जगदीप धनकड़ के बाद सीपी राधाकृष्णन को मिली उपराष्ट्रपति की कमान

NDA के CP राधाकृष्णन ने 'इंडिया' ब्लॉक के बी. सुदर्शन रेड्डी को 152 वोटों से हराकर उपराष्ट्रपति चुनाव जीता। NDA को 452 वोट मिले, जबकि विपक्ष को 300। क्रॉस वोटिंग से 'इंडिया' ब्लॉक को झटका लगा, जो विपक्ष को एकजुट रखने में असफल रहा।

जगदीप धनकड़ के बाद सीपी राधाकृष्णन को मिली उपराष्ट्रपति की कमान

उपराष्ट्रपति बने सीपी राधाकृष्णन

Share:

नई दिल्ली : उपराष्ट्रपति चुनाव की सियासी बाज़ी NDA ने अपने नाम कर चुकी है. 'इंडिया' ब्लॉक के बी. सुदर्शन रेड्डी को मात देकर NDA प्रत्याशी CP राधाकृष्णन देश के 15वें उपराष्ट्रपति बन चुके है. इतना ही नहीं राधाकृष्णन भले ही NDA की ताकत से अधिक बड़ी जीत दर्ज करने में सफल हो गए, लेकिन जगदीप धनखड़ के मुकाबले उन्हें 76 वोट ही हासिल हुए.

चुनाव नतीजों की घोषणा करते हुए राज्यसभा के महासचिव व निर्वाचन अधिकारी पीसी मोदी ने कहा है कि कुल 781 में से 767 सांसदों ने अपने मताधिकार का इस्तेमाल किया, इस तरह कुल 98.2 फीसद मतदान किया गया. उन्होंने इस बारें में कहा है कि 752 मत वैध थे और 15 अवैध पाए गए. राधाकृष्णन को 452 वोट मिले हैं, जबकि 'इंडिया' ब्लॉक के प्रत्याशी बी. सुदर्शन रेड्डी को 300 वोट प्राप्त हुए. इतना ही नहीं  राधाकृष्णन ने 152 वोटों की मार्जिन से उपराष्ट्रपति चुनाव में जीत को अपने नाम कर लिया. इस तरह से NDA को अपनी उम्मीद से कहीं अधिक वोट प्राप्त हुए, तो 'इंडिया' ब्लॉक को उसके आंकड़े के कुल वोटों से 15 वोट कम ही हासिल हुए. ऐसे में साफ है कि विपक्ष के कुछ सांसदों ने क्रॉस वोटिंग भी की है. ऐसे में यह प्रश्न उठता है कि उपराष्ट्रपति चुनाव के नतीजों के सत्ता पक्ष एवं विपक्ष के लिए सियासी मायने क्या हैं?

पूर्व उपराष्ट्रपति से कितनी अलग राधाकृष्णन की जीत :

खबरों का कहना है कि CP राधाकृष्णन ने भारी मतों से जीत को अपने नाम कर लिया है, लेकिन जगदीप धनखड़ जैसी मार्जिन हासिल नहीं कर पाए. 2022 के उपराष्ट्रपति चुनाव में NDA की तरफ से जगदीप धनखड़ मैदान में थे, जिनके सामने विपक्ष की मार्गरेट अल्वा उतरी थी. वहीं धनखड़ को 528 (74.37%) वोट मिले थे तो अल्वा को 182 (25.63%) मत प्राप्त हुए. इस तरह धनखड़ ने 346 वोटों से उपराष्ट्रपति चुनाव में जीत हासिल की, लेकिन उन्होंने अचानक 21 जुलाई को अपने पद से इस्तीफा तक दे दिया है.

2025 के उपराष्ट्रपति चुनाव में NDA ने CP राधाकृष्णन को उम्मीदवार बना दिया था, जिनके सामने 'इंडिया' ब्लॉक ने पूर्व जस्टिस बी. सुदर्शन रेड्डी पर दांव खेला था. सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों ने दक्षिण इंडिया से उम्मीदवार उतारे. राधाकृष्णन को 452 (60%) वोट मिले हैं, जबकि 'इंडिया' ब्लॉक के बी. सुदर्शन रेड्डी को 300 (40%) वोट मिले. इस तरह राधाकृष्णन ने रेड्डी को 152 वोटों से चुनाव हराया.

खबरों की माने तो राधाकृष्णन को कुल वैध मतों का 60% वोट मिला, तो जगदीप धनखड़ को 2022 के चुनाव में कुल वैध मतों का 74.36% मिला था. इस तरह धनखड़ से 14% कम वोट राधाकृष्णन को हासिल हुए. धनखड़ की जीत की मार्जिन 346 वोटों की रही तो राधाकृष्णन को 152 वोटों से जीत हासिल हुई. धनखड़ से 76 वोट कम राधाकृष्णन को प्राप्त हुए. इस अंतर के पीछे सियासी कारण भी है, 2024 के लोकसभा चुनाव से सांसद सदस्यों का गणित बदल गया है. जिसके के साथ साथ विपक्ष पहले से अधिक एकजुट रहा.

