
Highlights
रांची: झारखंड से एक बेहद ही हैरान कर देने वाली घटना सामने आई है। जिसने एक बार फिर ये सवाल खड़े कर दिए हैं कि, क्या राजनेता, वोट बैंक के चलते अपराधियों के भी पाप छुपाने लगेंगे ? उन्हें सम्मानित करने लगेंगे ?
रिपोर्ट के अनुसार, यह घटना झारखंड के बोकारो में 8 मई 2025 को घटी, जो मीडिया में काफी देर से और काफी रंग बदलने के बाद आई। 8 मई को अब्दुल कलाम नामक एक आरोपी, स्थानीय तालाब के आसपास घूम रहा था , तभी उसकी नज़र तालाब में स्नान कर रही एक आदिवासी स्त्री पर पड़ी, जिसे देखकर अब्दुल के अंदर का हैवान जाग उठा और वो आदिवासी महिला के साथ बलात्कार करने लगा। महिला ने इसका भरपूर विरोध किया और चीख पुकार मचाई।
महिला का शोरगुल सुनकर वहां ग्रामीण इकठ्ठा हो गए और उन्होंने आरोपी अब्दुल को पकड़ लिया। महिला की आपबीती सुनने के बाद ग्रामीण गुस्से में भर गए और उन्होंने कानून अपने हाथों में लेते हुए अब्दुल की बुरी तरह से पिटाई कर दी, साथ ही पुलिस को भी सूचित कर दिया। कुछ समय बाद पुलिस ने मौके पर पहुंचकर घायल अब्दुल को अस्पताल पहुँचाया, लेकिन तब तक अब्दुल दम तोड़ चूका था। अस्पताल में डॉक्टर्स ने अब्दुल को मृत घोषित कर दिया। जिसके बाद अब्दुल के चाचा की शिकायत पर पुलिस ने मॉब लिंचिंग का केस दर्ज कर लिया और चार ग्रामीणों को गिरफ्तार करके जेल भी भेज दिया। यहाँ तक तो घटना ठीक थी, ग्रामीणों ने कानून अपने हाथों में लिया था, उसकी सजा उनको मिली। लेकिन असली घटनाक्रम अभी बाकी थी, अब्दुल ने जो 'बहादुरी का और राष्ट्रभक्ति का' काम किया था, उसका इनाम तो उसे मिलना था। क्योंकि, अब्दुल जिस समुदाय से आता है, वो समुदाय कांग्रेस और झारखंड की सत्ताधारी पार्टी झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) का मुख्य वोट बैंक है।
जिस अब्दुल के परिवार को 1 लाख देंगे राहुल गाँधी, वह तालाब पर नहाने आई ST महिला का करना चाहता था रेप: ग्रामीणों की पिटाई में मौत, झारखंड सरकार पैसा-नौकरी-घर सब देगी via @OpIndia_in https://t.co/AK37aK5zLx
— Kanchan Ugursandi ???????? (@BikerGirlkancha) May 17, 2025
ऐसे में झारखंड में JMM और कांग्रेस के नेता सक्रीय हो गए और अब्दुल के अपराध को ढंकते हुए मोब लिंचिंग को मुद्दा बना दिया गया। सोशल मीडिया से लेकर सड़कों तक यह नैरेटिव फैलाने की कोशिश की गई, कि अब्दुल को सिर्फ इसलिए मार डाला गया, क्योंकि वो मुसलमान था। ऐसे में झारखंड सरकार भी कहाँ पीछे रहने वाली थी, हेमंत सोरेन सरकार ने ताबड़तोड़ बलात्कार की कोशिश करने वाले अब्दुल के परिवार के लिए 4 लाख रूपए के मुआवज़े का ऐलान कर दिया। यही नहीं, जो अब्दुल, आदिवासी महिला के बलात्कार का 'बहादुरी भरा' कार्य नहीं कर पाया, उसके परिवार में से एक को सरकारी नौकरी और मकान देने का ऐलान भी झारखंड सरकार ने किया है। वहीं, कांग्रेस के प्रधानमंत्री उम्मीदवार और लोकसभा में नेता विपक्ष राहुल गांधी ने भी अपनी तरफ से अब्दुल को सम्मानित करते हुए उसके परिवार को 1 लाख रूपए देने का ऐलान किया है। हालाँकि, इस पूरी घटना में उस पीड़ित आदिवासी महिला को क्या मिला ? इसकी कोई जानकारी सामने नहीं आई है।
#Jharkhand’s JMM-led Govt & #RahulGandhi shower Abdul’s family with aid after he was beaten to death by locals for alleged rape attempt..
