
नई दिल्ली : नेक्रोफिलिया (Necrophilia), यानी मृत शरीर के प्रति यौन आकर्षण और उस पर यौनाचार, एक विवादास्पद और संवेदनशील विषय है। यह न केवल नैतिक दृष्टिकोण से गलत है, बल्कि कानूनी नजरिए से भी वीभत्स कृत्य माना जाता है। भारत में हाल ही में एक सुप्रीम कोर्ट का फैसला आया, जिसमें यह कहा गया कि नेक्रोफिलिया को लेकर कोई स्पष्ट कानून नहीं है, और इस कारण इसे अपराध के रूप में नहीं माना जा सकता।
हालांकि, यह निर्णय कई सवालों को जन्म देता है, खासकर उस मानसिकता और कानून की आवश्यकता को लेकर, जो समाज में मृत शरीर के प्रति सम्मान और संवेदनशीलता सुनिश्चित कर सके।
भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने मंगलवार (4 फरवरी 2025) को एक ऐसे मामले में महत्वपूर्ण फैसला सुनाया,था, जो नैतिकता, कानून और सामाजिक संवेदनाओं से जुड़ा है। कोर्ट ने नेक्रोफिलिया (मृत महिला के शव के साथ यौन क्रिया) को भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 375 के तहत बलात्कार मानने से इनकार कर दिया। इस फैसले के बाद एक नई बहस छिड़ गई है कि, क्या मृत महिलाओं के प्रति होने वाले इस तरह के घृणित कृत्य को अपराध नहीं माना जाना चाहिए?
इस मामले में आरोपित ने 21 वर्षीय महिला की हत्या करने के बाद उसके शव के साथ यौन संबंध बनाए थे। ट्रायल कोर्ट ने इसे हत्या और बलात्कार दोनों माना और आरोपी को IPC की धारा 302 और 375 के तहत दोषी ठहराया था। किन्तु, कर्नाटक हाई कोर्ट ने 2023 में फैसला सुनाते हुए कहा कि IPC की धारा 375 (बलात्कार) और धारा 377 (अप्राकृतिक यौन संबंध) के तहत नेक्रोफिलिया अपराध नहीं है। इसके बाद हाई कोर्ट ने आरोपी को हत्या का दोषी माना, लेकिन बलात्कार के आरोप से बरी कर दिया। अब सुप्रीम कोर्ट ने भी हाई कोर्ट का वही फैसला बरकारार रखा है कि लाश के साथ बलात्कार करने को अपराध नहीं माना जाएगा।
अब सवाल उठता है, अगर आरोपी ने महिला की हत्या नहीं की होती, केवल शव के साथ यौन संबंध बनाए होते, तो क्या वह किसी भी अपराध की श्रेणी में नहीं आता? क्या यह कानूनी खामी नहीं है? दरअसल, भारत में इस घृणित कृत्य को अपराध के दायरे में लाने के लिए कोई स्पष्ट कानून नहीं है। कर्नाटक हाई कोर्ट ने भी अपने फैसले में इस पर चिंता जताई थी और केंद्र सरकार से कानून बनाने की अपील की थी। सुप्रीम कोर्ट ने भी इस पर ये कहा है कि यह मामला संसद द्वारा तय किया जाना चाहिए, क्योंकि वर्तमान भारतीय कानून नेक्रोफिलिया को अपराध नहीं मानता।
संयुक्त राज्य अमेरिका (USA): अमेरिका में कई राज्य नेक्रोफिलिया को एक गंभीर अपराध मानते हैं। कैलिफोर्निया में इस पर कानून बना हुआ है और यदि कोई व्यक्ति मृत शरीर के साथ यौन कृत्य करता है, तो उसे 3 साल तक की सजा हो सकती है। इसके अलावा, अन्य राज्यों में भी मृत शरीर के साथ यौनाचार को दंडनीय अपराध माना जाता है। ("Necrophilia: The Death of Sex and the Law" - Journal of Sex Research (2006)
