इंटरनेशनल स्पेस सेंटर पहुंचे शुभांशु शुक्ला, 14 दिन अंतरिक्ष में रहेंगे

स्पेसएक्स ड्रैगन कैप्सूल आखिरकार स्पेस स्टेशन के साथ जुड़ चुका है, इस यान ने समय से 20 मिनट पहले ही डॉकिंग कर ली है, ये प्रोसेस लेजर सेंसर, कैमरे एवं ऑटोनोमस सिस्टम से हुई, इस मिशन में शुभांशु की निगरानी अहम् है।

इंटरनेशनल स्पेस सेंटर पहुंचे शुभांशु शुक्ला, 14 दिन अंतरिक्ष में रहेंगे

अंतरिक्ष पहुंचे शुभांशु शुक्ला

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Highlights

  • अंतरिक्ष पहुंचे शुभांशु शुक्ला और उनका ग्रुप।
  • एक ऑटोनोमस प्रकिया है डॉकिंग।
  • ​ड्रैगन ISS के साथ सीधा सम्पर्क कर सकता है।

भारतीय अंतरिक्ष यात्री एवं ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला Ax-4 मिशन के अंतर्गत स्पेसएक्स ड्रैगन कैप्सूल इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS) जुड़ चुका है। इतना ही नहीं अब ड्रैगन कैप्सूल पहले से तय वक़्त वक़्त से 20 मिनट पहले ही डॉक हो गया, इसके पश्चात 1-2 घंटे की जांच होने वाली है, इसमें हवा के रिसाव एवं दवाब की स्थिरता की जांच की जाएगी, इसके पश्चात क्रू ISS में प्रवेश कर लेगा। ये यान 28000 KM/ घंटा की तेजी से 418 KM की उचाई पर पृथ्वी का चक्कर लगा रहा है, लॉन्च के पश्चात ये लगभग 26 घंटे की यात्रा भी पूर्ण हो चुकी है, एवं उनकी ये यात्रा आखिरी चरण में प्रवेश कर चुकी है, इतना ही नहीं इसके लिए यान ने कई ऑर्बिटल मनोवेर्स कर चुके है, ताकि ISS की कैशा के साथ ऑनलाइन जुड़ पाएं। 

क्या होती है ड्रैगन कैप्सूल की डॉकिंग प्रक्रिया : 

ड्रैगन कैप्सूल की ISS के साथ डॉकिंग एक ऑटोनोमस प्रकिया है, पर शुभांशु एवं कमांडर पेगी व्हिटसन इसकी निगरानी करने वाले है। इतना ही नहीं ये प्रक्रिया सटीकता एवं सुरक्षा के लिए डिजाइन की जा चुकी है, इसे 4 अहम् चरणों में समझ सकते है...

रेंडेजवू (Rendezvous) : 

ड्रैगन कैप्सूल लॉन्च के पश्चात 90 सेकेंड के इंजन फायरिंग के साथ अपनी गति एवं दिशा को जोड़ता है, दोपहर 2:33 बजे IST तक यान 400M नीचे एवं 7 KM पीछे से स्टार्ट हुआ एवं  अब 200 मीटर दूर पर है। स्पेसएक्स एवं नासा के ग्राउंड कंट्रोलर यान के सिस्टम की अच्छी तरह से जांच करने का काम करते है।

इतना ही नहीं 200 मीटर की दूरी पर एवं ड्रैगन ISS के साथ सीधा संचार शुरू कर सकता है, ये चरण लगभग 6 घंटे तक बिना किसी जोखिम के सुरक्षित पथ पर रह सकता है। आखिरी चरण में 20 मीटर की दूरी पर ड्रैगन लेजर सेंसर, कैमरे और GPS का इस्तेमाल करके ISS के हार्मनी मॉड्यूल के डॉकिंग पोर्ट से सटीक संरेखण करता है, ये कुछ सेंटीमीटर प्रति सेकंड की गति से आगे बढ़ रहा है, जो बहुत धीमी एवं नियंत्रित गति है। इस दौरान शुभांशु यान की गति, कक्षा एवं सिस्टम (जैसे एवियोनिक्स और प्रणोदन) की निगरानी करने वाले है।

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