
जयपुर : करणी माता को माँ दुर्गा का ही अवतार माना जाता है। जोधपुर और बीकानेर के राजघराने, माता करणी को अपनी कुलदेवी मानकर पूजते हैं। मान्यताओं के अनुसार, करणी माता का जन्म 2 अक्टूबर 1387 को राजस्थान में हुआ था। वे चारण जाति में जन्मीं थीं। करणी माता के अनुयायी उन्हें देवी हिंगलाज के अवतार के रूप में पूजते हैं। करणी माता एक तपस्विनी का जीवन जीती थी और उन्होंने अपने बाल्यकाल में ही कई चमत्कार दिखलाए, जिससे लोग उन्हें दिव्य और अलौकिक मानकर पूजने लगे।
माता करणी अपने विवाह के भी विरुद्ध थी, किन्तु माता-पिता की आज्ञा और उनके सम्मान के लिए उन्होंने साटीका के जागीरदार देपाजी से विवाह कर लिया। किन्तु, जब करणी माता, देपाजी के सामने अपने दिव्य और अलौकिक रूप में प्रकट हुईं, तो देपाजी उनके चरणों में गिर गए और उन्हें माँ मान लिया। जिसके बाद करणी माता ने अपनी छोटी बहन गुलाब बाई से देपाजी का विवाह संपन्न करवाया, ताकि देपाजी को भी वैवाहिक सुख मिले और उनका संसार चलता रहे।
एक बार उनकी बहन गुलाब बाई का पुत्र लाखन कार्तिक मेले के दौरान कपिल सरोवर में डूब गया और उसकी मृत्यु हो गई। चारों तरफ चीख पुकार मच गई और सभी लोग बड़ी उम्मीद से करणी माता की तरफ देखने लगे। तब, करणी माता लाखन के शरीर को एक कमरे में ले गई और कुछ देर तक खुद को बंद कर लिया। जब वह बाहर वापस आईं, तो वह लाखन भी उनके साथ था, जीवित। तबसे स्थानीय लोगों में ये मान्यता है कि करणी माता ने मृत्यु के देवता से लड़कर लाखन के प्राण वापस हासिल किए हैं।
लोगों का मानना है कि करणी माता के वंशज और उनके अनुयायी ही उनके मंदिर में काबा (चूहे) बनकर विचरण करते हैं और वहां प्राण छोड़ने के बाद वे वापस मनुष्य योनि में जन्म लेते हैं। आज भी इस मंदिर में 25000 से अधिक चूहे घुमते रहते हैं, प्रसाद खाते हैं, वही प्रसाद भक्तों को भी दिया जाता है, लेकिन किसी को कोई बीमारी या अन्य समस्या नहीं होती और न ही ये चूहे किसी को नुकसान पहुंचाते हैं। वैज्ञानिक भी इस बात को देखकर हैरान हैं कि इतने चूहे होने के बावजूद यहाँ कभी संक्रमण नहीं फैला। माना जाता है कि 23 मार्च 1538 को 151 वर्ष की आयु में माता करणी ने देहत्याग कर स्वर्ग गमन किया। इतिहासकारों के अनुसार, करणी माता के मूल मंदिर का निर्माण राजा जय सिंह ने करवाया था। वहीं, मंदिर का मौजूदा स्वरूप महाराजा गंगा सिंह ने राजपूत शैली में लगभग 15 से 20वीं के बीच करवाया।