यूनाइटेड किंगडम (UK) : ब्रिटेन में नेक्रोफिलिया को एक अपराध माना जाता है। यहां पर इस कृत्य को "ग्रेवी रोबिंग" (grave robbing) के तहत वर्गीकृत किया जाता है। अगर कोई व्यक्ति मृत शरीर के साथ यौन संबंध बनाता है, तो उसे न्यूनतम 5 साल की सजा हो सकती है। इसके अलावा, अगर वह शवगृह में घुसकर शवों के साथ यौन कृत्य करता है, तो उसे और अधिक कठोर सजा मिल सकती है। (The Sexual Offences Act 2003 (UK))
ऑस्ट्रेलिया : ऑस्ट्रेलिया में नेक्रोफिलिया को एक अपराध माना जाता है। यहां पर इस पर कड़ी सजा दी जाती है। ऑस्ट्रेलियाई कानून के तहत यदि कोई व्यक्ति मृत शरीर के साथ यौन संबंध बनाता है, तो उसे 7 से 10 साल तक की सजा हो सकती है। यह कृत्य शारीरिक और मानसिक रूप से विकृत माना जाता है और समाज में इसे गंभीर अपराध के रूप में देखा जाता है। ("Necrophilia: Legal Issues in Australia" - Australian Law Journal (2013))
जर्मनी : जर्मनी में भी नेक्रोफिलिया को अपराध माना जाता है। यहां पर किसी मृत शरीर के साथ यौन संबंध बनाना बर्ताव की एक गंभीर कद्रहीनता है, और इसे दंडनीय अपराध के रूप में देखा जाता है। जर्मन न्यायिक प्रणाली में इस अपराध के लिए कई वर्षों की सजा का प्रावधान है। ("Nekrophilie"। www।pschyrembel।de। Retrieved 6 September 2023)
नेक्रोफिलिया पर कुछ शोध कार्य भी किए गए हैं, जो मानसिक स्वास्थ्य और समाज की नैतिकता पर आधारित हैं। एक अध्ययन में इस बात पर प्रकाश डाला गया कि नेक्रोफिलिया आमतौर पर मानसिक विकृति, यौन असंतोष, और आत्म-सम्मान की कमी से जुड़ा होता है। यह शोध इस निष्कर्ष पर पहुंचा कि मानसिक उपचार और काउंसलिंग की आवश्यकता होती है, क्योंकि यह अपराध केवल शारीरिक कृत्य नहीं, बल्कि मानसिक विकृति भी हो सकता है।
नेक्रोफिलिया पर कुछ शोध कार्य भी किए गए हैं, जो मानसिक स्वास्थ्य और समाज की नैतिकता पर आधारित हैं। एक अध्ययन में इस बात पर प्रकाश डाला गया कि नेक्रोफिलिया आमतौर पर मानसिक विकृति, यौन असंतोष, और आत्म-सम्मान की कमी से जुड़ा होता है। यह शोध इस निष्कर्ष पर पहुंचा कि मानसिक उपचार और काउंसलिंग की आवश्यकता होती है, क्योंकि यह अपराध केवल शारीरिक कृत्य नहीं, बल्कि मानसिक विकृति भी हो सकता है।
भारत में, जहां समाज में नैतिकता और पारंपरिक विचारों का अत्यधिक महत्व है, ऐसे अपराधों के प्रति कानूनी दृष्टिकोण में सुधार की आवश्यकता महसूस होती है। सुप्रीम कोर्ट का हालिया निर्णय, जिसमें नेक्रोफिलिया को अपराध के रूप में नहीं देखा गया, यह दर्शाता है कि भारत में इस विषय पर कोई स्पष्ट कानून नहीं है। यह समाज के लिए एक गंभीर चिंता का विषय हो सकता है, क्योंकि मृत शरीर का अपमान करने को लेकर नैतिक और संवेदनात्मक दृष्टिकोण में बहुत अधिक क्रूरता है।
क्या एक महिला का सम्मान उसकी मृत्यु के बाद खत्म हो जाता है? क्या उसके मृत शरीर का सम्मान नहीं होना चाहिए? इन सवालों का उत्तर हमें भारतीय समाज में नैतिकता, मानवाधिकार और न्याय के परिप्रेक्ष्य में ढूंढना चाहिए।भारत में नेक्रोफिलिया पर कोई स्पष्ट कानून नहीं होने की स्थिति में यह जरूरी है कि इस पर अधिक ध्यान दिया जाए। समाज में नैतिकता और मृतकों के सम्मान की रक्षा के लिए एक कड़ा कानून बनाना समय की आवश्यकता है। इसके बिना, ऐसे अपराधों को रोकने में कठिनाई हो सकती है।