इंदौर : आज से 70 वर्ष पूर्व यानि कि 1 नवंबर 1956 को भारत के बीचों-बीच बसे इस क्षेत्र को “मध्य प्रदेश” नाम का दर्जा प्राप्त हुआ, उस वक्त शायद किसी ने भी ये नहीं सोचा था कि एक दिन ये राज्य संस्कृति, अध्यात्म, प्रकृति और विकास...चारों का ऐसा शानदार संगम बन जाएगा। आज मध्य प्रदेश सिर्फ भारत के नक्शे का मध्य भाग नहीं, बल्कि देश का हृदय कहा जाता है। मध्य प्रदेश की मिट्टी में अपनापन है, यहां की नर्मदा में जीवन है, एवं यहां के लोग हर किसी को अपनेपन के साथ खुद को जोड़ लेते है। यहां की बोलियां, यहां की परंपराएँ, यहां की खुशबू...सब मिलकर ये बताते है कि मध्य प्रदेश सिर्फ “Heart of India” नहीं, बल्कि “Soul of India” भी है। हर मध्यप्रदेश वासी गर्व से कहता है – “हमारा मध्य प्रदेश, हमारा गर्व!”
मध्य प्रदेश का इतिहास के साथ गहरा नाता :
मध्य प्रदेश की हर धरा इतिहास की कहानी बायां करती है। सम्राट विक्रमादित्य की न्यायप्रियता से लेकर रानी लक्ष्मीबाई एवं तात्या टोपे जैसे महावीरों के साहस तक यह भूमि त्याग, पराक्रम और संस्कृति का प्रतीक बन चुकी है। इतना ही नहीं भीमबेटका की प्रागैतिहासिक चित्रगुफाएं, सांची का स्तूप, मंदसौर का सूर्य मंदिर एवं भोजपुर का विशाल शिवालय...यह सिद्ध करते हैं कि यह प्रदेश सभ्यता का जनक एवं आस्था का आधार है। वहीँ उज्जैन… महाकाल की नगरी एवं ओम्कारेश्वर ज्योतिर्लिंग। जहां हर श्वास में “हर-हर महादेव” की गूंज सुनाई देती है। यह प्रदेश केवल विरासत नहीं, बल्कि सजीव संस्कार है।
प्राकृतिक सुंदरता एवं पर्यटन का संगम :
सतपुड़ा की गोद, नर्मदा का आंचल एवं वन्य जीवन का अद्भुत संसार, मध्य प्रदेश प्रकृति की अलौकिक खूबियों ने लोगों का मन मोह लिया है। इतना ही नहीं कान्हा, बांधवगढ़, पन्ना, पेंच और सतपुड़ा के जंगलों में जीवन की धड़कनें सुनने के लिए मिलती है। भारत में बाघों की सबसे ज्यादा तादाद इस प्रदेश की शान कही जाती है। वहीं भेड़ाघाट के संगमरमर, तवा के शांत जल, मांडू की बादल घाटी और पचमढ़ी के शांत शिखर, हर गंतव्य प्रकृति और इतिहास दोनों का मिश्रण आनंद की अनुभूति करवाते है। इसीलिए मध्य प्रदेश को कई बार 'बेस्ट टूरिज्म स्टेट' के सम्मान से भी नवाज जा चुका है।
अर्थव्यवस्था और प्रगति में सुधार का केंद्र : मध्य प्रदेश आज नीति, परिश्रम और प्रगति का प्रतीक है—
मध्यप्रदेश अपने स्थापना दिवस के अवसर पर आज से शुरू हो रहे भव्य उत्सव 'अभ्युदय मध्यप्रदेश' के रंगों में रंगने को तैयार है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव आज इस आयोजन का औपचारिक शुभारंभ करने वाले है। समृद्ध, विकसित और सशक्त मध्यप्रदेश की झलक दिखाने वाले इस तीन दिवसीय उत्सव में कई राष्ट्रीय स्तर के गणमान्य अतिथि शामिल होंगे।
