
ये बात तो हम सभी जानते है कि हमारी पृथ्वी रहस्यों, चमत्कारों और आश्चर्यजनक चीजों से भरी हुई है, विज्ञान आज कितनी भी तरक्की क्यों ही न कर लें लेकिन प्रकृति के कुछ रहस्य कभी भी नहीं सुलझा पाएगा। क्यूंकि पृथ्वी के ये अजूबे किसी चमत्कार से कम नजर नहीं आते, इनमे बहुत ही जगह तो इतनी खूबसूरत होती है कि उन्हें देखने मात्र से प्रतीत होता है कि मानों स्वर्ग धरती पर आ गया हो, लेकिन हर बार सुंदर दिखने वाली ये सभी जगह सुक्षित नहीं होती, पृथ्वी पर कई ऐसे विशाल और रहस्यमयी गड्ढे पाए जाते है, जो देखने में होते तो बहुत ही सुंदर है, लेकिन असल में होते बड़े ही खतरनाक है। आज हम आपको कुछ ऐसे ही रहस्य से भरे हुए गड्ढों के बारें में बताने वाले है...
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मेक्सिको के उत्तरपूर्वी राज्य तमाउलिपास में स्थित है। ये दुनिया का अब तक का खोजा गया सबसे गहरा सिंकहोल है, ये होल इतना गहरा है कि इसकी गहराई नापने के लिए नासा द्वारा एक अभियान भी शुरू किया गया था, इस सिंकहोल की गहराई नापने वाले इस अभियान में ऑटोनोमस सबमरीन का इस्तेमाल किया गया था, इस सिंकहोल का अब तक खोजा गया, सबसे गहरा पॉइंट 1112 फ़ीट है, लेकिन कुछ विशेषज्ञों का ये मानना है कि ये सिंकहोल इससे भी कई ज्यादा गहरा है। इस सिंकहोल को जैकाटन नाम इसके चारो ओर आइलैंड पर पाई जाने वाली घास की वजह से दिया गया है, आज तक ऐसा नहीं हो पाया है कि कोई भी व्यक्ति इस सिंकहोल के तल पर पहुंचा हो, एक गोताखोर ने इसके तल तक पहुंचने के प्रयास में अपनी जान से हाथ धो दिया था। मैक्सिको के इस इलाके में दर्जनों इस तरह के सिंकहोल मौजूद है।
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अधिकांश लोगों ने तो मारियाना ट्रेंच का नाम सुना ही होगा, मारियाना ट्रेंच प्रशांत महासागर में मारियाना आइलैंड से पूर्व दिशा में लगभग 200 KM दूर पर बसा हुआ है, ये पृथ्वी पर खोजी गई अब तक की सबसे गहरी जगह है, प्रशांत महासागर में अर्ध चंद्राकार आकृति में बने इस विशाल गड्ढे की लम्बाई 2550 KM और चौड़ाई लगभग 69 KM है, इंसानों द्वारा खोजा गया इस गड्ढे का सबसे गहरा भाग 11034 मीटर यानी 36201 फ़ीट आँका गया है। इसकी गहराई का अंदाजा आप इस बात से भी लगा सकते है कि यदि दुनिया का सबसे ऊँचा पर्वत माउंट एवेरेस्ट भी इस ट्रेंच के अंदर डाल दिया जाए तो इसकी छोटी पानी के अंदर 2 KM की गहराई तक डूबी होगी, मारियाना ट्रेंच इतना गहरा है कि एक पॉइंट तक पहुंचने के पश्चात इसमें सूरज की रौशनी भी नहीं आती, इतना ही नहीं इसकी गहराई में दवाब इतना अधिक हो जाता है कि किसी भी व्यक्ति का यहाँ जिन्दा रह पाना नामुमकिन है, इसे समुद्र की सबसे रहस्यमयी जगह में सुमार किया गया है।
