नई दिल्ली : 2 नवंबर 2025 को भारत का प्रसिद्ध लॉन्च व्हीकल LVM3 रॉकेट अपनी 5वीं उड़ान भरने वाला है। यह उड़ान LVM3-M5 के नाम से पहचाना जाएगा। इस उड़ान में भारत का सबसे भारी संचार उपग्रह CMS-03 अंतरिक्ष में भेजा जाने वाला है। यह उपग्रह भारतीय नौसेना के लिए बेहद ही खास है। यह न केवल समुद्री कसेहतरों में संचार को और भी ज्यादा मजबूत बनाएगा, बल्कि ऑपरेशन सिंदूर जैसे महत्वपूर्ण अभियानों से सीखे गए सबकों को भी मजबूती प्रदान करेगा।
LVM 3 : भारत का विश्वसनीय रॉकेट :
LVM3 हिन्दुस्तान के अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन इसरो का सबसे ताकतवर लॉन्च व्हीकल है। इसका पूरा नाम लॉन्च व्हीकल मार्क-3 है। यह रॉकेट भारी सामान को अंतरिक्ष में ले जाने के लिए ही बनाया गया था। अब तक की 4 उड़ानों में इसने बेहद ही अच्छा काम किया है। सबसे हाल की उड़ान चंद्रयान-3 ने की थी, इसमें भारत चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के पास पहली बार कामयाब लैंडिंग करने वाला देश बन गया।
अब LVM3-M5 की बारी आ गई है। अब ये रॉकेट पूरी तरह तैयार हो चुका है। वहीं बीते दिन यानी 26 अक्टूबर 2025 को इसे उपग्रह के साथ जोड़कर लॉन्च पैड पर ले जाया गया। इस रॉकेट की अंतिम जांच चल रही है। लॉन्च सांय 5:26 बजे श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से होने वाला है। आप इसे ISRO के यूट्यूब चैनल पर लाइव देख पाएंगे।
श्रीहरिकोटा : भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) एक बार फिर इतिहास रचने की तैयारी में है। भारत का सबसे भारी संचार उपग्रह CMS-03 (Communication Satellite Mission-03) अब लॉन्च के लिए पूरी तरह तैयार है। करीब 4400 किलोग्राम वजन वाला यह मल्टी-बैंड सैटेलाइट भारतीय अंतरिक्ष विज्ञान में एक नई छलांग साबित होगा। CMS-03 को जियोसिंक्रोनस ट्रांसफर ऑर्बिट (GTO) में भेजा जाएगा, जहां से यह जियोस्टेशनरी ऑर्बिट में स्थापित होकर लगातार पृथ्वी के साथ संपर्क बनाए रखेगा। यह उपग्रह आने वाले सात वर्षों तक काम करेगा और भारतीय मुख्यभूमि व आसपास के समुद्री क्षेत्रों को कवरेज प्रदान करेगा। इस सैटेलाइट के जरिए देश को इंटरनेट कनेक्टिविटी, वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग और सुरक्षित डेटा ट्रांसमिशन जैसी अत्याधुनिक सुविधाएं मिलेंगी। खास बात यह है कि यह दूरदराज के इलाकों, जहाजों और विमानों तक मजबूत और स्थिर सिग्नल पहुंचाने में सक्षम होगा।
भारतीय नौसेना के लिए ‘समुद्री आंख’ साबित होगा CMS-03 :
CMS-03 उपग्रह, जिसे GSAT-7R के नाम से भी जाना जाता है, मुख्य रूप से भारतीय नौसेना के लिए विकसित किया गया है। समुद्र में गश्त करते हुए नौसेना के जहाजों, पनडुब्बियों और विमानों को अक्सर कमजोर सिग्नल की समस्या झेलनी पड़ती है। यह उपग्रह उस कमी को दूर करेगा और उन्हें रीयल-टाइम संचार और निगरानी की सुविधा देगा।
CMS-03 की प्रमुख खूबियां :
सुरक्षा में मजबूती: दुश्मन की गतिविधियों पर रीयल-टाइम में नजर रखी जा सकेगी।
बेहतर समन्वय: नौसेना के विभिन्न जहाजों और वायुसेना के बीच संपर्क तेज होगा।
समुद्री निगरानी: हिंद महासागर, अरब सागर और बंगाल की खाड़ी में निगरानी क्षमता बढ़ेगी। यह उपग्रह नौसेना के लिए एक “समुद्री आंख” साबित होगा, जो भारत की समुद्री सीमाओं की सुरक्षा को और भी सशक्त बनाएगा।
ऑपरेशन सिंदूर से जुड़ा मजबूत सबक :
CMS-03 की प्रेरणा भारत के सैन्य अभियान ‘ऑपरेशन सिंदूर’ (मई 2025) से भी जुड़ी है। इस चार दिवसीय अभियान ने भारत की सैन्य क्षमता का प्रदर्शन तो किया, लेकिन संचार समन्वय में आई देरी ने एक बड़ी सीख दी। ऑपरेशन के दौरान नौसेना, वायुसेना और थलसेना को एक-दूसरे से लगातार संपर्क में रहना था, परंतु पुराने उपग्रह सिस्टम की सीमाओं के कारण कुछ देरी हुई। इसके बाद भारत सरकार ने सैन्य संचार और निगरानी प्रणाली को आधुनिक बनाने का निर्णय लिया।
इसी निर्णय के तहत 3 अरब डॉलर के स्पाई सैटेलाइट प्रोजेक्ट की शुरुआत हुई, जिसका हिस्सा है CMS-03। यह उपग्रह जैम-प्रूफ सैन्य संचार प्रदान करेगा ताकि भविष्य में किसी भी अभियान- चाहे वह “ऑपरेशन सिंदूर 2.0” जैसा ही क्यों न हो- में भारतीय सेनाओं के बीच पूर्ण तालमेल बना रहे।
ISRO की तैयारियां पूरी, लॉन्च बस एक कदम दूर :
ISRO के वैज्ञानिकों ने 20 अक्टूबर को रॉकेट और उपग्रह का एकीकरण पूरा किया और 26 अक्टूबर को इसे लॉन्च पैड पर स्थानांतरित किया गया। वर्तमान में अंतिम मौसम जांच, ईंधन भरने और परीक्षणों का दौर जारी है। अगर सब कुछ तयशुदा योजना के अनुसार रहा, तो आने वाले घंटों में भारत का यह नया गौरव अंतरिक्ष में चमकने को तैयार होगा। CMS-03 न केवल भारतीय नौसेना की संचार क्षमता को नई ऊंचाई देगा, बल्कि यह देश को डिजिटल सुरक्षा, रणनीतिक नियंत्रण और तकनीकी आत्मनिर्भरता की दिशा में और भी सशक्त बनाएगा।