समारोह में केंद्रीय नागर विमानन मंत्री किंजरापु राममोहन नायडू, भारत के विधि और न्याय राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) अर्जुन राम मेघवाल, तथा पर्यटन, संस्कृति एवं धार्मिक न्यास एवं धर्मस्व राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) धर्मेंद्र भाव सिंह लोधी की गरिमामयी उपस्थिति रहेगी। मुख्य समारोह लाल परेड ग्राउंड, भोपाल में प्रतिदिन शाम 6:30 बजे से आयोजित किया जाएगा। उत्सव के दौरान गीत, संगीत, नृत्य, शिल्पकला, छायाचित्र प्रदर्शनी, सांस्कृतिक यात्राएं, ड्रोन शो और आतिशबाजी के माध्यम से मध्यप्रदेश की गौरवशाली विरासत और विकास की कहानी प्रस्तुत की जाएगी।
शुभारंभ अवसर पर मुख्यमंत्री डॉ. यादव के नेतृत्व में निवेश प्रोत्साहन और प्रदेश की उपलब्धियों पर आधारित तीन मिनट की फिल्म प्रदर्शित की जाएगी। वहीं, प्रदेश के 500 कलाकार भगवान श्रीकृष्ण की जीवन यात्रा को “विश्ववंद” शीर्षक के तहत सांगीतिक रूप में प्रस्तुत करेंगे। कार्यक्रम की विशेष आकर्षणों में से एक होगा 2000 ड्रोन से सजाया गया भव्य ड्रोन शो, जिसे विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग द्वारा प्रस्तुत किया जाएगा। यह अब तक का सबसे बड़ा विजुअल उत्सव होगा, जिसमें ‘विकसित मध्यप्रदेश’ को आसमान में अद्भुत रूप में प्रदर्शित किया जाएगा।
इसके बाद सुप्रसिद्ध पार्श्वगायक जुबिन नौटियाल और उनका ग्रुप लोकप्रिय गीतों ‘रातां लम्बियां’, ‘हमनवां मेरे’, और ‘तारों के शहर में’ जैसी प्रस्तुतियों से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध करेंगे। समापन में रंग-बिरंगी आतिशबाजी से भोपाल का आसमान रोशन होगा। 1 नवंबर की सुबह मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव लाल परेड ग्राउंड में आयोजित विभिन्न प्रदर्शनियों का शुभारंभ करेंगे। ये प्रदर्शनियां प्रतिदिन दोपहर 12 बजे से रात 10 बजे तक जनता के लिए खुली रहेंगी। इनमें विकसित मध्यप्रदेश 2047, मध्यप्रदेश के गौरव विक्रमादित्य और अयोध्या, विक्रमादित्य की मुद्राएं और सिक्के, आर्ष भारत, भारत विक्रम, मध्यप्रदेश की बावड़ियां, पारंपरिक कला और विरासत से विकास तक का सफर जैसे विषयों पर प्रदर्शनी लगाई जा रही है।
इसके अलावा, ‘एक जिला–एक उत्पाद’ योजना के तहत शिल्प मेला (प्रदर्शन सह विक्रय) और ‘स्वाद’ देशज व्यंजन मेला भी लोगों को आकर्षित करेगा। वहीं, 2 और 3 नवंबर को दोपहर 3 बजे से जनजातीय एवं लोकनृत्य प्रस्तुतियां होंगी, जिनमें करमा, भगोरिया, बधाई, गणगौर, मोनिया, अहिराई और कई पारंपरिक नृत्यों की झलक देखने मिलेगी। ‘अभ्युदय मध्यप्रदेश’ केवल एक सांस्कृतिक उत्सव नहीं, बल्कि यह प्रदेश की विरासत, संस्कृति, कला और विकास की दिशा में बढ़ते कदमों का उत्सव है- जो ‘विरासत से विकास’ की थीम को साकार करता है।