क्रॉस वोटिंग से 'इंडिया' ब्लॉक को लगा झटका :

रिपोर्ट्स का कहना है कि उपराष्ट्रपति का चुनाव पार्टी के चुनाव चिह्न पर नहीं लड़ा जा रहा है. ये कारण है कि कोई भी पार्टी व्हिप जारी नहीं करती. ऐसे में सांसद अपनी पसंद के सदस्यों को वोट करते है. इस बार के उपराष्ट्रपति चुनाव में ये भी कहा जा रहा है, 15 विपक्षी सांसदों ने NDA के पक्ष में क्रॉस वोटिंग की है. इसे लेकर अब दोनों तरफ से सियासी संदेश देने की कवायद भी की जा रही है.

संसद के सदस्यों के लिहाज से NDA के सदस्यों का कुल आँकड़ा 427 था तो 'इंडिया' ब्लॉक का 315 का बन रहा था. चुनाव नतीजे को देखें तो राधाकृष्णन को 452 सदस्यों का वोट भी मिला है एवं सुदर्शन रेड्डी को 300 सदस्यों का वोट प्राप्त हुए. 'इंडिया' ब्लॉक की वास्तविक आंकड़े से 15 वोट सुदर्शन रेड्डी को कम मिले हैं तो NDA को 25 वोट अधिक मिले हैं. राधाकृष्णन को मिले अधिक वोटों में YSR कांग्रेस के अलावा बाकी 'इंडिया' ब्लॉक के सदस्यों के हैं.

बीजेपी की चुनावी रणनीति कैसे हुई सफल? :

मीडिया रिपोर्ट्स की माने तो 'इंडिया' ब्लॉक की तमाम कोशिशों के बाद भी NDA विपक्षी वोटों में सेंधमारी करने में कामयाब रहा है. 'इंडिया' ब्लॉक भले ही एकजुट रहा हो, लेकिन वह अपने सांसदों को क्रॉस वोटिंग करने से रोक नहीं सका. बीजेपी ने अपने सभी घटक दलों को एकजुट रखते हुए, जिस तरह विपक्षी सांसदों से राधाकृष्णन के पक्ष में क्रॉस वोटिंग कराया है. इसके सियासी मायने साफ हैं कि मोदी-शाह की रणनीति का काउंटर विपक्ष के पास नहीं है और साथ ही बड़े अंतर से जीत दर्ज कर विपक्ष को अपनी ताकत दिखा दी है.

कांग्रेस का सुदर्शन रेड्डी के रूप में गैर-राजनीतिक चेहरे को उतारकर सत्ता पक्ष के वोट को अपने पाले में करने की सारी कोशिश धरी रह गई है. सुदर्शन रेड्डी के ज़रिए 'इंडिया' ब्लॉक ने तेलुगु अस्मिता का दांव चला था, लेकिन न ही तेलंगाना की BRS का समर्थन जुटाने में कामयाब रही और न ही आंध्र प्रदेश से आने वाली किसी पार्टी का. भारतीय जनता पार्टी ने TDP के साथ YSR कांग्रेस और पवन कल्याण की पार्टी का समर्थन जुटाने में सफलता पाई, जो 'इंडिया' ब्लॉक के लिए बड़ा सियासी झटका लगा है.

'इंडिया' ब्लॉक विपक्ष को एकजुट रखने में असफल रहा :

खबरों का कहना है कि उपराष्ट्रपति पद के नतीजे से साफ है कि 'इंडिया' ब्लॉक भले ही ममता बनर्जी की TMC एवं अरविंद केजरीवाल की AAP का समर्थन जुटा कर रखा हो, लेकिन पूरे विपक्ष को लामबंद नहीं कर पाई. कांग्रेस की रणनीति फिर एक बार उन दलों को अपने साथ लाने में भी नाकाम रही, जो सत्ता पक्ष या विपक्ष, किसी का भाग नहीं थे. इतना ही नहीं ओडिशा के बीजू जनता दल, तेलंगाना की BRS और पंजाब के अकाली दल ने उपराष्ट्रपति चुनाव से दूरी बनाए रखी और किसी उम्मीदवार के पक्ष में वोट अब तक नहीं किया. BJD और अकाली दल के भारतीय जनता पार्टी से रिश्ते खराब होने के बाद भी कांग्रेस उन्हें अपने साथ नहीं जोड़ सकी. वोटिंग से दूर रहने के इन दलों के फैसले ने विपक्षी एकता के सियासी मंसूबे पर भी पानी दिया है.

रिलेटेड टॉपिक्स