महंगाई कम करने का वादा करके सत्ता में आओ और फिर महंगाई बढ़ाओ..! विवादों में हिमाचल सरकार

हिमाचल सरकार की आर्थिक स्थिति डांवाडोल हो रही है, ऐसे में सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू ने मंदिरों से आग्रह किया है कि वे सरकारी योजनाओं के लिए योगदान करें। हालाँकि, विपक्ष ने इस पर आपत्ति जताई है, क्या मंदिरों से कांग्रेस की ये अपील फलीभूत होगी, ये देखने लायक होगा?

महंगाई कम करने का वादा करके सत्ता में आओ और फिर महंगाई बढ़ाओ..! विवादों में हिमाचल सरकार

हिमाचल की कांग्रेस सरकार पर वादाखिलाफी और महंगाई बढ़ाने के आरोप

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Highlights

  • आर्थिक संकट में हिमाचल सरकार।
  • मंदिरों से धन वसूली करेगी कांग्रेस।
  • कांग्रेस की कथनी-करनी पर उठे सवाल।

शिमला : हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस सरकार की आर्थिक नीतियों पर एक नया विवाद खड़ा हो गया है। मुफ्त योजनाओं की वजह से आर्थिक संकट में फंसी मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू के नेतृत्व वाली सरकार ने अब राज्य के बड़े मंदिरों पर नजर गड़ा ली है। सरकार ने राज्य के समृद्ध हिंदू मंदिरों को पत्र लिखकर अपनी दो योजनाओं के लिए धन देने की अपील की है, जिस पर विपक्ष ने कड़ा ऐतराज जताया है।

हिमाचल प्रदेश सरकार के भाषा एवं संस्कृति विभाग ने 29 जनवरी 2025 को राज्य के मंदिर ट्रस्टों को पत्र भेजा। इस पत्र में मंदिर समितियों से ‘मुख्यमंत्री सुखाश्रय योजना’ और ‘मुख्यमंत्री सुख शिक्षा योजना’ के लिए आर्थिक मदद देने का अनुरोध किया गया। इसके बाद जिलाधिकारियों ने भी मंदिर ट्रस्टों को इस संबंध में पत्र जारी किए। हालाँकि, यह साफ किया गया कि यह केवल एक अपील है और मंदिर ट्रस्टों पर यह फैसला छोड़ दिया गया है कि वे इसमें योगदान देना चाहते हैं या नहीं।

‘मुख्यमंत्री सुख शिक्षा योजना’ के तहत विधवा, तलाकशुदा, बेसहारा महिलाओं और दिव्यांग माता-पिता के बच्चों को शिक्षा, स्वास्थ्य और पोषण के लिए आर्थिक सहायता दी जाती है। इस योजना के तहत 18 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को 1,000 रुपये की मासिक सहायता दी जाती है। वहीं, ‘मुख्यमंत्री सुखाश्रय योजना’ के तहत सरकार ने 6,000 बच्चों को गोद लिया है और उन्हें ‘चिल्ड्रन ऑफ स्टेट’ का दर्जा दिया है। इन बच्चों की शिक्षा, स्वास्थ्य और अन्य आवश्यक जरूरतों के लिए सरकार आर्थिक मदद दे रही है।

इस फैसले पर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस सरकार एक तरफ सनातन और हिंदू संस्कृति का विरोध करती है, वहीं अब उन्हीं मंदिरों की संपत्ति से अपनी योजनाएँ चलाने की कोशिश कर रही है। जयराम ठाकुर ने यह भी दावा किया कि सरकार अधिकारियों पर दबाव डाल रही है कि मंदिरों से जल्द से जल्द पैसा जुटाकर सरकार को सौंपा जाए। उन्होंने जनता से भी इस कदम का विरोध करने की अपील की है।

हिमाचल प्रदेश में सरकार के अधीन 36 प्रमुख हिंदू मंदिर आते हैं, जिनमें करोड़ों की संपत्ति है। इनमें ऊना जिले का माँ चिंतापूर्णी मंदिर सबसे धनी माना जाता है। इस मंदिर के पास लगभग एक अरब रुपये की बैंक एफडी है, साथ ही 1,098 किलोग्राम सोना और 72,000 किलोग्राम से अधिक चाँदी है। बिलासपुर स्थित शक्तिपीठ नैनादेवी मंदिर के पास भी 11 करोड़ रुपये नकद और 58 करोड़ रुपये की बैंक एफडी है। इसके अलावा इस मंदिर में 1,080 किलोग्राम सोना और 72,000 किलोग्राम चाँदी भी है। 

