
देश की सुरक्षा को लेकर एक बार फिर राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने कड़ा रुख अपना लिया है। टेरर फंडिंग और आतंकी नेटवर्क से जुड़े मामलों में NIA ने शनिवार को 7 राज्यों में एक साथ बड़े पैमाने पर छापेमारी कर दी है। ये तलाशी अभियान पश्चिम बंगाल, दिल्ली, असम, राजस्थान, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र में चलाया गया। इस कार्रवाई से देशभर में खलबली मच गई है और यह दिखाता है कि देश की सुरक्षा एजेंसियां आतंकवाद के विरुद्ध सतर्कता के साथ अपने काम को कर रही है।
क्या है मामला?: खबरों का कहना है कि NIA को सूचना मिली थी कि देश के कई राज्यों में कुछ आतंकी संगठनों के स्लीपर सेल सक्रिय हो चुके हैं, जो युवाओं को कट्टरपंथी विचारधारा से प्रभावित कर रहे हैं। इनका मकसद देश की एकता, अखंडता और सामाजिक सौहार्द को नुकसान पहुंचाना है। इसके साथ साथ इन संगठनों के पास विदेशों से फंडिंग होने के भी संकेत मिले थे। खुफिया एजेंसियों से मिली जानकारी के आधार पर NIA ने सात राज्यों में एक साथ ताबड़तोड़ छापेमारी की और कई संदिग्धों को हिरासत में लिया।
किन राज्यों में हुई कार्रवाई?:
1. पश्चिम बंगाल : मुर्शिदाबाद, मालदा और नादिया जैसे जिलों में छापेमारी कर NIA ने जमात-उल-मुजाहिदीन बांग्लादेश (JMB) जैसे संगठनों से जुड़े दस्तावेज और डिजिटल सबूत जब्त किए। ये इलाकों बांग्लादेश सीमा से सटे हैं और लंबे समय से आतंकी नेटवर्क के लिए संवेदनशील माने जाते रहे हैं।
2. दिल्ली : राजधानी के सीलमपुर, ओखला और जाफराबाद इलाकों में डिजिटल प्रचार के ज़रिए कट्टरपंथी विचारधारा फैलाने वाले कुछ युवकों को हिरासत में लिया गया। सोशल मीडिया पर आतंकी संगठनों से प्रेरित कंटेंट साझा करने की पुष्टि भी हुई है।
3. असम : बरपेटा और गोलपाड़ा जिलों में अल-कायदा इन इंडियन सबकॉन्टिनेंट (AQIS) के नेटवर्क से जुड़े लोगों की गतिविधियों की जांच की गई। कई संदिग्धों से पूछताछ की जा रही है, जिनमें कुछ स्थानीय मौलवी भी शामिल हैं।
4. राजस्थान : कोटा, अजमेर और टोंक में हवाला नेटवर्क की जांच के तहत छापेमारी की गई, जहां विदेशों से कथित तौर पर NGO के माध्यम से फंड भेजे जा रहे थे। इन पैसों का उपयोग धर्मांतरण और कट्टरपंथी विचारधारा फैलाने में होने की आशंका है।
5. हरियाणा : नूंह और फरीदाबाद क्षेत्रों में छापे डाले गए जहां पहले भी धार्मिक हिंसा के मामले सामने आ चुके हैं। कुछ संदिग्धों के पास से विदेशी फंडिंग और डिजिटल डेटा मिला है।
6. उत्तर प्रदेश : लखनऊ, मेरठ और सहारनपुर में स्लीपर सेल और संदिग्ध लेन-देन की जांच के लिए छापेमारी की गई। कई खातों में विदेशों से पैसा आने की पुष्टि हुई है और सोशल मीडिया निगरानी से कुछ नई जानकारियां हाथ लगी हैं।
7. महाराष्ट्र : मालेगांव, औरंगाबाद और मुंबई में आतंकी फंडिंग से जुड़े मामलों में एनआईए ने ताबड़तोड़ कार्रवाई की। कुछ संदिग्धों से विदेशी संपर्कों की पुष्टि हुई है और नकदी, डिजिटल डिवाइस व धार्मिक साहित्य जब्त किया गया है।
राजनीतिक और सामाजिक प्रतिक्रिया: इस बड़ी कार्रवाई पर राजनीतिक हलकों से मिली-जुली प्रतिक्रिया भी सामने आई है। जहां सेंट्रल गवर्नमेंट और सुरक्षा विशेषज्ञों ने NIA की कार्रवाई को सराहा है, वहीं कुछ स्थानीय नेताओं ने इसे “चुनिंदा कार्रवाई” बताकर कई बार निंदा की। हालांकि NIA का कहना है कि उनके पास पुख्ता प्रमाण थे और यह कार्रवाई पूरी तरह न्यायिक प्रक्रिया के अंतर्गत हुई है।
राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) भारत सरकार की एक केंद्रीय आतंकवाद-रोधी जांच एजेंसी है। इसका गठन भारत में आतंकी घटनाओं की तीव्र, निष्पक्ष और प्रभावी जांच करने के उद्देश्य से किया गया था। इसकी स्थापना ऐसे समय में हुई जब देश आतंकवाद की विभीषिकाओं से जूझ रहा था, विशेष रूप से 26/11 मुंबई हमलों ने इसकी नींव रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
वर्ष 2019 के संशोधन के बाद यह एजेंसी किसी भी राज्य में बिना उसकी अनुमति के जांच कर सकती है। एजेंसी देश के किसी भी कोने में फैले आतंकी मामलों को अपने अधीन लेकर जांच कर सकती है। यह अंतरराष्ट्रीय मामलों में भी संलिप्त हो सकती है, विशेषकर जब मामला विदेशी नागरिकों, संस्थानों या सीमापार आतंकवाद से जुड़ा हो।
कानूनी आधार :
राष्ट्रीय जांच एजेंसी अधिनियम, 2008 (National Investigation Agency Act, 2008) संसद में पारित किया गया।
यह अधिनियम 31 दिसंबर 2008 को राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद लागू हुआ।
इसी के तहत एनआईए (NIA) का गठन 1 जनवरी 2009 को हुआ।
26 नवंबर 2008 को मुंबई में हुए भीषण आतंकवादी अटैक में 160 से अधिक लोगों की जान चली गई थी और देशभर में भय का माहौल बन गया था। इस हमले ने यह स्पष्ट कर दिया कि भारत को एक एकीकृत और शक्तिशाली आतंकवाद-रोधी एजेंसी की जरूरत है।
NIA किन मामलों की जांच करती है? :
राष्ट्रीय जांच एजेंसी निम्न कानूनों के अंतर्गत आने वाले मामलों की जांच करती है:
2019 के संशोधन अधिनियम के बाद, NIA को देश के बाहर हुए अपराधों की भी जांच करने की शक्ति दी गई है, यदि वे भारतीय हितों से संबंधित हों।
NIA का गठन भारत की सुरक्षा व्यवस्था में ऐतिहासिक और रणनीतिक कदम था। यह एजेंसी अब केवल आतंकवादी घटनाओं की जांच ही नहीं करती, बल्कि देश के भीतर और बाहर फैले आतंकवाद के नेटवर्क को तोड़ने में भी एक सशक्त संस्था के रूप में उभरी है। इसकी निष्पक्षता, दक्षता और तकनीकी सक्षमता ने इसे देश की सबसे विश्वसनीय जांच एजेंसियों में शामिल कर दिया है।