फिलीपींस को जल्द ही भारत सौपेगा ब्रह्मोस मिसाइल की आखिरी खेंप

भारत जल्द ही फिलीपींस को ब्रह्मोस मिसाइल का तीसरा बैच देगा, जो 2022 के 375 मिलियन डॉलर के सौदे का हिस्सा है। यह मिसाइल दक्षिण चीन सागर में फिलीपींस की तटीय सुरक्षा को मजबूत करेगी। वियतनाम, इंडोनेशिया और अन्य देशों के साथ भी सौदे की बातचीत चल रही है।

फिलीपींस को जल्द ही भारत सौपेगा ब्रह्मोस मिसाइल की आखिरी खेंप

फिलीपींस की बढ़ेगी ताकत ब्रह्मोस मिसाइल की तीसरी खेंप भेजेगा भारत

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Highlights

  • भारत जल्द ही फिलीपींस को ब्रह्मोस सुपरसोनिक मिसाइल तीसरी खेंप।
  • ब्रह्मोस एयरोस्पेस के CEO ने तय समय पर डिलीवरी का भरोसा दिया, जो भारत-फिलीपींस रक्षा संबंधों को गहरा करेगा।
  • 290 किमी रेंज और मैक 2.8 की रफ्तार वाली मिसाइलें फिलीपींस की तटीय सुरक्षा को मजबूत करेंगी।

नई दिल्ली : भारत जल्द ही फिलीपींस को ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल का तीसरा बैच देने वाला है। यह डिलीवरी 2022 में हुए 375 मिलियन डॉलर (करीब 3,000 करोड़ रुपये) के सौदे को पूरा करने वाली है। इससे पहले दो बैच अप्रैल 2024 और अप्रैल 2025 में पहुंच चुके हैं।

दक्षिण चीन सागर की सुरक्षा में मदद :

खबरों का कहना है कि फिलीपींस भारत से ब्रह्मोस खरीदने वाला पहला देश है। इस सौदे के तहत तीन बैटरियांभी प्रदान की जा रही है। हर बैटरी में 290 किलोमीटर रेंज और मैक 2.8 की रफ्तार वाली मिसाइलें शामिल हैं। यह मिसाइलें फिलीपींस नौसेना की तटीय सुरक्षा को मजबूत बनाने का काम करेंगी और दक्षिण चीन सागर में चीन के दावों का मुकाबला करने में सहायक होंगी।

समय पर डिलीवरी का भरोसा :

इतना ही नहीं ब्रह्मोस एयरोस्पेस के CEO और MD जयतीर्थ जोशी ने इस बारें में बोला है कि मिसाइलें तैयार हैं और तय समय पर डिलीवरी की जाने वाली है। उन्होंने इस बारें में जानकारी दी है कि यह सौदा भारत और फिलीपींस के बीच रक्षा संबंधों को और गहरा बनाएगा। फिलीपींस ने ब्रह्मोस को अपने होराइजन 3 मॉडर्नाइजेशन प्रोग्राम में शामिल किया है और आगे और बैटरियां खरीदने में रुचि दिखाई है।

वियतनाम और अन्य देशों से वार्ता : 

अब खबरें आ रही है कि भारत अब वियतनाम के साथ तकरीबन 700 मिलियन डॉलर (लगभग 5,990 करोड़ रुपये) के ब्रह्मोस सौदे के अंतिम चरण में है। इसके साथ साथ  इंडोनेशिया भी 450 मिलियन डॉलर का समझौता साइन करने को तैयार है। मलेशिया ने एयर-लॉन्च वेरिएंट में रुचि जताई है, जिसे Su-30MKM जेट्स पर फिट किया जाएगा। आर्मेनिया, UAE, सऊदी अरब और मिस्र सहित कई अन्य देशों से भी वार्ता चल रही है।

ब्रह्मोस की लोकप्रियता : 

इतना ही नहीं भारत-रूस की साझेदारी में बनी ब्रह्मोस मिसाइल अपनी रफ्तार (मैक 2.8), 290 किमी रेंज और सटीकता के कारण दुनियाभर में लोकप्रिय है। वहीं यह लैंड, सी और एयर तीनों प्लेटफॉर्म से लॉन्च की जा सकती है और एंटी-शिप व लैंड अटैक दोनों ऑपरेशन में सक्षम है।

रक्षा निर्यात में बड़ी छलांग : 

ऑपरेशन सिंदूर में ब्रह्मोस की सफलता के पश्चात इसकी मांग कई देशों में तेजी से वृद्धि हुई। वित्तीय वर्ष 2024-25 में भारत का रक्षा निर्यात 21,083 करोड़ रुपये तक पहुंच चुका है। सरकार का लक्ष्य 2025-26 तक इसे बढ़ाकर 50,000 करोड़ रुपये करना है। इसमें ब्रह्मोस की अहम भूमिका रहेगी, जो आत्मनिर्भर भारत को मजबूती प्रदान करेगी।

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