— Debashish Sarkar ???????? (@DebashishHiTs) May 16, 2025
- Rahul Gandhi: Rs 1L
- CM Soren: Rs 1L
- Siddiqui community: Rs 51K
- State Govt: 4L
Plus, a healthcare and a job for a family member. pic.twitter.com/xTdsMDQIBd
राहुल गांधी, जो अक्सर आदिवसियों को देश का मूलनिवासी बताकर उनके लिए काम करने की कसमें खाते रहते हैं, उन्होंने भी जनजाति समाज की पीड़िता का हालचाल जानने का कोई प्रयास नहीं किया। पीड़िता इस समय मानसिक और सामाजिक आघात का सामना कर रही है, उसके परिवार के 4 सदस्य भी जेल में हैं। पूरी सच्चाई सामने आने के बाद सोशल मीडिया पर लोग सवाल कर रहे हैं कि सरकार और राजनीतिक दल पीड़िता की मदद के बजाय आरोपी के परिवार को ही क्यों प्राथमिकता दे रहे हैं? कई लोग इसके पीछे वोट बैंक की राजनीति को कारण बता रहे हैं। क्योंकि ऐसे मामलों पर राहुल गांधी की प्रतिक्रिया सेलेक्टिव रही है।
28 जून 2022 को राजस्थान के उदयपुर में हुए कन्हैयालाल हत्याकांड ने पूरे देश को हिलाकर रख दिया था। जब दो इस्लामी कट्टरपंथियों ने सिर्फ एक सोशल मीडिया पोस्ट के कारण दूकान में घुसकर कन्हैयालाल को बुरी तरह काट डाला था। यही नहीं आरोपियों ने बाकायदा इसका वीडियो भी बनाया था और उसे वायरल किया था, ताकि लोगों में दहशत बनी रहे। उस समय राजस्थान में अशोक गहलोत के नेतृत्व में कांग्रेस की ही सरकार थी, लेकिन मजाल है कि राहुल गांधी ने बीते 3 सालों में एक बार भी कन्हैयालाल के पीड़ित परिवार से मुलाकात करने की कोशिश की हो, उनके लिए कोई निजी मुआवज़ा देना तो बहुत दूर की बात है।
18 मई 2022 में श्रद्धा वॉकर हत्याकांड की खबर जैसे ही मीडिया में आई, तो देशभर में खलबली मच गई। आफताब पूनावाला नामक एक आरोपी ने श्रद्धा के 35 टुकड़े करके जंगल में फेंक दिए थे। उसी की निशानदेही पर पुलिस ने जंगलों से वो टुकड़े भी बरामद किए और आफताब ने अपना जुर्म भी कबूल कर लिया। लेकिन आज 3 साल बाद तक न तो आरोपी आफताब को सजा हुई है और न ही इन 3 सालों में कभी राहुल बाबा, पीड़ित परिवार को सांत्वना देने पहुंचे। न्याय की आस और अपनी बेटी के टुकड़ों का अंतिम संस्कार करने की इच्छा मन में लिए श्रद्धा के पिता ने इसी साल फ़रवरी में प्राण त्याग दिए, किन्तु उन्हें इंसाफ नहीं मिला।
ये घटना कर्नाटक की है, जहाँ 18 अप्रैल, 2024 को एक कांग्रेस पार्षद की बेटी ही लव जिहाद का शिकार हो गई थी। कर्नाटक में कांग्रेस पार्षद निरंजन हिरेमथ की 22 वर्षीय पुत्री नेहा की हत्या उसके पीछे पड़े सिरफिरे आशिक फ़ैयाज़ ने पूरे कॉलेज के सामने चाक़ू घोंपकर कर दी थी। बच्ची के पिता, निरंजन ने इसे स्पष्ट लव जिहाद की घटना बताया और देशभर के लोगों से इससे सतर्क रहने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि लव जिहाद बहुत तेजी से फ़ैल रहा है, इससे अपनी बच्चियों को बचाओ। लेकिन कांग्रेस तो शुरू से लव जिहाद को मानती ही नहीं।
