्वाड्रन तक करने की जरूरत बता रहे हैं।

फाइटर जेट्स की कमी को पूरा करने के लिए वायुसेना के पास सीमित विकल्प हैं। राफेल की क्षमता पर कोई सवाल नहीं है और भारत पहले ही 36 राफेल का बेड़ा तैयार कर चुका है। नौसेना के लिए भी 26 राफेल मरीन की खरीद प्रक्रिया आगे बढ़ चुकी है। हालांकि, 114 राफेल की नई डील में सबसे बड़ी चुनौती लागत है। अनुमान है कि इस खरीद पर दो से ढाई लाख करोड़ रुपये तक खर्च हो सकता है, जो वायुसेना के अगले लगभग दस वर्षों के बजट पर भारी प्रभाव डालेगा। इसी वजह से नीति-निर्माता भी विकल्प तलाशने पर जोर दे रहे हैं।

स्वदेशी तेजस मार्क-2 लागत के लिहाज से काफी सस्ता विकल्प माना जा रहा है। रक्षा विशेषज्ञ राज बसु के अनुसार इसकी अनुमानित कीमत प्रति विमान करीब 700 करोड़ रुपये हो सकती है, जबकि एक राफेल की लागत लगभग 1600 करोड़ रुपये के आसपास आती है। तेजस मार्क-2 में जीई का 414 इंजन लगाया जाएगा और यह ब्रह्मोस, अस्त्र-2 समेत कई आधुनिक मिसाइलों को ले जाने की क्षमता रखेगा। एडवांस राडार सिस्टम, एआई आधारित कंट्रोल सिस्टम और 1500 किलोमीटर के कॉम्बैट रेडियस के साथ यह फाइटर जेट अत्याधुनिक तकनीक से लैस होगा। इसमें हथियारों की तैनाती के लिए 13 हार्ड पॉइंट भी होंगे।

राज बसु का कहना है कि राफेल की लागत में जितना खर्च होगा, उतने में लगभग 250 तेजस मार्क-2 खरीदे जा सकते हैं। इससे वायुसेना की दीर्घकालिक जरूरतों की पूर्ति में बड़ी मदद मिल सकती है। इसके साथ ही भारत का उन्नत AMCA फाइटर जेट प्रोग्राम भी 2035 से डिलीवरी शुरू करने की दिशा में आगे बढ़ रहा है।

एचएएल ने हाल के वर्षों में अपने उत्पादन में व्यापक सुधार किया है। नासिक में नई उत्पादन लाइन तैयार की जा चुकी है और कंपनी की वार्षिक क्षमता 24 लड़ाकू विमानों तक पहुंच गई है। वर्ष 2029-30 तक उत्पादन क्षमता बढ़कर 30 विमान प्रति वर्ष होने का अनुमान है। हालांकि, फिलहाल सबसे बड़ी चुनौती अमेरिकी कंपनी जीई से इंजनों की समय पर डिलीवरी है। इंजनों की देरी के कारण तेजस मार्क-1A की डिलीवरी भी अभी तक शुरू नहीं हो पाई है।

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