INS विक्रांत से डरता है पकिस्तान, गाजी को उड़ा कर रचा था इतिहास

INS विक्रांत भारत का पहला एयरक्राफ्ट करियर युद्धपोत था, जिसने वर्ष 1971 के युद्ध में निर्णायक भूमिका अदा की। यह भारतीय नौसेना के गौरव का प्रतीक रहा है।

INS विक्रांत से डरता है पकिस्तान, गाजी को उड़ा कर रचा था इतिहास

पाकिस्तान पर भारत की जीत का कारण INS विक्रांत

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Highlights

  • INS विक्रांत का निर्माण ब्रिटेन में HMS Hercules नाम से हुआ था।
  • INS विक्रांत से पहले इसका नाम INS विजय लक्ष्मी पंडित था।
  • 1971 की जंग में विक्रांत ने पूर्वी मोर्चे पर अहम् भूमिका निभाई।

भारत का समुद्री इतिहास काफी विस्तृत और गौरव से भरा हुआ है, देश की समुद्री और सैन्य इतिहास का गौरव बढ़ाने में नौसेना के जहाजों का अहम् योगदान रहा है, जब भारतीय नौसेना के जहाज़ों के इतिहास को याद किया जाता है, तो उनमे INS यानी इंडियन नैवेल शिप विक्रांत का नाम सबसे ऊपर होता है। हालाँकि इस शिप का इतिहास आजादी से भी पहले का है, उस समय इसे विक्रांत के नाम से कोई नहीं जानता था या ऐसा भी कह सकते है कि इसका नाम विक्रांत नहीं था। 

ब्रिटेन में हुआ था  वॉर शिप का निर्माण

दरअसल ये बात तब की है जब दूसरा विश्व युद्ध चल रहा था तभी ब्रिटेन की नेवी में एक जहाज को जोड़ा जाता है, जहाज का नाम था HMS HERCULES जिसे ब्रिटेन की Vickers Armstrong Shipyard में बनाया गया था। अब जहाज को ब्रिटेन की नेवी में शामिल कर लिया गया, लेकिन शामिल करने की प्रक्रिया इतनी लम्बी थी कि तब तक 1945 का दौर शुरू हो गया था। यह वो समय था जब दूसरा विश्व युद्ध पूरी तरह से समाप्त हो गया था, लेकिन विश्व युद्ध के समाप्त होने का कारण अब युद्धपोत यानि कि जहाज को इस्तेमाल में नहीं लाया जा सकता था, इसी वजह से ये तय किया गया कि अब इस जहाज को बेच दिया जाएगा, और उस समय ही भारत को अपनी नेवी को और भी ज्यादा मजबूत करने के लिए ऐसे ही एयरक्राफ्ट करियर शिप की आवश्यकता थी, यही वजह थी कि भारत ने इस शिप को ब्रिटेन से खरीद लिया, लेकिन खरीदने के बाद विक्रांत तुरंत भारत नहीं आया बल्कि इसके 1957 में ख़रीदे जाने के बाद लगभग 4 वर्षों तक इस जहाज को रेनोवेट किया गया था।

INS विजय लक्ष्मी से INS विक्रांत कैसे बना जहाज

सालों तक इस जहाज की मरम्मत करने के बाद आखिरकार 4 मार्च 1961 को इसे भारतीय नौसेना में कमीशन (अनुमति मिल गई) कर दिया गया, जब ये पहली बार इंडियन नेवी के साथ जुड़ा था तब INS विक्रांत का नाम विक्रांत न होकर INS विजय लक्ष्मी पंडित हुए करता था, इस बारें में शायद ही बहुत ही कम लोगों को जानकारी होगी कि विजय लक्ष्मी पंडित जवाहर लाल नेहरू की बहन होने के साथ ही साथ संयुक्त राष्ट्र संघ महासभा की पहली महिला अध्यक्ष थी। हालाँकि इस जहाज को संस्कृत के शब्द विक्रांता के साथ बदल दिया गया, जिसका मतलब ये है कि ''किसी से न डरने वाला'' खैर अब जहाज भारतीय नौसेना के अंदर आ तो गया था लेकिन अब तक उसने अपना असली रंग नहीं दिखाया था, इसके बाद वर्ष 1965 में भारत पकिस्तान से युद्ध करता है, जिससे सभी को उम्मीद थी कि भारत के बेस्ट क्रूज़ में तैनात INS विक्रांत पकिस्तान के खिलाफ इस जंग में दुश्मन को आसानी से हारने में मदद करेगा, क्यूंकि देश के पास अब लड़ाकू विमान को अपने साथ लेकर चलने वाला विक्रांता था, वैसे पकिस्तान को इस जहाज से खौफ कितना था, इस बात का अंदाज़ इससे लगाया जा सकता है कि पकिस्तान ने इस जंग में झूठी अफवाह फैला दी थी कि उसने विक्रांत को समुद्र में डुबो दिया है जबकि विक्रांत उस समय अपने रेग्युलेर मेंटेनेंस के चलते युद्ध में शामिल ही नहीं हुआ था। 