अपनी ही पार्टी के पार्षद होने के बावजूद, कांग्रेस का कोई बड़ा नेता निरंजन के समर्थन में नहीं आया, उल्टा मृतका का चरित्र हनन किया जाने लगा कि फ़ैयाज़ और नेहा में संबंध थे। ये घटना कांग्रेस सरकार में ही हुई और मुख्यमंत्री सिद्धारमैया थे, जो अब भी हैं। लेकिन राहुल गांधी अपने ही नेता को ही सांत्वना देने नहीं गए, सांत्वना-मुआवज़ा देना तो दूर की बात, राहुल-प्रियंका ने इस घटना पर एक ट्वीट तक नहीं किया कि हम पीड़ित परिवार के साथ हैं। पीड़ित पिता ने राज्य सरकार और पुलिस पर भी आरोप लगाए कि वो (वोट बैंक के) दबाव में काम कर रहे हैं। इस साल फ़रवरी में भी पीड़ित के परिवार ने जांच में प्रगति न होने के कारण CBI जांच का अनुरोध किया था। लेकिन, राज्य की कांग्रेस सरकार ने उनकी मांग स्वीकारी या नहीं, इसका कोई जवाब नहीं आया।
इस तरह की कई घटनाएं हैं, जहाँ राजनीतिक लाभ हानि के चलते राहुल गांधी या विपक्षी नेताओं ने घटनाओं पर प्रतिक्रिया दी हो। हाल ही में जब इलाहबाद हाई कोर्ट ने संभल मस्जिद के सर्वे का आदेश दिया, तो वहां कट्टरपंथी भीड़ ने पुलिस और ASI टीम पर जानलेवा हमला कर दिया, जवाबी कार्रवाई में कुछ दंगाई मारे गए। इसके बाद तमाम विपक्षी नेता, हमले में घायल, पुलिसकर्मी और ASI अधिकारियों से मिलने नहीं, बल्कि दंगाइयों के परिवारों से मिलने पहुंचे, जो साफ़ दर्शाता है कि उनकी मंशा क्या थी ?
समाजवादी पार्टी (सपा) अध्यक्ष अखिलेश यादव ने तो मृतकों के परिवारों को 5-5 लाख मुआवज़ा देने का ऐलान भी कर दिया, जबकि वे सरकार में नहीं हैं, यदि सरकार में होते तो शायद सरकारी नौकरी और मकान भी देते। इन दंगाइयों के परिजनों से मिलने राहुल गांधी और प्रियंका गांधी भी पहुंचे थे, जो अपने ही पार्षद की बेटी के क़त्ल पर बेशर्म चुप्पी साधे हुए थे। हाल ही में मुर्शिदाबाद में हिन्दुओं पर हमला हुआ, कट्टरपंथियों की भीड़ द्वारा चुन-चुनकर हिन्दुओं को निशाना बनाया गया। कलकत्ता हाई कोर्ट द्वारा बनाई गई जांच कमिटी की जो रिपोर्ट सामने आई है, उसमे स्पष्ट लिखा है कि हमला TMC पार्षद महबूब आलम के नेतृत्व में हुआ और हिन्दुओं को मारना ही उनका लक्ष्य था। इस दौरान बंगाल पुलिस पूरी तरह से निष्क्रिय रही। हिन्दुओं की हत्या की गई, उनके घर-दूकान जला दिए गए। कई हिन्दुओं ने मुस्लिम बहुल मुर्शिदाबाद से पलायन कर दिया। भाजपा के अलावा किसी भी दल का नेता उन पीड़ितों का साथ देने नहीं पहुंचा। राहुल गांधी ने तो मुर्शिदाबाद घटना पर ट्वीट तक नहीं किया। इसका भी जवाब स्पष्ट है, क्योंकि वहां भी अपराधी मुस्लिम समुदाय से ही हैं, जो कांग्रेस का मुख्य वोट बैंक हैं। अतीत को भी खंगालकर देखें तो, राहुल गांधी कभी उन पीड़ित परिवारों से मिलने नहीं गए हैं, जहाँ आरोपी मुस्लिम समुदाय से रहे हैं, हालाँकि, वोट कांग्रेस को अन्य समुदाय भी देते हैं, लेकिन राहुल गांधी की सेलेक्टिव प्रतिक्रिया देखकर लगता है, जैसे वे एक ही समुदाय के लिए राजनीति में आए हैं।