इंदौर लगातार आठवीं बार बना स्वच्छता का सिरमौर, दूसरे पर सूरत और तीसरे पर नवी मुंबई

साल 2017 में मध्य प्रदेश के जिले इंदौर की सफाई में गुणात्मक सुधार हुआ और इंदौर पहले नंबर पर आ चुका है। इसके पश्चात शहर ने पीछे मुड़ कर फिर नहीं देखा। 8 सालों से लगातार स्वच्छता का परचम इंदौर देशभर में लहराता आ रहा है।

इंदौर लगातार आठवीं बार बना स्वच्छता का सिरमौर, दूसरे पर सूरत और तीसरे पर नवी मुंबई

एक बार फिर स्वच्छता से चमका इंदौर, आठवीं बार अपने नाम किया खिताब

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Highlights

  • आठवीं बार इंदौर ने लहराया स्वच्छता का परचम।
  • सुपर स्वच्छ लीग में पहले नंबर पर आया इंदौर।
  • 10 वर्षों में बदली इंदौर की सूरत।

इंदौर: गुरुवार को स्वच्छ सर्वेक्षण 2024 के नतीजे घोषित किए गए है। देश में सुपर स्वच्छ लीग में इंदौर नंबर वन बना है। वहीं, दूसरे नंबर पर सूरत और तीसरे नंबर पर नवी मुंबई है। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने इंदौर को स्वच्छता का सम्मान दिया। लगातार स्वच्छता में 8वीं बार इंदौर नंबर वन बना है। नई दिल्ली में राष्ट्रपति से पुरस्कार प्राप्त करने मंत्री कैलाश विजयवर्गीय, महापौर पुष्यमित्र भार्गव और आयुक्त शिवम वर्मा पहुंचे। देश की सबसे स्वच्छ राजधानी भोपाल है।

इंदौर, उज्जैन एवं बुधनी को सुपर स्वच्छ लीग श्रेणी, भोपाल, देवास और शाहगंज को राष्ट्रपति पुरस्कार, जबलपुर को विशेष श्रेणी एवं ग्वालियर को राज्य स्तरीय पुरस्कार दिया गया है। स्वच्छ सर्वेक्षण में मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल दूसरे नंबर पर रहा। इसके साथ ही 3-10 लाख की जनसंख्या वर्ग में नोएडा सबसे स्वच्छ शहर रहा, उसके बाद चंडीगढ़ और मैसूर का स्थान रहा।

दस वर्ष पहले ऐसा था इंदौर का हाल : 

दस वर्ष पूर्व इंदौर सफाई नमे बहुत पिछड़ा हुआ था। साल 2014 की स्वच्छता रैंकिंग के बारें में बात की जाए तो इसमें इंदौर का 149 वां नंबर था। वहीं नगर निगम के अफसरों को गंदगी के मामले में हाईकोर्ट की डांट भी सुननी पड़ीं थी, लेकिन धीरे-धीरे इसमें सुधार देखने के लिए और वर्ष 2017 में इंदौर की सफाई में गुणात्मक सुधार देखने के लिए मिला एवं इंदौर पहले नंबर पर आ गया। इसके पश्चात शहर ने पीछे मुड़ कर नहीं देखा। 8 सालों से लगातार स्वच्छता का परचम इंदौर देशभर में लहरा रहा है। तो चलिए जानते है आठ सालों में क्या क्या हुए बदलाव- 

पहला वर्ष - सफाई, सिस्टम सुधारा :

साल 2017 में इंदौर ने सफाई में सरताज बनने का निर्णय किया। इंदौर का जिला खुले में शौच से मुक्त हो गया। इसके पश्चात शहर को खुले में शौच से मुक्त करने की कोशिश की। तत्कालीन मेयर मालिनी गौड़ ने शहर की सफाई व्यवस्था सुधारने की पहल शुरू की है। इतना ही नहीं मध्य प्रदेश की राजधानी बतौर नगर निगम आयुक्त डोर टू डोर सिस्टम को लागू कर चुके मनीष सिंह ट्रांसफर होकर इंदौर आए। वहीं उन्होंने सबसे पहले इंदौर को खुले में शौच से मुक्त करने पर जोर देना शुरू किया। हर घर और जगह पर शौचालय बनवाए। इसके पश्चात शहर के कुछ वार्डों में डोर टू डोर कचरा कलेक्शन व्यवस्था को शुरू किया है। कचरा उठाने वाली एटूझेड कंपनी का ठेका निरस्त करने का फैसला किया और सफाईकर्मियों ने व्यवस्था संभाली। फिर पूरे शहर में डोर टू डोर कचरा जमा होने लगा और इंदौर ने वर्ष 2017 की स्वच्छता रैंकिंग में पहला स्थान अपने नाम कर लिया।

दूसरा वर्ष- कचरा संग्रहण सिस्टम मजबूत :