पाकिस्तानी सेना ने फैलाई थी अफवाह

इसी वजह से ये अफवाह और भी तेजी से वायरल हो गई,  खैर युद्ध होने के बाद जीत भारत के पक्ष में ही आई। लेकिन बात यहीं खत्म नहीं होती, इसके बाद आया वर्ष 1971 जहाँ भारत और पास्कितान के बीच फिर से जंग हुई, लेकिन इस बार पकिस्तान अपनी पूरी तैयारी के साथ जंग में उतरा था इसलिए INS विक्रांत ने देश के पश्चिमी समुद्री सीमा पर बाग़ डोर संभाली और वो भी इस तरह से कि पूरा पकिस्तान किसी भी तरह से जंग में आगे नहीं बढ़ पा रहा था, हालाँकि इस जहाज के अंदर अब भी कुछ समस्या थी जिसकी वजह से सिमित रफ़्तार में ही इसे काम करना पड़ता था, फिर भी इस युद्ध में पकिस्तान के पसीने छूट गए कमी होने के बाद भी पकिस्तान इसे मात नहीं दे पाया, जंग में विक्रांत ने जिस तरह से इंडियन नेवी और फाॅर्स को सपोर्ट किया था , उससे पाकिस्तान की सेना में मानसिक तनाव बढ़ गया, और पकिस्तान की सेना ये जंग भी लगभग हार गई थी लेकिन उसे कहीं से ये शक हो गया था कि INS विक्रांत का एक बाइलर ठीक तरह से काम नहीं कर रहा है। इसलिए उसने किसी भी कीमत पर इस जहाज को डुबोने का फैसला किया इसी सिलसिले में उसने अपनी पनडुब्बी गाज़ी को समुद्र में उतार दिया। गाज़ी को समुद्र में उतारने के बाद विक्रांता के लिए भारत की चिंता और भी ज्यादा बढ़ गई थी।

1971 भारत पकिस्तान का युद्ध

भारत को इस बात का अनुमान था कि यदि इस युद्ध में विक्रांता को कुछ होता है तो वह जिस तरह से भारतीय वायु सेना की मदद कर रहा है वो पूरी तरह से बंद हो जाएगा, और भारत की वायु सेना कमजोर पड़ जाएगी, जिसे हो न हो पकिस्तान की सेना आगे निकल जाएगी, इसलिए उन्होंने पकिस्तान की पनडुब्बी को चकमा देने के लिए INS विक्रांता की जगह INS राजपूत को उस स्थान पर खड़ा कर दिया जिससे पकिस्तानी सेना की पनडुब्बी ने जब INS राजपूत पर अटैक किया तो INS राजपुर ने पनडुब्बी गाज़ी को पूरी तरह से बर्बाद कर दिया, और इधर INS विक्रानता अपने काम पर लगा रहा, जिसकी मदद से युद्धक विमान पकिस्तान की सेना को बर्बाद करते रहे, इसी वजह से कहा जाता है कि भारत वर्ष 1971 में यदि जंग जीतने में कामयाब रहा तो उसकी असली वजह INS विक्रांता था, जिस वजह से इस जहाज को पूरे देश से एक हीरो की तरह सम्मान मिलता रहा, युद्ध के बाद INS विक्रांत के इंजन बाइलर और अन्य तकनीकी उपकरणों की मरम्मत करके जहाज को फिर से रेनोवेट किया गया, लेकिन कुछ वर्षों तक सेवा में रहने के बाद उसका काम संतोष जनक नहीं रहा और ईसिस वजह से वर्ष 1997 में देश के पहले विमान वाहक युद्ध जहाज को रिटायर कर दिया गया। 

रिटायर हो जाने के बाद भी INS विक्रांत आकर्षण का मुख्य केंद्र रहा है, सभी देशों के लोग इसे देखने के लिए आते थे, इसकी बढ़ती लोकप्रियता को देखते हुए भारत सरकार ने इसे तैरते हुए संग्रहालय में बदलने का फैसला किया, मौजूदा वक़्त में ये जहाज मुंबई में गेट वे ऑफ़ इंडिया के पास है अब इसका नाम बदलकर IMS विक्रांत कर दिया गया है। IMS का पूरा नाम ''इंडियन म्यूजियम शिप'' है। शायद इस बारें में भी बहुत कम लोग ही जानते होंगे कि बजाज ने अपनी V नाम की बाइक का निर्माण भी IMS विक्रांत के मेटल से ही किया था, जो कि उस बाइक की मार्केटिंग की मुख्य वजह बनी, इस बात से आप समझ ही गए होंगे कि INS विक्रांत की देश में क्या स्थिति थी। 

INS विक्रांत की खासियत

INS विक्रांत की खासियत के बारें में बात की जाए तो इसमें 25 KNOTS 25 समुद्री मील प्रतिघंटे की रफ़्तार से चलता था, हालाँकि बाद में तकनीकी समस्या के कारण इसकी रफ़्तार में करीब 12 KNOTS या 12 समुद्री मील प्रतिघटना हो गई थी, इसके बाद ही तय किया गया कि अब इस जहाज से और काम नहीं किया जा सकता, यदि इसकी लम्बाई के बारें में बात की जाए तो ये लगभग  192 मीटर और बीम 24.4 मीटर और ड्राफ्ट 7.3 मीटर था, अगर इस वॉर शिप के अचीवमेंट्स के बारें में बात करें तो इसे 2 महावीर चक्र 12 वीर चक्र मिल चुके है, ये पूरी कहानी उस INS विक्रांता थी, जिसका निर्माण भारत में तो नहीं हुआ लेकिन जब ये भारत का हुआ तो वॉर का हीरो बन गया इसके रिटायर हो जाने के बाद देश के पास एक ही वॉर शिप INS विक्रमादित्य के नाम से बचा हुआ था पर वर्ष 2021 में  देश में बने INS विक्रांता को भारत सरकार ने नेवी को दे दिया है, जो कि पुराने विक्रांता से कई गुना बेहतर और नई सुविधाओं से भरा हुआ है, जिसके कारण भारत के समुद्र में फिर से एक ऐसा रक्षक आ चुका है जिसका डर अन्य दुश्मन देशों को जरूर होगा और वह भी गलत हरकत करने से पहले एक बार जरूर सोचेंगे। 

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