कई अन्य शक्तिपीठों में भी अरबों रुपये की संपत्ति और हजारों किलोग्राम सोना-चाँदी संग्रहित है। ऐसे में सरकार की इस अपील को लेकर प्रदेश में एक बड़ा राजनीतिक विवाद खड़ा हो गया है। भाजपा सरकार पर हिंदू मंदिरों के संसाधनों को राजनीति के लिए इस्तेमाल करने का आरोप लगा रही है, जबकि कांग्रेस इसे जरूरतमंदों की मदद के लिए किया गया एक सकारात्मक प्रयास बता रही है। यह देखना दिलचस्प होगा कि इस मुद्दे पर जनता और मंदिर ट्रस्टों की क्या प्रतिक्रिया रहती है और क्या वाकई मंदिर सरकार की इन योजनाओं में आर्थिक योगदान देने के लिए आगे आते हैं या नहीं।

टॉयलेट टैक्स लगाकर भी विवादों में घिरी थी सुक्खू सरकार :

2024 के अंत में हिमाचल प्रदेश की कांग्रेस सरकार में एक ऐसा आदेश पारित हुआ था, जिससे पूरे देश में खलबली मच गई थी। ये था टॉयलेट टैक्स, एक तरफ जहाँ भारत के प्रधानमंत्री, देश को खुले में शौच मुक्त बनाने का अभियान लेकर आगे बढ़ रहे थे, उसी बीच हिमाचल सरकार ने टॉयलेट सीट पर टैक्स लगा दिया था, यानी जिस घर में जितने टॉयलेट उतना टैक्स। इसमें घर में प्रत्येक टॉयलेट सीट पर 25 रूपए का टक्स चुकाने का फरमान था, यदि किसी के घर में दो शौचालय होते, तो उसे 50 रूपए प्रतिमाह चुकाना था। हालाँकि, ये रकम बड़ी नहीं थी, किन्तु ऐसा टैक्स पहले देखा नहीं गया था, जिसके कारण ये विवादों में घिर गया। विवाद बढ़ता देख कांग्रेस सरकार ने अपना आदेश वापस ले लिया।

हिमाचल सरकार ने बंद की फ्री पानी की सुविधा :

इसके साथ ही आर्थिक संकट से जूझ रही हिमाचल सरकार ने 2024 में ही प्रदेशवासियों को मिल रहा मुफ्त जल भी बंद कर दिया था और उस पर शुल्क लगा दिया था। ये मुफ्त जल की सुविधा पूर्व की भाजपा सरकार द्वारा शुरू की गई थी, और भगवा दल ने इसका पुरजोर विरोध भी किया, किन्तु संख्याबल कांग्रेस के साथ था, सो ये नियम पारित हो गया। अब ग्रामीण इलाकों में रहने वाले लोगों को भी पानी का शुल्क चुकाना पड़ रहा है।

दिवाली के बीच बसों में बढ़ा दिया लगेज का किराया :

दिवाली एक ऐसा त्यौहार है, जिसमे दूर दराज में काम करने वाले लोग भी अपने घरों को लौटते हैं, वे अपनी सालभर की कमाई के मुताबिक, घर के प्रत्येक सदस्य के लिए कुछ न कुछ ले जाने की कोशिश करते हैं और इसी में लगेज का वजन तो होना ही है। ऐसे समय में अक्टूबर 2024 को हिमाचल सरकार का एक आदेश पारित होता है, जिसमे लगेज पर अतिरिक्त भुगतान करने का फरमान होता है। यहाँ एक बार फिर जनता ये सोचकर बैठ जाती है कि जो कांग्रेस महंगाई के खिलाफ लड़ने की बातें करके सत्ता में आई थी, वो सत्ता में आने के बाद ऐसा क्यों कर रही है ? दरअसल, सत्ता में आते ही हिमाचल सरकार ने डीज़ल पर 3 रूपए प्रति लेटर VAT बढ़ा दिया था, जबकि वो अक्सर पेट्रोल-डीज़ल के दामों को लेकर केंद्र पर हमला करती रहती है। 

 

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