खबरों का कहना है कि इंदौर में डोर टू डोर कचरा कलेक्शन सिस्टम को साल 2018 में और मजबूत बनाने की कोशिश को बढ़ावा दिया है। लोगों के घरों में अलग-अलग डस्टबीन दिखाई देने लगे। शहर में शत प्रतिशत गीला और सूखा कचरा संग्रहित होता था और ट्रेंचिंग ग्राउंड तक पहुंचाया जाता था। गीले कचरे से खाद बनना के लिए भी शहरवासी प्रेरित हुए।

तीसरा वर्ष- गार्डन बना ट्रेंचिंग ग्राउंड :

साल 2019 में इंदौर ने सड़कों की सफाई का सिस्टम को और भी मजबूती प्रदान करने का काम किया जाने लगा, कचरे के साथ धुल भी गायब हो जाए इसके लिए सड़कों पर सफाई मशीन चला दी गई। हाल ये हुआ कि शहर से प्रदूषण भी कम होने लगा। इस वर्ष निगम ने ट्रेंचिंग ग्राउंड को कचरे के पहाड़ से उसे मुक्त किया। वहां गार्डन बनाया गया और लोग फोटो शूट के लिए यहां आने लगे।

चौथा वर्ष- महामारी में भी नहीं हारा इंदौर :

साल 2020 में कोविड-19 महामारी ने पूरे देश को अपनी चपेट में लिया हुआ था। इंदौर में लाॅकडाउन लगा। तब भी शहर की सफाई व्यवस्था लगातार चलती रही। महामारी की वजह से सफाईकर्मियों की जानें भी गई, लेकिन तब भी घरों से कचरा लगातार उठता रहा। शहर में नियमित सफाई जारी रही। शहरवासियों ने सफाई को लेकर अच्छा फीडबैक भी दिया। इस वर्ष बेकलेन को गंदगी से मुक्त करने की मुहिम को शुरू किया गया। इसके पश्चात फिर इंदौर तीसरी बार स्वच्छता में नंबर 1 बना।

पांचवां वर्ष- नाले सूख कर बन गए मैदान :

शहर साफ और स्वच्छ रहने लगा। वर्ष 2021 में सुंदर बनाने का काम शुरू किया गया। सार्वजनिक बाउंड्रीवाॅल पर पेंटिंग दिखाई देने लगी। डिवाइडरों पर रंग किये जाने लगे। नगर निगम ने थ्री आर माॅडल को अपना लिया। बेकार वस्तुएं शहर के चौराहों पर सजावट के काम में आने लगी। बेकलेन साफ हुई। सड़कों पर रंगोलियां सजती थी। नाले सूखकर मैदान बनने लगे। इंदौर को वाटर प्लान में फाइव स्टार रेटिंग दी गई। इतना ही नहीं मेहनत रंग लाई और इंदौर को 5वीं बार सफाई में सरताज बनने से देश को कोई शहर रोक नहीं सका।

छठा वर्ष- सफाई से हुई कमाई :

खबरों का कहना है कि साल 2022 में सफाई से कमाई पर जोर दिया जाने लगा। इंदौर की स्वच्छता का डंका देशभर में बजता रहा, जो शहर साफ बनना चाहते थे, उनके अफसर इंदौर आकर स्वच्छता का पाठ पढ़ते इंदौर के माॅडल का अनुसरण करने लगे। ट्रेंचिंग ग्राउंड पर 500 टन क्षमता का बायो CNG प्लांट शुरू किया गया। कचरे से पैदा हुई गैस से सिटी बसें चलाई जाने लगी। शहर के वायु प्रदूषण को रोकने की मुहिम शुरू हुई। इस तरह साल 2022 में भी इंदौर स्वच्छता में सरताज रहा।

7वां वर्ष- इंदौर को मिली बड़े आयोजन करने की अनुमति :

वहीं इस वर्ष इंदौर शहर में  कई बड़े बड़े आयोजन किये गए,  प्रवासी सम्मेलन, स्मार्ट सिटी काफ्रेंस, G-20 बैठकों की वजह से शहर 7 वर्षों में सबसे सुंदर दिखाई दिया। डिवाइडरों पर विद्युत सज्जा, हरियाली और चौराहों की सजावट का लाभ स्वच्छता रैंकिंग में देखने के लिए मिला। वायु प्रदूषण कम करने का अभियान रंग लाया और शहर की आबोहवा में बड़ी मात्रा में सुधार देखने के लिए मिला। इंदौर 7वीं बार पहले स्थान पर रहा, इस वर्ष सूरत की रैंकिंग भी समान थी।

8वां वर्ष- सफाई के सिस्टम को बनाएं रखा :

8वें साल में  इंदौर में सफाई को लेकर अधिक काम नहीं हुए लेकिन 7 सालों में जो सिस्टम बनकर तैयार हुआ। उसे अच्छी तरह से बरकरार रखा गया। सड़कों पर जलजमाव दूर करने पर जोर दिया। नालों की गंदगी को पूरी तरह से साफ़ कर दिया गया। नए ट्रीटमेंट प्लांट का निर्माण किया गया। इस तरह 8वें वर्ष भी इंदौर स्वच्छता लीग में सबसे आगे रहा। 

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