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महामास के लॉन्ग आइलैंड में स्थित इस खूबसूरत जगह को डींस ब्लू होल का नाम दिया गया है , समुद्र में बना विशाल और गहरा गड्ढा अपनी खूबसूरती की वजह से पर्यटक स्थल माना जाता है। दुनिया भर से लोग इस कुदरत के करिश्मे को देखने के लिए आते है, ये दुनिया का दूसरा सबसे गहरा होल है, दूर से देखने पर ये जितना सुंदर नजर आता है असल में ये उतना ही खतरनाक है, इसके आकर की बात की जाए तो ये लगभग 663 फ़ीट गहरा है, ऊपर से इसके मुख का व्यास 115 फ़ीट है जबकि 66 फ़ीट अंदर जाने के बाद इसका व्यास बढ़कर 330 फ़ीट हो जाता है। दुनियाभर के गोताखोर समुद्र में बने इस विशाल गड्ढे की ज्यादा से ज्यादा गहराई तक पहुंचने की कोशिश करते है, लेकिन कई बार ऐसा करना उनके लिए जानलेवा साबित होता है, वर्ष 2013 में निकोलस नाम के गोताखोर की डींस ब्लू होल में ज्यादा गहराई तक जाने की वजह से मौत हो गई थी।
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ये घटना वर्ष 2010 की है ग्वाटेमाला शहर के बीच अचानक बनने वाले विशाल गड्ढे ने पूरी दुनिया को हैरान कर दिया था, ये विशाल गड्ढा आकर में 65 फ़ीट चौड़ा, लगभग 300 फ़ीट गहरा था, ये गहरा गड्ढा एक तीन मंजिला फैक्ट्री को अपने अंदर निगल चुका है, अचानक हुए इस हादसे में उस समय लगभग 15 लोगों की मौत हुई, शहर के बीचोबीच बने हुए इस गोलाकार गड्ढे की तस्वीर पर लोगों को विश्वास भी नहीं हुआ था, हैरान कर देने वाली तो ये थी कि आखिर ये विशाल गड्ढा कैसा हुआ, जब वैज्ञानिकों ने इस पर रिसर्च की तो उन्हें पता चला कि इस घटना के होने पर सिर्फ प्रकृति ही नहीं बल्कि इंसान भी बराबरी का जिम्मेदार है, इस गड्ढे के बनने जो कारण सामने आए वो ये थे:
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कुछ वर्ष पहले रूस के साइबेरिया में पाए गए रहस्यमयी गड्ढों ने हर किसी को चौका दिया था। वर्ष 2014 में ये अजीब गड्ढे साइबेरिया के जंगलों में पाए गए, इन जगलों में गड्ढे एक जगह नहीं बल्कि कई स्थानों पर देखे गए थे, जिनमे से कुछ गड्ढों की चौड़ाई 100 फ़ीट से भी अधिक थी, वहीँ कुछ समय बाद ही सोशल मीडिया पर इन गड्ढो की ख़बरें तेजी से वायरल होने लगी। इतना ही नहीं इनकी वजह से शोधकर्ता और वैज्ञानिकों तक की नींद उड़ गई थी, इंटरनेट पर उस वक़्त हर व्यक्ति के पास इन गड्ढो के अचानक से बन जाने पर एक न एक नई कहानी थी महीनों तक जांच और रिसर्च करने के बाद भी वैज्ञानिकों के पास इनके बनने का कोई भी पुख्ता सबूत नहीं था। ये मामला उस समय और भी ज्यादा हैरान करने वाला बन गया जब इन गड्ढों की तादाद और भी अधिक हो गई, ऐसा होने पर इन गड्ढों के रहस्य से पर्दा उठाना और भी ज्यादा जरुरी हो गया था, लेकिन कई वर्ष तक रिसर्च करने के बाद भी इन गड्ढों के बनने का सटीक कारण कभी भी पता नहीं चल पाया, वहीँ इस पर वैज्ञानिकों का कहना था कि इन गड्ढों के बनने के पीछे का कारण ग्लोबल वार्मिंग जिम्मेदार है।